राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की बेटी और बिहार की चर्चित नेता रोहिणी आचार्य ने एक बार फिर अपनी राजनीति में अलग पहचान बनाई है। उन्होंने हाल ही में कहा है कि उन्होंने हमेशा बेटी और बहन का फर्ज निभाया है और पद या सत्ता की लालसा उनके मन में कभी नहीं रही। रोहिणी के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और विपक्षी दलों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है।
अपने बयान में रोहिणी आचार्य ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल परिवार और जनता की सेवा करना रहा है, न कि किसी पद को पाने की लालसा। उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दी है, चाहे वह एक बेटी का फर्ज हो या बहन का। सत्ता या पद मेरे लिए कभी प्राथमिकता नहीं रहे।”
रोहिणी ने यह भी कहा कि वे राजनीतिक दबाव या किसी बाहरी प्रभाव में नहीं आईं और हमेशा अपने सिद्धांतों और पारिवारिक मूल्यों के आधार पर काम करती रहीं। उनका मानना है कि एक नेता का असली कर्तव्य जनता की सेवा और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना होता है, न कि पद की आकांक्षा।
बिहार की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रोहिणी आचार्य ने अपने बयान के माध्यम से यह भी संकेत दिया कि वे परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ पार्टी और समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को गहराई से निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि राजद परिवार की छवि और मूल्य उनके लिए सर्वोपरि हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि रोहिणी का यह बयान वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और पार्टी के आंतरिक गतिरोध के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश है। बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए यह बयान पार्टी की छवि सुधारने और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की रणनीति भी हो सकता है।
वहीं, विपक्षी दलों ने भी रोहिणी के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। कुछ नेताओं ने इसे पारिवारिक निष्ठा और नेतृत्व की अच्छी मिसाल बताया, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक बयानबाजी करार दिया है। बावजूद इसके, रोहिणी के समर्थक इसे उनकी सच्चाई और पारदर्शिता का प्रतीक मान रहे हैं।
राजद के करीबी सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेतृत्व इस बयान को एक सकारात्मक संदेश के रूप में देख रहा है, जो कार्यकर्ताओं और जनता के बीच नई उम्मीद जगा सकता है। पार्टी के अंदर यह उम्मीद जताई जा रही है कि रोहिणी आचार्य अपने नैतिक मूल्यों के साथ पार्टी को नई दिशा देने में मदद करेंगी।
रोहिणी ने अपने समर्थकों से भी अपील की है कि वे सत्ता या पद की लालसा से ऊपर उठकर समाज और जनहित के कार्यों पर ध्यान दें। उनका यह बयान बिहार की राजनीति में नई ऊर्जा भरने का संकेत माना जा रहा है।
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