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पापा ने जितना रोका मैं उतना बिगड़ा, गर्लफ्रेंड ने छोड़ा तो सिगरेट पीने लगा, मम्मी और दीदी ने मुझे संभाला

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माता-पिता जब अपने बच्चों के साथ जरूरत से ज्यादा सख्ती बरतते हैं तो इसका बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे बच्चे या तो दब्बू हो जाते हैं या विद्रोही। रितिक शर्मा विद्रोही बन गया। पापा ने जितनी रोकटोक लगाई रितिक उतना ढीठ होता गया। स्कूल के दिनों में ही मोहल्ले के लड़कों के साथ सिगरेट पीने लगा। स्कूल बंक करने लगा। उसे समझ ही नहीं आया कि पिता की सख्ती का विरोध करने का ये तरीका सही नहीं है।

25 साल के रितिक का मानना है कि जेन जी पेरेंट्स के मन की बात समझते हैं, लेकिन माता-पिता को भी बच्चों के दिल की बात समझनी चाहिए। जरूरत के ज्यादा सख्ती बच्चों को पेरेंट्स से दूर कर देती है। इस स्थिति में बच्चे के गुमराह होने की संभावना बढ़ जाती है। ‘जेन जी की बात’ सीरीज में आज जानिए जमशेदपुर के रितिक शर्मा की मन की बात।
पापा की सख्ती ने मुझे ढीठ बनाया image

मेरी परवरिश जमशेदपुर, बिहार में हुई। कहने को तो मैं दो बड़ी बहनों का छोटा भाई हूं। लेकिन बेटा होने के कारण मुझे बार बार जिम्मेदारी का एहसास कराया जाता है। घर में पापा पढ़ाई का प्रेशर बनाकर रखते थे। मन हो या ना हो, अगर पापा घर में हैं तो बच्चों के हाथ में किताब होना जरूरी है। मुझे ये जबरदस्ती अच्छी नहीं लगती थी। मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता था। लेकिन जैसे ही पापा डोर बेल बजाते मुझे किताब लेकर बैठना होता था।




घर में पाबंदी थी इसलिए घर से निकलते ही मैं आजादी का फायदा उठाने लगा। पड़ोस के कुछ बच्चे जो मेरे स्कूल फ्रेंड भी हैं उनके साथ मैंने सिगरेट पीना शुरू कर दिया। स्कूल में मेरी अटेंडेंस भी बहुत कम होती थी। जब पापा को इन सब बातों का पता चला तो वो और नाराज हो गए। जब मैं नवीं क्लास में फेल हुआ तो पापा ने मुझसे बात करना बंद कर दिया। स्कूल के बाद पापा ने मुझे पढ़ाई के लिए पंजाब भेज दिया। उनका कहना था कि गलत संगत में मैं बिगड़ रहा हूं।


छोटे शहर के युवाओं की समस्या image

पंजाब में मुझे पढ़ाई करते हुए छह महीने ही हुए थे कि लॉकडाउन लग गया। मुझे घर लौटना पड़ा। लॉकडाउन का भी मेरी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा। लेकिन जल्द ही मैंने अपनी पढ़ाई रूटीन बनाया और अपनी फूड टेक्नोलॉजी की डिग्री हासिल कर ली। मुझे दिल्ली में इंटर्नशिप मिली तो राहत महसूस हुई। दिल्ली में दीदी रहती थी इसलिए मुझे एडजस्ट करने में दिक्कत नहीं हुई।



मेरा ये मानना है कि बड़े शहर के बच्चों के मुकाबले छोटे शहर के युवाओं को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। मुझे जमशेदपुर से दिल्ली तक पहुंचने के लिए कई पड़ावों से होकर गुजरना पड़ा। मेरे जैसे छोटे शहर के लड़कों का कॉन्फिडेंस बड़े शहर के लड़कों जैसा नहीं होता। हम बहुत डर-सहम कर बड़े शहरों में कदम रखते हैं।



मेरे माता-पिता छोटे शहर में ही रहे। हमें कोई गाइड करने वाला नहीं था। मुझसे पहले मेरी बड़ी बहन दिल्ली आयी। दीदी थी इसलिए मेरे लिए दिल्ली में रहना आसान हो गया। लेकिन दीदी को दिल्ली आने के लिए पापा को बहुत समझाना पड़ा।


गर्लफ्रेंड ने ब्रेकअप किया image

स्कूल में ही मुझे एक लड़की से प्यार हुआ। कुछ समय बहुत अच्छा बीता। फिर गर्लफ्रैंड ने आठ महीने में ही ब्रेकअप कर लिया। उसे लगता था कि मैं बहुत रोकटोक करता हूं। दिल टूटने का मुझ पर गहरा असर हुआ। इस समय भी बचपन के वही दोस्त काम आए जिनकी संगत से पापा मुझे दूर रखना चाहते थे।



पापा को भले ही मेरे दोस्त अच्छे नहीं लगते। लेकिन जब भी मैं या मेरा परिवार मुसीबत में होता है तो मेरे वही दोस्त काम आते हैं। कुछ समय पहले मेरी बहन बहुत बीमार हुई। मैं पंजाब से घर नहीं आ सकता था। तब मेरे दोस्त ही बहन को डॉक्टर के पास ले गए। मेरे परिवार का ध्यान रखा।


दीदी ने बदला घर का माहौल image

नानी अकेले रहती थीं इसलिए बचपन में मेरी बड़ी दीदी को उनके पास भेज दिया गया। दीदी बारहवीं की पढ़ाई के बाद जब वापस घर लौटीं तो उनके आने से घर का माहौल बदलने लगा। दीदी पापा को समझाती कि बच्चों को हर समय डांटने से उनका कॉन्फिडेंस कम होता है। घर का माहौल सही न हो तो बच्चे घर से बाहर रहने के बहाने ढूंढ़ने लगते हैं। दीदी के समझाने से पापा के व्यवहार में काफी बदलाव आया।


पापा मन के बुरे नहीं हैं image

अब जब मैं पापा के करीब आने लगा हूं तब मुझे समझ आ रहा है कि मेरे पापा मन के बुरे नहीं हैं। उन्हें अपने जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ा। पढ़ाई का सही माहौल नहीं मिला। इसलिए पापा को लगता था कि मेरे बच्चे ठीक से पढ़-लिख लेंगे तो उनका भविष्य सुधर जाएगा। पापा चाहते थे कि हमें किसी तरह सरकारी नौकरी मिल जाए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।



हमारा भविष्य संवारने के लिए पापा ने घर में सख्ती का माहौल रखा। इसकी वजह से मैं पापा से दूर होता चला गया। लेकिन अब मैं पापा को समझने लगा हूं। पापा ने भी खुद को काफी बदल दिया है। अब हमारे घर का माहौल अच्छा हो गया है। इसका श्रेय मेरी बड़ी बहन और मां को जाता है। दीदी ने पापा को बदला और मां ने हमेशा हमारा साथ दिया।


मैं बिजनेस करना चाहता हूं image

मैं अभी काम सीख रहा हूं। फूड टेक्नोलॉजी को समझ रहा हूं। लेकिन मैं हमेशा नौकरी नहीं करना चाहता। नौकरी में ग्रोथ बहुत स्लो होती है। मैं अपना बिजनेस करना चाहता हूं। हमारे देश में फूड सेक्टर में बिजनेस की कई संभावनाएं हैं। मैं अपना स्टार्टअप जमशेदपुर और बिहार के अन्य राज्यों से शुरू करना चाहता हूं। मैं पहले बिजनेस में सेटल होना चाहता हूं, उसके बाद लाइफ पार्टनर के बारे में सोचूँगा। जब तक मैं अपने सपने पूरे नहीं कर लेता, तब तक किसी और सपने के बारे में नहीं सोचना चाहता।

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