नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्रसंघ चुनाव में केंद्रीय पैनल की चारों सीटों पर लेफ्ट समर्थित छात्र संगठनों ने जीत हासिल की है। वहीं, पिछले साल एक सीट हासिल करने वाली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी चारों सीटों पर चुनाव हार गई। इस बार जेएनयू छात्र संघ चुनावों में मुख्य मुकाबला विद्यार्थी परिषद और लेफ्ट समर्थित छात्र संगठनों के बीच था।
अध्यक्ष पद पर अदिति मिश्रा, उपाध्यक्ष पद पर कीझाकूट गोपिका बाबू, महासचिव पद पर सुनील यादव और सचिव पद पर दानिश को जीत मिली है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 4 नवंबर को छात्रसंघ चुनावों के लिए मतदान हुआ था।
कौन हैं अदिति मिश्रा?उत्तर प्रदेश के वाराणसी की रहने वाली अदिति मिश्रा ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल कर वामपंथी छात्र राजनीति की निरंतरता को साबित किया है। अदिति ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट किया है। उन्होंने पांडिचेरी विश्वविद्यालय में छात्र आंदोलनों का नेतृत्व किया, अब JNU में पीएचडी कर रही हैं और उन्होंने लैंगिक हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाई है। उनकी जीत सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक विचारधारा की जीत है जो असहमति, समानता और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर केंद्रित है।
बनारस से जेएनयू तक का सफर
अध्यक्ष पद पर अदिति मिश्रा, उपाध्यक्ष पद पर कीझाकूट गोपिका बाबू, महासचिव पद पर सुनील यादव और सचिव पद पर दानिश को जीत मिली है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 4 नवंबर को छात्रसंघ चुनावों के लिए मतदान हुआ था।
कौन हैं अदिति मिश्रा?उत्तर प्रदेश के वाराणसी की रहने वाली अदिति मिश्रा ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल कर वामपंथी छात्र राजनीति की निरंतरता को साबित किया है। अदिति ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट किया है। उन्होंने पांडिचेरी विश्वविद्यालय में छात्र आंदोलनों का नेतृत्व किया, अब JNU में पीएचडी कर रही हैं और उन्होंने लैंगिक हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाई है। उनकी जीत सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक विचारधारा की जीत है जो असहमति, समानता और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर केंद्रित है।
बनारस से जेएनयू तक का सफर
- अदिति मिश्रा उत्तर प्रदेश के बनारस की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई यहीं पूरी की। सितंबर 2017 में, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में एक छात्र आंदोलन हुआ था। अदिति ने इस आंदोलन में पूरी सक्रियता से भाग लिया।
- साल 2018 में, अदिति ने पांडिचेरी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। वहां उन्होंने हिंदुत्व विचारधारा को फैलाने और भगवाकरण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति के कार्यालय का घेराव भी किया।
- 2019 में, विश्वविद्यालय प्रशासन ने फीस में काफी बढ़ोतरी कर दी। इसके विरोध में छात्रों ने मिलकर प्रशासनिक भवन को बंद कर दिया। इस आंदोलन में अदिति सबसे आगे थीं। उन्होंने सिर्फ फीस वृद्धि के खिलाफ ही नहीं, बल्कि सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) के विरोध प्रदर्शनों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
- साल 2020 में, जब सीएए के खिलाफ आंदोलन और तेज हो गया, तब अदिति ने समाज के जरूरतमंद और पिछड़े तबकों के छात्रों के अधिकारों के लिए जोरदार आवाज उठाई।
You may also like

क्षेत्रीय भाषा बोली कवि सम्मेलन में कवियों ने काव्य पाठ किया

अखिल भारतीय कालिदास समारोह का समापन शुक्रवार को

समीक्षा: शास्त्रीय वाद्ययंत्रों की मधुर अनुगूंज से महका कालिदास का आंगन

दिव्यांग युवक की शादी में धोखाधड़ी: दुल्हन ने किया फरार

लूट के बाद मजदूर को पटरी पर फेंका, ट्रेन की चपेट में आने से कटा पैर




