वॉशिंगटन: भारत पर टैरिफ लगाए जाने को लेकर ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों की बयानबाजी में अमेरिका के ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट का नाम जुड़ गया है। राइट ने कहा कि वह भारत बहुत बड़े प्रशंसक हैं और उन्होंने नई दिल्ली को वॉशिंगटन का शानदार सहयोगी बताया। हालांकि, उन्होंने भारत की रूस से तेल खरीद पर आपत्ति जताई और नई दिल्ली से इस पर फिर से विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली के पास इसके कई वैकल्पिक स्रोत हैं। उन्होंने वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये बात कही।
भारत को बताया अमेरिका का सहयोगी
एक पत्रकार के सवाल जवाब देते हुए राइट ने कहा, 'मैं भारत का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। यह अमेरिका का एक शानदार सहयोगी है। लेकिन यह रूसी तेल भी खरीद रहा है। हम यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं और मेरा मानना है कि भारत भी यही चाहता है। अमेरिका भारत के साथ ऊर्जा व्यापार बढ़ाने के अलावा और कुछ नहीं चाहता।'
रूसी तेल छोड़कर किसी से खरीद लो
राइट ने कहा कि 'हम भारत को सजा नहीं देना चाहते। आप दुनिया के हर देश से तेल खरीद सकते हैं, बस रूसी तेल नहीं। यह हमारा रुख है। अमेरिका के पास बेचने के लिए तेल है और बाकी सभी के पास भी।' उन्होंने आगे कहा, 'दुनिया में बहुत सारे तेल निर्यातक हैं। भारत को रूसी तेल खरीदने की जरूरत नहीं है। भारत रूसी तेल इसलिए खरीदता है क्योंकि यह सस्ता है। कोई भी रूसी तेल नहीं खरीदना चाहता। उन्हें इसे छूट पर बेचना पड़ता है।'
भारत के साथ ऊर्जा सहयोग बढ़ाने की बात
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिका ने रूसी तेल के भारतीय आयात पर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है, जिससे भारत पर कुल टैरिफ 50% पहुंच गया है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि रूसी तेल की खरीद से मॉस्को के सैन्य अभियान को धन मिलता है। राइट ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका प्राकृतिक गैस, कोयला, परमाणु ऊर्जा और स्वच्छ रसोई ईंधन समेत कई क्षेत्रों में भारत के साथ ऊर्जा सहयोग बढ़ाने के लिए उत्सुक है।
उन्होंने कहा, 'मैं भारत का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। हम भारत से प्यार करते हैं। हम भारत के साथ और अधिक ऊर्जा व्यापार और अधिक पारस्परिक संपर्क की उम्मीद करते हैं।' ऊर्जा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिबंधित रूसी तेल अभी भी चीन, भारत और तुर्की जैसे देशों तक पहुंच रहा है, जिससे मॉस्को को अपने युद्ध की फंडिंग में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा, 'यही टकराव है। हम उस युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं। मेरा मानना है कि भारतीय भी युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं।'
भारत को बताया अमेरिका का सहयोगी
एक पत्रकार के सवाल जवाब देते हुए राइट ने कहा, 'मैं भारत का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। यह अमेरिका का एक शानदार सहयोगी है। लेकिन यह रूसी तेल भी खरीद रहा है। हम यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं और मेरा मानना है कि भारत भी यही चाहता है। अमेरिका भारत के साथ ऊर्जा व्यापार बढ़ाने के अलावा और कुछ नहीं चाहता।'
रूसी तेल छोड़कर किसी से खरीद लो
राइट ने कहा कि 'हम भारत को सजा नहीं देना चाहते। आप दुनिया के हर देश से तेल खरीद सकते हैं, बस रूसी तेल नहीं। यह हमारा रुख है। अमेरिका के पास बेचने के लिए तेल है और बाकी सभी के पास भी।' उन्होंने आगे कहा, 'दुनिया में बहुत सारे तेल निर्यातक हैं। भारत को रूसी तेल खरीदने की जरूरत नहीं है। भारत रूसी तेल इसलिए खरीदता है क्योंकि यह सस्ता है। कोई भी रूसी तेल नहीं खरीदना चाहता। उन्हें इसे छूट पर बेचना पड़ता है।'
भारत के साथ ऊर्जा सहयोग बढ़ाने की बात
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिका ने रूसी तेल के भारतीय आयात पर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है, जिससे भारत पर कुल टैरिफ 50% पहुंच गया है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि रूसी तेल की खरीद से मॉस्को के सैन्य अभियान को धन मिलता है। राइट ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका प्राकृतिक गैस, कोयला, परमाणु ऊर्जा और स्वच्छ रसोई ईंधन समेत कई क्षेत्रों में भारत के साथ ऊर्जा सहयोग बढ़ाने के लिए उत्सुक है।
उन्होंने कहा, 'मैं भारत का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। हम भारत से प्यार करते हैं। हम भारत के साथ और अधिक ऊर्जा व्यापार और अधिक पारस्परिक संपर्क की उम्मीद करते हैं।' ऊर्जा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिबंधित रूसी तेल अभी भी चीन, भारत और तुर्की जैसे देशों तक पहुंच रहा है, जिससे मॉस्को को अपने युद्ध की फंडिंग में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा, 'यही टकराव है। हम उस युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं। मेरा मानना है कि भारतीय भी युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं।'
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