टोक्यो: ताइवान को लेकर बढ़ते तनाव के बीच चीन ने रूस के साथ मिलकर जापान की घेरेबंदी को तेज कर दिया है। चीन रूस के साथ मिलकर जापान को डराने की कोशिश में जुट गया है। इसके लिए चीन ने पहली बार अपनी किलो क्लास की हमलावर सबमरीन को रूस भेजा है। चीन और रूस दोनों की नौसेनाएं इस समय जापान सागर के पास 1 अगस्त से संयुक्त नौसैनिक अभ्यास कर रही हैं जो 5 अगस्त तक चलेगा। चीनी सबमरीन के साथ 2 बेहद शक्तिशाली मिसाइल डेस्ट्रायर, 1 सप्लाई शिप और एक सबमरीन बचाव जहाज भी रूस के व्लादिवोस्तोक बंदरगाह पहुंचा है। रूस और चीन के इस संयुक्त अभ्यास को अमेरिका और जापान के साथ चल रहे उनके तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
चीन ने किलो क्लास की सबमरीन को रूस से ही 1990 के दशक में खरीदा था। माना जा रहा है कि चीन ने जानबूझकर रूसी मूल की पनडुब्बी को ही रूस में भेजा है ताकि उसकी अत्याधुनिक यूआन क्लास की सबमरीन की जापान सागर से ट्रांजिट के दौरान विदेशी सेनाएं जासूसी नहीं कर पाएं। किलो क्लास की सबमरीन करीब दो सप्ताह तक पानी के अंदर छिपी रह सकती है। इसमें ऐसा प्रपल्शन सिस्टम लगा है जो कम आवाज करने के लिए जाना जाता है। एक्सपर्ट का कहना है कि चीन की यह किलो क्लास पनडुब्बी जापान और दक्षिण कोरिया की नई पनडुब्बियों के मुकाबले कम ताकतवर है।
चीन तूफानी रफ्तार से बना रहा युद्धपोत
चीन ने जिस नौसैनिक समूह को व्लादिवोस्तोक में तैनात किया है, उसमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की उत्तरी और पूर्वी थिएटर फ्लीट की यूनिट शामिल हैं। इसके जरिए चीन चाहता है कि उसके ज्यादा से ज्यादा सैनिकों को ऑपरेशनल ट्रेनिंग मिल सके। वहीं रूस की ओर से सोवियत जमाने का उदालोय क्लास का डेस्ट्रायर हिस्सा ले रहा है। चीन जहां साल 2014 के बाद से दो दर्जन से ज्यादा टाइप 052 डी श्रेणी के डेस्ट्रायर बना चुका है, वहीं सोवियत यूनियन के विघटन के बाद से रूस ने एक भी डेस्ट्रायर को नहीं बनाया है।
टाइप 052 डी श्रेणी के डेस्ट्रायर इस समय चीनी नौसेना की रीढ़ हैं। हर युद्धपोत में 88 वर्टिकल लांच सिस्टम लगे हैं जो लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों जैसे सतह से हवा में मार करने वाली HHQ-9 और HHQ-10 तथा YJ-18 क्रूज मिसाइल एवं YJ-21 हाइपरसोनिक मिसाइलों को दागने में सक्षम है। इसे अपनी श्रेणी में सबसे आधुनिक डेस्ट्रायर माना जाता है। रूस और चीन दोनों मिलकर एयर डिफेंस, एंटी सबमरीन वारफेयर और लाइव फायर ड्रिल कर रहे हैं। यह संयुक्त अभ्यास ऐसे समय पर हो रहा है जब अमेरिका 400 विमानों और 12 हजार सैनिकों के साथ 8 अगस्त तक ऑस्ट्रेलिया में अभ्यास कर रहा है। इसमें जापान और अन्य अमेरिकी गठबंधन सहयोगी देश शामिल हैं।
चीन ने किलो क्लास की सबमरीन को रूस से ही 1990 के दशक में खरीदा था। माना जा रहा है कि चीन ने जानबूझकर रूसी मूल की पनडुब्बी को ही रूस में भेजा है ताकि उसकी अत्याधुनिक यूआन क्लास की सबमरीन की जापान सागर से ट्रांजिट के दौरान विदेशी सेनाएं जासूसी नहीं कर पाएं। किलो क्लास की सबमरीन करीब दो सप्ताह तक पानी के अंदर छिपी रह सकती है। इसमें ऐसा प्रपल्शन सिस्टम लगा है जो कम आवाज करने के लिए जाना जाता है। एक्सपर्ट का कहना है कि चीन की यह किलो क्लास पनडुब्बी जापान और दक्षिण कोरिया की नई पनडुब्बियों के मुकाबले कम ताकतवर है।
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चीन ने जिस नौसैनिक समूह को व्लादिवोस्तोक में तैनात किया है, उसमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की उत्तरी और पूर्वी थिएटर फ्लीट की यूनिट शामिल हैं। इसके जरिए चीन चाहता है कि उसके ज्यादा से ज्यादा सैनिकों को ऑपरेशनल ट्रेनिंग मिल सके। वहीं रूस की ओर से सोवियत जमाने का उदालोय क्लास का डेस्ट्रायर हिस्सा ले रहा है। चीन जहां साल 2014 के बाद से दो दर्जन से ज्यादा टाइप 052 डी श्रेणी के डेस्ट्रायर बना चुका है, वहीं सोवियत यूनियन के विघटन के बाद से रूस ने एक भी डेस्ट्रायर को नहीं बनाया है।
टाइप 052 डी श्रेणी के डेस्ट्रायर इस समय चीनी नौसेना की रीढ़ हैं। हर युद्धपोत में 88 वर्टिकल लांच सिस्टम लगे हैं जो लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों जैसे सतह से हवा में मार करने वाली HHQ-9 और HHQ-10 तथा YJ-18 क्रूज मिसाइल एवं YJ-21 हाइपरसोनिक मिसाइलों को दागने में सक्षम है। इसे अपनी श्रेणी में सबसे आधुनिक डेस्ट्रायर माना जाता है। रूस और चीन दोनों मिलकर एयर डिफेंस, एंटी सबमरीन वारफेयर और लाइव फायर ड्रिल कर रहे हैं। यह संयुक्त अभ्यास ऐसे समय पर हो रहा है जब अमेरिका 400 विमानों और 12 हजार सैनिकों के साथ 8 अगस्त तक ऑस्ट्रेलिया में अभ्यास कर रहा है। इसमें जापान और अन्य अमेरिकी गठबंधन सहयोगी देश शामिल हैं।
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