नई दिल्ली: हर साल ओडिशा के समुद्र तटों पर प्रकृति एक ऐसा नजारा पेश करती है, जो देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देता है। लाखों ओलिव रिडले कछुए, अपने छोटे-छोटे फ्लिपरों से रेत पर निशान बनाते हुए, अंडे देने के लिए गहिरमाथा और रुशिकुल्या के तटों पर आते हैं। इसे 'अरिबाडा' कहते जो स्पेनिश का शब्द है जिसका अर्छ है: 'आगमन'। यह दुनिया के सबसे बड़े सामूहिक घोंसला बनाने वाले आयोजनों में से एक है। इस साल यह नजारा और भी खास रहा, क्योंकि 6.1 लाख से ज्यादा कछुओं ने गहिरमाथा में और 7 लाख ने रुशिकुल्या में अंडे दिए। लेकिन इस खूबसूरत कहानी के साथ जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां भी जुड़ रही हैं। रात का जादू: कछुओं का आगमनगहिरमाथा तट भुवनेश्वर से 170 किलोमीटर दूर, हर साल फरवरी में एक जीवंत मंच बन जाता है। जैसे ही रात का अंधेरा गहराता है, हजारों मादा ओलिव रिडले कछुए समुद्र की लहरों को चीरते हुए किनारे पर आती हैं। अपने फ्लिपरों से रेत को खुरचते हुए, वे अंडे देने के लिए सही जगह तलाशती हैं। हर कछुआ 100-120 अंडे देता है, उन्हें रेत में दबाकर वापस समुद्र की ओर लौट जाता है। यह नजारा इतना मनमोहक है कि इसे देखकर समय ठहर सा जाता है। इस साल गहिरमाथा में 6.1 लाख कछुओं ने अंडे दिए, जो पिछले साल के 3.5 लाख से कहीं ज्यादा है। रुशिकुल्या में भी 7 लाख कछुए आए और खास बात यह कि 2 लाख कछुए आठ साल बाद दोबारा अंडे देने लौटे।
संरक्षण की जीत एक लंबी लड़ाईओलिव रिडले कछुओं की कहानी सिर्फ प्रकृति की नहीं, बल्कि इंसानी जज्बे की भी है। 1999-2003 के बीच हर साल हजारों कछुए मछली पकड़ने के जाल में फंसकर मर जाते थे। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 2004 में ओडिशा सरकार ने संरक्षण की दिशा में कदम उठाए। मछली पकड़ने पर रोक, बीच की सफाई, लाइट प्रदूषण कम करना और अंडों को जंगली जानवरों से बचाना जैसे ये सभी प्रयास रंग लाए। स्थानीय समुदाय भी इस मुहिम में शामिल हुआ। पोडम्पेटा गांव के रबींद्र कुमार साहू जैसे वालंटियर वन विभाग और मछुआरों के बीच सेतु बने। असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट दिब्या बेहरा कहते हैं, 'स्थानीय लोगों के बिना यह संरक्षण असंभव था। कछुओं के प्रति उनका अपनापन इसकी सबसे बड़ी ताकत है।' GPS और रहस्यमयी यात्राएंकछुओं की दुनिया को और करीब से समझने के लिए ओडिशा वन विभाग ने कुछ कछुओं पर GPS ट्रैकर लगाए। इनसे पता चला कि ये कछुए अंडे देने के लिए श्रीलंका के तटों तक हजारों किलोमीटर की यात्रा करते हैं। डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर सुदर्शन गोपीनाथ यादव कहते हैं, 'ये चिप्स हमें कछुओं के गहरे समुद्र के जीवन और उनकी यात्रा के बारे में नई जानकारी दे रही हैं।' भारतीय वन्यजीव संस्थान को उम्मीद है कि सैटेलाइट डेटा से ओलिव रिडले की जिंदगी के अनसुलझे रहस्य खुलेंगे।
जलवायु परिवर्तन की छायालेकिन इस खूबसूरत कहानी में एक चिंता भी छिपी है। जलवायु परिवर्तन के कारण रेत का तापमान बढ़ रहा है, जिससे मादा कछुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के शोध के अनुसार, 31°C से ज्यादा तापमान पर मादा बच्चे ज्यादा पैदा होते हैं। रुशिकुल्या में 2022 में 97% बच्चे मादा थे। कछुआ जीवविज्ञानी बी सी चौधरी बताते हैं कि यह 'फेमिनाइजेशन' कछुओं की आबादी के लिए खतरा बन सकता है, क्योंकि नर-मादा का संतुलन बिगड़ रहा है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के मुरलीधरन मनोहराकृष्णन कहते हैं ति तापमान में उतार-चढ़ाव ही इस नाजुक चक्र को बनाए रखता है। एक नाजुक चक्रकछुआ एक्सपर्ट सुशील दत्ता कहते हैं कि यह प्रकृति का नाजुक चक्र है। एक हजार में से सिर्फ एक बच्चा ही वयस्क बन पाता है। फिर भी, जो बचते हैं, वे इस अनोखे उत्सव को जिंदा रखते हैं। ओडिशा के संरक्षण प्रयासों की गूंज अब वैश्विक स्तर पर सुनाई देती है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 2022-23 में मिसाइल परीक्षण स्थगित कर कछुओं को प्राथमिकता दी। तटरक्षक बल और सशस्त्र बल भी उनकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं। संरक्षणवादी बिजय कुमार कबी कहते हैं, कछुओं को साफ तट चाहिए, वरना वे लौट जाते हैं।
दुनिया का सबसे खास 'अरिबाडा'मेक्सिको और कोस्टा रिका में भी कछुओं का सामूहिक घोंसला बनता है, लेकिन ओडिशा का 'अरिबाडा' अपनी भव्यता में बेजोड़ है। डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर सनी खोखर ने बताया कि समुद्री धाराएं, रेत की गुणवत्ता, और खाने की उपलब्धता ये सब कछुओं को ओडिशा खींच लाते हैं। जैसे ही सूरज ढलता है और कछुए रेत पर अपने निशान छोड़ते हैं, यहां की रेत एक कहानी कहती है: प्रकृति, संरक्षण, और इंसानी जज्बे की कहानी।

You may also like
Nuclear Engineer Course Salary: क्या 'परमाणु बम' बनाने की भी पढ़ाई होती है? क्या होता है न्यूक्लियर इंजीनियरिंग कोर्स
सूर्य का कर्क राशि में परिवर्तन इन 6 राशियों का आएगा हर तरफ से पैसा, भर जाएँगी तिजोरिया
शामली में रेत खनन विवाद में गोलीबारी, चार लोग घायल
Viet and Nam: A Poignant Exploration of Queer Love Amidst Tradition
OTT पर 5 भारतीय फिल्में जो वैश्विक पहचान प्राप्त कर चुकी हैं