मुजफ्फरपुर: बिहार में शराबबंदी लागू होने के 9 साल बाद भी शराब की तस्करी जारी है। यह तस्करी एम्बुलेंस, डाक पार्सल और पेट्रोलियम वाहनों के जरिए हो रही है। माफिया नए-नए तरीके भी अपना रहे हैं। 2 मई को मुजफ्फरपुर में एक एम्बुलेंस से 42 कार्टन शराब बरामद हुई थी। एम्बुलेंस में गुप्त तहखाने बने थे। ड्राइवर शराब तस्करी में पहले भी शामिल था। पूर्वी चंपारण में एम्बुलेंस से 78 किलो गांजा जब्त किया गया। कटिहार में डाक पार्सल वैन से शराब की बड़ी खेप पकड़ी गई। तस्करों ने एम्बुलेंस को गुप्त गाड़ी बना दिया था। कागज पर ही शराबबंदीदरअसल, बिहार में शराबबंदी सिर्फ कागजों पर ही है। असलियत में कुछ और ही हो रहा है। आए दिन अखबारों में शराब तस्करी की खबरें आती रहती हैं। जब भी कोई एम्बुलेंस सायरन बजाते हुए गुजरती है, लोग उसे रास्ता देते हैं। लेकिन, अब एम्बुलेंस का इस्तेमाल शराब और गांजा की तस्करी के लिए हो रहा है। 'गुप्त गाड़ी' का इस्तेमालशराब माफिया एम्बुलेंस का इस्तेमाल गुप्त गाड़ी के तौर पर कर रहे हैं। 2 मई को मुजफ्फरपुर के कांटी में उत्पाद विभाग ने एक एम्बुलेंस से 42 कार्टन शराब पकड़ी। यह शराब सिलीगुड़ी से लाई जा रही थी। एम्बुलेंस में गुप्त तहखाने बनाए गए थे। ड्राइवर कोई स्वास्थ्य कर्मी नहीं था। वह पहले भी शराब तस्करी में शामिल था। उसे हर डिलीवरी के लिए 20-25 हजार रुपये मिलते थे।पूर्वी चंपारण के आदापुर के पास एम्बुलेंस से 78 किलो गांजा पकड़ा गया। कटिहार में आसनसोल से डाक पार्सल वैन में बड़ी शराब की खेप पकड़ी गई। इन वाहनों में गुप्त स्थान बनाए जाते हैं। इसलिए इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है। इतना ही नहीं, तस्करों ने एम्बुलेंस, ट्रक, बाइक और स्कूटर में भी गुप्त चैंबर बनवा लिए हैं। यह काम मुजफ्फरपुर के चांदनी चौक, बैरिया और उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुरादाबाद, अलीगढ़ के गैराजों में होता है। गाड़ियों में गुप्त चैंबरगाड़ियों में गुप्त चैंबर बनाने के लिए लोहे की प्लेट से वेल्डिंग की जाती है। चेसिस के ऊपर दूसरी परत बनाई जाती है। बोनट, डिक्की, सीट और टंकी के नीचे तहखाने बनाए जाते हैं। इन चैंबर को बनाने में 30-40 हजार रुपये लगते हैं। लेकिन, इससे लाखों की कमाई होती है।शराब तस्करी के लिए महिलाएं भी शामिल हैं। महिलाओं को फर्जी मरीज और अटेंडेंट बनाकर एम्बुलेंस में बैठाया जाता है। इससे चेकपोस्ट पर जांच नहीं होती। मुजफ्फरपुर में पकड़े गए मामले में दो महिलाएं शामिल थीं। तस्करी के लिए यह एक भावनात्मक ढाल बन जाती है। पुलिस भी इन पर शक नहीं करती। बाहर से मंगाए जाते हैं शराब और गांजाजानकारी के अनुसार, शराब पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, सिक्किम और गोवा से लाई जाती है। गांजा मणिपुर, असम और ओडिशा से आता है। इसे बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में पहुंचाया जाता है। इसके बाद बिहार के अन्य जिलों में सप्लाई की जाती है। पुलिस के अनुसार, तस्कर कानून को चकमा देने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। वे नकली नंबर प्लेट, फर्जी रजिस्ट्रेशन पेपर का इस्तेमाल करते हैं। ड्राइवरों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वे चेकिंग से बच सकें।
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