मैहरः मध्य प्रदेश के मैहर जिले से सामने आई एक तस्वीर ने विकास के तमाम सरकारी दावों की पोल खोलकर रख दी है। यहां आजादी के दशकों बाद भी यहां के गांवों के लोग एक पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं। आलम यह है कि गांव में किसी के बीमार पड़ने पर एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती। हाल ही में, एक 42 वर्षीय बीमार दीनदयाल पाल को ग्रामीणों ने खाट पर लादकर 2 किलोमीटर तक कीचड़ भरे रास्ते को पार कराया है। ताकि इलाज के लिए उसे अस्पताल पहुंचाया जा सके।
दरअसल, यह शर्मसार करने वाली घटना एमपी में मैहर जिले की ग्राम पंचायत बंशीपुर की है। जहा गांव के निवासी 42 वर्षीय दीनदयाल पाल की बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। परिजनों ने एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन सड़क न होने के कारण एंबुलेंस ने गांव आने में असमर्थता जता दी।
खाट में जाने को मजबूर मरीज
कोई और रास्ता न देख, ग्रामीणों ने खाट पर दीनदयाल को लेटाया। फिर चार लोगों ने कंधों पर उठाया और करीब 2 किलोमीटर तक ऊबड़-खाबड़ और कीचड़ से भरे रास्ते पर पैदल चले। मुख्य सड़क पर पहुंचने के बाद एक निजी वाहन की मदद से मरीज को मैहर के अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर ग्रामीणों ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है, जो अब व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
कई सालों से ग्रामीण कर रहे है सड़क की मांग
ग्रामीणों का आरोप है कि वे पिछले कई सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं। हर चुनाव में नेता आते हैं, सड़क बनवाने का वादा करते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई सुध नहीं लेता है। बारिश के मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान और स्कूली बच्चों को भी इसी तरह पालकी या पैदल ही कीचड़ भरा रास्ता पार करना पड़ता है।
दरअसल, यह शर्मसार करने वाली घटना एमपी में मैहर जिले की ग्राम पंचायत बंशीपुर की है। जहा गांव के निवासी 42 वर्षीय दीनदयाल पाल की बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। परिजनों ने एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन सड़क न होने के कारण एंबुलेंस ने गांव आने में असमर्थता जता दी।
खाट में जाने को मजबूर मरीज
कोई और रास्ता न देख, ग्रामीणों ने खाट पर दीनदयाल को लेटाया। फिर चार लोगों ने कंधों पर उठाया और करीब 2 किलोमीटर तक ऊबड़-खाबड़ और कीचड़ से भरे रास्ते पर पैदल चले। मुख्य सड़क पर पहुंचने के बाद एक निजी वाहन की मदद से मरीज को मैहर के अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर ग्रामीणों ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है, जो अब व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
कई सालों से ग्रामीण कर रहे है सड़क की मांग
ग्रामीणों का आरोप है कि वे पिछले कई सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं। हर चुनाव में नेता आते हैं, सड़क बनवाने का वादा करते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई सुध नहीं लेता है। बारिश के मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान और स्कूली बच्चों को भी इसी तरह पालकी या पैदल ही कीचड़ भरा रास्ता पार करना पड़ता है।
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