वॉशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भारत को परेशान करने वाली हैं। ज्यादातर लोग ये समझ नहीं पा रहे हैं कि अचानक ऐसा क्या हुआ है कि अमेरिका भारत के खिलाफ खुलकर खड़ा हो गया है। डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन एक के बाद एक भारत के खिलाफ फैसले ले रहा है, पाकिस्तान के साथ कदमताल कर रहा है। कुछ लोग रूसी कच्चे तेल को वजह बता रहे तो कई लोग पाकिस्तान के साथ हुए सीजफायर में डोनाल्ड ट्रंप को भारत की तरफ से नहीं दिए गये क्रेडिट को। लेकिन अमेरिकी एक्सपर्ट रस्ट कोहले का कहना है कि 'असल में डोनाल्ड ट्रंप जो कर रहे हैं, उसे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुरू किया था।'
रस्ट कोहले ने मौजूदा वाद विवाद के बीच तर्क दिया है कि 'भारत और अमेरिका के बीच समस्याएं 2024 से ही बढ़ रही थीं। इसे डोनाल्ड ट्रंप ने नहीं शुरू किया था।" उन्होंने कहा कि "अमेरिका 2023 के अंत तक भारत का लगातार समर्थन करता रहा और उम्मीद करता रहा कि भारत, चीन के खिलाफ उसका साथ देगा। लेकिन 2024 से अमेरिका का धैर्य जवाब दे गया।"
बाइडेन ने ही ले लिया था एंटी-इंडिया स्टैंड
उन्होंने लिखा है कि "आपने देखा कि अमेरिका ने बांग्लादेश, पन्नून (खालिस्तानी आतंकी), अडानी जैसे मुद्दे बाइडेन के सामने आए और बाइडने ने इन मुद्दों पर भारत के हितों के खिलाफ काम किया। भारत ने उस समय सोचा कि यह बाइडेन प्रशासन की मोदी को कमजोर करने की कोशिश है और डोनाल्ड ट्रंप के वापस आते ही सब ठीक हो जाएगा। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने ना सिर्फ इस पॉलिसी को जारी रखा, बल्कि उसे स्पीड दोगुनी कर दी। अमेरिका अब पाकिस्तान और बांग्लादेश में अपनी पैठ बना चुका है। उसने म्यांमार पर लगे प्रतिबंध हटा लिए हैं और तुर्की के रास्ते मालदीव और श्रीलंका में प्रवेश कर गया है।"
रस्ट कोहले ने भारत के खिलाफ लिए जाने वाले अगले फैसलों के बारे में बात करते हुए कहा कि "निकट भविष्य में भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध और बदतर होने वाले हैं। वाशिंगटन में यह माना जा रहा है, कि अगर भारत अमेरिका के साथ रहने के बजाय 'तीसरा ध्रुव' बनना चाहता है, तो अमेरिका को भारत के उत्थान में मदद करने की कोई जरूरत नहीं है और वह बांग्लादेश की तरह चीन के साथ मिलकर ऐसा सुनिश्चित करेगा।" उन्होंने आगे कहा है कि "ऐसा सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप नहीं कर रहे हैं, बल्कि वॉशिंगटन में भारत को लेकर यही आम सहमति बन चुकी है। भारत को इससे निपटने का कोई रास्ता निकालना होगा, क्योंकि वह अमेरिका और चीन, दोनों से एक साथ नहीं लड़ सकता। रूस कोई बड़ी ताकत नहीं है जो भारत की मदद के लिए आगे आए। वो अपने सहयोगी आर्मेनिया को अजरबैजान से और ईरान को इजरायल से भी नहीं बचा पाया।"
'भारत को अमेरिका से करना ही होगा समझौता'
उन्होंने लिखा है कि "भारत को अमेरिका के साथ समझौता करना होगा, क्योंकि उसके पास कोई और विकल्प नहीं है। उसे ट्रंप के साथ काम करने का कोई न कोई रास्ता निकालना ही होगा, चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो। ट्रंप, भारत के साथ जो कुछ भी कर रहे हैं, वह बाइडेन के कार्यकाल में ही शुरू हो गया था। ट्रंप बस इस बारे में और ज्यादा आक्रामक हैं। भारत अपनी आकांक्षाओं के बारे में इतना खुलकर और मुखर नहीं हो सकता, जब उसकी अर्थव्यवस्था सिफ्फ 4.2 ट्रिलियन डॉलर की हो। चीन हमेशा से नंबर 1 महाशक्ति बनना चाहता था, लेकिन जब वह भारत के आकार का था, तब उसने दुनिया भर में ये बातें नहीं बोली। वो चुपचाप विकास करता रहा। उसने अपने सबसे मुख्य विरोधी के साथ मिलकर काम किया और उसका इस्तेमाल करके आज जो है, वह हासिल किया। भारत को भी अगले 10 सालों तक यही करना चाहिए और तब तक 'समय का इंतजार करो, अपनी ताकत छिपाओ'।
इस बीच पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर के अमेरिका दौरे को लेकर वाइट हाउस ने कहा है कि 'भारत और पाकिस्तान के साथ संबंध अपरिवर्तित रहेंगे।' अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि "भारत और पाकिस्तान के साथ वाशिंगटन के रिश्ते अपरिवर्तित बने हुए हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि "राजनयिक दोनों देशों के प्रति प्रतिबद्ध हैं।" उनकी यह टिप्पणी उस समय आई जब उनसे पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर की हालिया अमेरिका यात्रा और भारत के खिलाफ उनकी परमाणु धमकियों के बारे में सवाल किया गया था।
रस्ट कोहले ने मौजूदा वाद विवाद के बीच तर्क दिया है कि 'भारत और अमेरिका के बीच समस्याएं 2024 से ही बढ़ रही थीं। इसे डोनाल्ड ट्रंप ने नहीं शुरू किया था।" उन्होंने कहा कि "अमेरिका 2023 के अंत तक भारत का लगातार समर्थन करता रहा और उम्मीद करता रहा कि भारत, चीन के खिलाफ उसका साथ देगा। लेकिन 2024 से अमेरिका का धैर्य जवाब दे गया।"
बाइडेन ने ही ले लिया था एंटी-इंडिया स्टैंड
उन्होंने लिखा है कि "आपने देखा कि अमेरिका ने बांग्लादेश, पन्नून (खालिस्तानी आतंकी), अडानी जैसे मुद्दे बाइडेन के सामने आए और बाइडने ने इन मुद्दों पर भारत के हितों के खिलाफ काम किया। भारत ने उस समय सोचा कि यह बाइडेन प्रशासन की मोदी को कमजोर करने की कोशिश है और डोनाल्ड ट्रंप के वापस आते ही सब ठीक हो जाएगा। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने ना सिर्फ इस पॉलिसी को जारी रखा, बल्कि उसे स्पीड दोगुनी कर दी। अमेरिका अब पाकिस्तान और बांग्लादेश में अपनी पैठ बना चुका है। उसने म्यांमार पर लगे प्रतिबंध हटा लिए हैं और तुर्की के रास्ते मालदीव और श्रीलंका में प्रवेश कर गया है।"
रस्ट कोहले ने भारत के खिलाफ लिए जाने वाले अगले फैसलों के बारे में बात करते हुए कहा कि "निकट भविष्य में भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध और बदतर होने वाले हैं। वाशिंगटन में यह माना जा रहा है, कि अगर भारत अमेरिका के साथ रहने के बजाय 'तीसरा ध्रुव' बनना चाहता है, तो अमेरिका को भारत के उत्थान में मदद करने की कोई जरूरत नहीं है और वह बांग्लादेश की तरह चीन के साथ मिलकर ऐसा सुनिश्चित करेगा।" उन्होंने आगे कहा है कि "ऐसा सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप नहीं कर रहे हैं, बल्कि वॉशिंगटन में भारत को लेकर यही आम सहमति बन चुकी है। भारत को इससे निपटने का कोई रास्ता निकालना होगा, क्योंकि वह अमेरिका और चीन, दोनों से एक साथ नहीं लड़ सकता। रूस कोई बड़ी ताकत नहीं है जो भारत की मदद के लिए आगे आए। वो अपने सहयोगी आर्मेनिया को अजरबैजान से और ईरान को इजरायल से भी नहीं बचा पाया।"
The issues between India and US were building up since 2024. It is not a Trump phenomenon. US was supportive of India till the end of 2023 hoping patiently that India would join it against China. That patience ran out and you saw from 2024 that US acted against India’s interests…
— Rust Cohle (@rust_cohle77) August 11, 2025
'भारत को अमेरिका से करना ही होगा समझौता'
उन्होंने लिखा है कि "भारत को अमेरिका के साथ समझौता करना होगा, क्योंकि उसके पास कोई और विकल्प नहीं है। उसे ट्रंप के साथ काम करने का कोई न कोई रास्ता निकालना ही होगा, चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो। ट्रंप, भारत के साथ जो कुछ भी कर रहे हैं, वह बाइडेन के कार्यकाल में ही शुरू हो गया था। ट्रंप बस इस बारे में और ज्यादा आक्रामक हैं। भारत अपनी आकांक्षाओं के बारे में इतना खुलकर और मुखर नहीं हो सकता, जब उसकी अर्थव्यवस्था सिफ्फ 4.2 ट्रिलियन डॉलर की हो। चीन हमेशा से नंबर 1 महाशक्ति बनना चाहता था, लेकिन जब वह भारत के आकार का था, तब उसने दुनिया भर में ये बातें नहीं बोली। वो चुपचाप विकास करता रहा। उसने अपने सबसे मुख्य विरोधी के साथ मिलकर काम किया और उसका इस्तेमाल करके आज जो है, वह हासिल किया। भारत को भी अगले 10 सालों तक यही करना चाहिए और तब तक 'समय का इंतजार करो, अपनी ताकत छिपाओ'।
इस बीच पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर के अमेरिका दौरे को लेकर वाइट हाउस ने कहा है कि 'भारत और पाकिस्तान के साथ संबंध अपरिवर्तित रहेंगे।' अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि "भारत और पाकिस्तान के साथ वाशिंगटन के रिश्ते अपरिवर्तित बने हुए हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि "राजनयिक दोनों देशों के प्रति प्रतिबद्ध हैं।" उनकी यह टिप्पणी उस समय आई जब उनसे पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर की हालिया अमेरिका यात्रा और भारत के खिलाफ उनकी परमाणु धमकियों के बारे में सवाल किया गया था।
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