नई दिल्ली: हाल ही में पर्सनल ग्रूमिंग, फिटनेस और वेलनेस सेवाओं पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया था। यह बदलाव 22 सितंबर से लागू हुआ। लेकिन उम्मीद के मुताबिक कीमतें कम होने के बजाय देश भर के ग्राहकों को सैलून, जिम, योगा स्टूडियो और फिटनेस सेंटरों में 10% से 20% तक की बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी मुख्य वजह यह है कि अब व्यवसायों को अपने खर्चों, जैसे कि उपकरण, बिजली-पानी का बिल और किराया पर लगने वाले टैक्स का पूरा बोझ खुद उठाना पड़ रहा है। पहले उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का फायदा मिलता था, जो अब बंद हो गया है।
क्या है आईटीसी?इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) एक ऐसी सुविधा है जिससे कंपनियां उन चीजों पर पहले से भरे टैक्स को वापस पा सकती हैं जो वे अपने काम के लिए इस्तेमाल करती हैं, जैसे कच्चा माल या अन्य सेवाएं। इससे उनका कुल टैक्स बिल कम हो जाता है।
एक बड़ी सैलून चेन के फाउंडर ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया, 'हमारे जैसे कई सैलून ने नई जीएसटी दरों के लागू होने से ठीक पहले अपनी सेवाओं की कीमतें बढ़ा दीं। हम ग्राहकों के लिए किफायती बने रहने और मुनाफा कमाने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन आईटीसी के फायदे के बिना, अगर हम ग्राहकों से पुरानी कीमतों पर ही सेवाएं देते तो हमें नुकसान होता।' इंडस्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि सैलून जैसे व्यवसायों के लिए आईटीसी के बिना जीएसटी में हुई कटौती का कोई फायदा नहीं मिल रहा है।
कई जगह दिख रहा असरजिन सेवाओं पर आईटीसी का लाभ नहीं मिलता उन्होंने भी अपनी कीमतें थोड़ी बढ़ा दी हैं। यह खासकर असंगठित क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिल रहा है। सिर्फ सैलून ही नहीं, दूसरे क्षेत्र भी प्रभावित हुए हैं। कैटरिंग सेवाएं, टैक्सी लीजिंग और यहां तक कि बीमा कंपनियां भी, खासकर संगठित क्षेत्र में, कीमतें कम करने में हिचकिचा रही हैं।
जितना फायदा, उतना नुकसानVLCC हेल्थ केयर के पूर्व प्रबंध निदेशक और अब स्वतंत्र सलाहकार संदीप आहूजा ने बताया कि ब्यूटी इंडस्ट्री काफी समय से सरकार से ग्रूमिंग सेवाओं पर जीएसटी कम करने की मांग कर रही थी। उन्होंने आगे कहा कि भले ही जीएसटी में कटौती काफी बड़ी है, लेकिन आईटीसी के हटने से यह एक जीरो-सम गेम (यानी जितना फायदा हुआ उतना ही नुकसान) बन गया है।
आहूजा ने कहा कि ब्यूटी इंडस्ट्री के लिए यह और भी मुश्किल है, क्योंकि सैलून में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और गैजेट्स की उम्र बहुत लंबी नहीं होती और उन्हें बार-बार बदलना पड़ता है। ये सब लगातार होने वाले खर्चे हैं। आईटीसी हटने के बाद दिल्ली-एनसीआर के सैलून चेन ने अपने सभी आउटलेट्स पर कीमतों में बदलाव कर दिया है।
अधिकारी ने कही कार्रवाई की बातवित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने भी इस स्थिति को स्वीकार किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर उन्हें ऐसी कोई शिकायत मिलती है जहां सेवाओं पर ज्यादा जीएसटी वसूला जा रहा है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, असंगठित क्षेत्र में कीमतों पर नजर रखना एक चुनौती है, क्योंकि इन सेवाओं के लिए कोई तय अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) नहीं होता है।
क्या है आईटीसी?इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) एक ऐसी सुविधा है जिससे कंपनियां उन चीजों पर पहले से भरे टैक्स को वापस पा सकती हैं जो वे अपने काम के लिए इस्तेमाल करती हैं, जैसे कच्चा माल या अन्य सेवाएं। इससे उनका कुल टैक्स बिल कम हो जाता है।
एक बड़ी सैलून चेन के फाउंडर ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया, 'हमारे जैसे कई सैलून ने नई जीएसटी दरों के लागू होने से ठीक पहले अपनी सेवाओं की कीमतें बढ़ा दीं। हम ग्राहकों के लिए किफायती बने रहने और मुनाफा कमाने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन आईटीसी के फायदे के बिना, अगर हम ग्राहकों से पुरानी कीमतों पर ही सेवाएं देते तो हमें नुकसान होता।' इंडस्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि सैलून जैसे व्यवसायों के लिए आईटीसी के बिना जीएसटी में हुई कटौती का कोई फायदा नहीं मिल रहा है।
कई जगह दिख रहा असरजिन सेवाओं पर आईटीसी का लाभ नहीं मिलता उन्होंने भी अपनी कीमतें थोड़ी बढ़ा दी हैं। यह खासकर असंगठित क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिल रहा है। सिर्फ सैलून ही नहीं, दूसरे क्षेत्र भी प्रभावित हुए हैं। कैटरिंग सेवाएं, टैक्सी लीजिंग और यहां तक कि बीमा कंपनियां भी, खासकर संगठित क्षेत्र में, कीमतें कम करने में हिचकिचा रही हैं।
जितना फायदा, उतना नुकसानVLCC हेल्थ केयर के पूर्व प्रबंध निदेशक और अब स्वतंत्र सलाहकार संदीप आहूजा ने बताया कि ब्यूटी इंडस्ट्री काफी समय से सरकार से ग्रूमिंग सेवाओं पर जीएसटी कम करने की मांग कर रही थी। उन्होंने आगे कहा कि भले ही जीएसटी में कटौती काफी बड़ी है, लेकिन आईटीसी के हटने से यह एक जीरो-सम गेम (यानी जितना फायदा हुआ उतना ही नुकसान) बन गया है।
आहूजा ने कहा कि ब्यूटी इंडस्ट्री के लिए यह और भी मुश्किल है, क्योंकि सैलून में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और गैजेट्स की उम्र बहुत लंबी नहीं होती और उन्हें बार-बार बदलना पड़ता है। ये सब लगातार होने वाले खर्चे हैं। आईटीसी हटने के बाद दिल्ली-एनसीआर के सैलून चेन ने अपने सभी आउटलेट्स पर कीमतों में बदलाव कर दिया है।
अधिकारी ने कही कार्रवाई की बातवित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने भी इस स्थिति को स्वीकार किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर उन्हें ऐसी कोई शिकायत मिलती है जहां सेवाओं पर ज्यादा जीएसटी वसूला जा रहा है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, असंगठित क्षेत्र में कीमतों पर नजर रखना एक चुनौती है, क्योंकि इन सेवाओं के लिए कोई तय अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) नहीं होता है।
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