अभय सिंह राठौड़, लखनऊ/सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के देवबंद में एक मौलाना का बयान इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक और देवबंद के प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन मौलाना कारी इसहाक गोरा ने महिलाओं के मोबाइल फोन के गलत इस्तेमाल को लेकर एक अहम नसीहत दी है। मौलाना ने कहा कि मोबाइल फोन आज के दौर में एक जरूरत और सहूलियत का जरिया है, लेकिन जब इसका इस्तेमाल गलत दिशा में होता है, तो यही चीज इंसान को गफलत और गुनाह में डाल देती है।
मौलाना इसहाक गोरा ने कहा है कि आजकल घर-घर में मोबाइल फोन ने बरकत और सुकून छीन लिया है। कई महिलाएं मोबाइल पर जरूरत से ज्यादा वक्त बिताती हैं। मां, बहन या दोस्तों से घंटों बातें करती हैं। उन्होंने कहा कि इन बातचीतों में अक्सर गीबत (दूसरों की बुराई) का हिस्सा शामिल होता है, जो न सिर्फ जुबान का गुनाह है, बल्कि घर के माहौल और रिश्तों को भी बिगाड़ देता है। मौलाना ने कहा कि दुनिया में जो भी चीज इंसान की सहूलियत के लिए आई है, उसका इस्तेमाल हमेशा दो तरह से हुआ है, एक सही और दूसरा गलत।
मौलाना ने कहा कि मोबाइल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मोबाइल सिर्फ बुराइयों के लिए दिया गया है। क्यों न इसी मोबाइल का इस्तेमाल हम दीनी बातें सीखने, भलाई फैलाने और इल्म बढ़ाने में करें। उन्होंने कहा कि मोबाइल अपने आप में बुरा नहीं है, बल्कि उसका इस्तेमाल इंसान को अच्छा या बुरा बनाता है। अगर मोबाइल का उपयोग कुरआन सुनने, नेक बातें सीखने या दूसरों का हौसला बढ़ाने में किया जाए, तो यही मोबाइल दीन और दुनिया दोनों के लिए फायदेमंद बन सकता है।
मौलाना कारी इसहाक गोरा ने यह भी कहा कि हमारी जुबान से निकली हर बात फरिश्तों के नामे-आमाल में लिखी जाती है, इसलिए सोचिए कि हम क्या लिखवा रहे हैं, नेकी या गीबत। उन्होंने लोगों से अपील की कि मोबाइल को शिकायत, बुराई और नकारात्मक बातें फैलाने का जरिया न बनाएं, बल्कि रिश्तों में मिठास, इल्म और अच्छाई फैलाने के लिए इस्तेमाल करें।
बता दें कि मौलाना इसहाक गोरा देवबंद के जाने-माने उलेमा हैं। इससे पहले उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के रात में मेला घूमने पर आपत्ति जताई थी। वे हमेशा समाज में नैतिकता और सुधार की बातें खुलकर करते हैं। उनके कई बयान पहले भी सोशल मीडिया पर चर्चा में रह चुके हैं।
मौलाना इसहाक गोरा ने कहा है कि आजकल घर-घर में मोबाइल फोन ने बरकत और सुकून छीन लिया है। कई महिलाएं मोबाइल पर जरूरत से ज्यादा वक्त बिताती हैं। मां, बहन या दोस्तों से घंटों बातें करती हैं। उन्होंने कहा कि इन बातचीतों में अक्सर गीबत (दूसरों की बुराई) का हिस्सा शामिल होता है, जो न सिर्फ जुबान का गुनाह है, बल्कि घर के माहौल और रिश्तों को भी बिगाड़ देता है। मौलाना ने कहा कि दुनिया में जो भी चीज इंसान की सहूलियत के लिए आई है, उसका इस्तेमाल हमेशा दो तरह से हुआ है, एक सही और दूसरा गलत।
मौलाना ने कहा कि मोबाइल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मोबाइल सिर्फ बुराइयों के लिए दिया गया है। क्यों न इसी मोबाइल का इस्तेमाल हम दीनी बातें सीखने, भलाई फैलाने और इल्म बढ़ाने में करें। उन्होंने कहा कि मोबाइल अपने आप में बुरा नहीं है, बल्कि उसका इस्तेमाल इंसान को अच्छा या बुरा बनाता है। अगर मोबाइल का उपयोग कुरआन सुनने, नेक बातें सीखने या दूसरों का हौसला बढ़ाने में किया जाए, तो यही मोबाइल दीन और दुनिया दोनों के लिए फायदेमंद बन सकता है।
मौलाना कारी इसहाक गोरा ने यह भी कहा कि हमारी जुबान से निकली हर बात फरिश्तों के नामे-आमाल में लिखी जाती है, इसलिए सोचिए कि हम क्या लिखवा रहे हैं, नेकी या गीबत। उन्होंने लोगों से अपील की कि मोबाइल को शिकायत, बुराई और नकारात्मक बातें फैलाने का जरिया न बनाएं, बल्कि रिश्तों में मिठास, इल्म और अच्छाई फैलाने के लिए इस्तेमाल करें।
बता दें कि मौलाना इसहाक गोरा देवबंद के जाने-माने उलेमा हैं। इससे पहले उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के रात में मेला घूमने पर आपत्ति जताई थी। वे हमेशा समाज में नैतिकता और सुधार की बातें खुलकर करते हैं। उनके कई बयान पहले भी सोशल मीडिया पर चर्चा में रह चुके हैं।
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