नई दिल्ली : प्रमुख भारतीय शहरों में रात का तापमान साल भर आसपास के ग्रामीण इलाकों से 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक बढ़ गया है। इसका मुख्य कारण शहरों की इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे की खराब स्थिति है। वर्ल्ड बैंक की एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जहां लखनऊ में रात के समय तापमान 5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहता है। वहीं चेन्नई और सूरत में यह 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में क्या है?
मंगलवार को जारी 'भारत में लचीले और समृद्ध शहरों की ओर' शीर्षक वाली रिपोर्ट में पाया गया है कि तीव्र गर्मी की लहरें और शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव शहरी केंद्रों में तापमान वृद्धि का कारण बन रहे हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आने वाले दशकों में गर्मी के खतरे में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। साथ ही इस वृद्धि की तीव्रता वैश्विक उत्सर्जन परिदृश्य पर निर्भर करेगी।
दिल्ली में बढ़ेगा बाढ़ का खतरा
इस रिपोर्ट में 24 भारतीय शहरों को शामिल किया गया है। इसमें चेन्नई, इंदौर, नई दिल्ली, लखनऊ, सूरत और तिरुवनंतपुरम पर विशेष ध्यान दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि अगले 50 वर्षों में वर्षा बाढ़ (भारी वर्षा के कारण सतही जल बाढ़) का जोखिम 73-100% तक बढ़ने का अनुमान है।
शहरों में, दिल्ली में वर्षा बाढ़ के संपर्क में आने वाला सबसे अधिक निर्मित क्षेत्र है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निरंतर शहरीकरण और जलवायु प्रभावों के कारण और बिना किसी सुधारात्मक कार्रवाई के, वर्षा बाढ़ से होने वाला वार्षिक नुकसान बढ़ेगा। यह नुकसान साल 2030 तक 5 अरब डॉलर और 2070 तक 14 से 30 अरब डॉलर के बीच होने का अनुमान है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में क्या है?
मंगलवार को जारी 'भारत में लचीले और समृद्ध शहरों की ओर' शीर्षक वाली रिपोर्ट में पाया गया है कि तीव्र गर्मी की लहरें और शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव शहरी केंद्रों में तापमान वृद्धि का कारण बन रहे हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आने वाले दशकों में गर्मी के खतरे में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। साथ ही इस वृद्धि की तीव्रता वैश्विक उत्सर्जन परिदृश्य पर निर्भर करेगी।
दिल्ली में बढ़ेगा बाढ़ का खतरा
इस रिपोर्ट में 24 भारतीय शहरों को शामिल किया गया है। इसमें चेन्नई, इंदौर, नई दिल्ली, लखनऊ, सूरत और तिरुवनंतपुरम पर विशेष ध्यान दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि अगले 50 वर्षों में वर्षा बाढ़ (भारी वर्षा के कारण सतही जल बाढ़) का जोखिम 73-100% तक बढ़ने का अनुमान है।
शहरों में, दिल्ली में वर्षा बाढ़ के संपर्क में आने वाला सबसे अधिक निर्मित क्षेत्र है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निरंतर शहरीकरण और जलवायु प्रभावों के कारण और बिना किसी सुधारात्मक कार्रवाई के, वर्षा बाढ़ से होने वाला वार्षिक नुकसान बढ़ेगा। यह नुकसान साल 2030 तक 5 अरब डॉलर और 2070 तक 14 से 30 अरब डॉलर के बीच होने का अनुमान है।
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