देहरादून: उत्तराखंड की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर आज मुख्यमंत्री आवास आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक सौहार्द का केंद्र बन गया, जब देशभर के प्रमुख संतों एवं धर्माचार्यों ने मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट कर राज्य की प्रगति, सांस्कृतिक संरक्षण और अध्यात्मिक समृद्धि के प्रति उनके प्रयासों की सराहना की। संत समाज ने प्रदेश के लिए सकारात्मक बदलाव, विरासत संरक्षण और धार्मिक-सांस्कृतिक मानकों को सुदृढ़ करने वाले निर्णयों की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री को आशीर्वाद प्रदान किया। उन्हें 'देवभूमि का धर्म-संरक्षक' बताया। संतों ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और विकास की नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है।
मुख्यमंत्री आवास में आध्यात्मिक संगम में आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज, जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी रविंद्रपुरी महाराज, बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण, प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता जया किशोरी, चिंतक एवं लेखक डॉ. कुमार विश्वास सहित अनेकों प्रतिष्ठित संत-महात्मा एवं धर्माचार्य भेंट करने वाले प्रमुख संत-महात्माओं में शामिल रहे |
सीएम को दी शुभकामनाएंसभी संतों ने मुख्यमंत्री को रजत जयंती वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए राज्य के सांस्कृतिक सम्मान और अध्यात्मिक धरोहर संरक्षण को लेकर उनके समर्पण की सराहना की। संतों ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान, आध्यात्मिक परंपरा और सामाजिक समरसता को मजबूत करने वाला नेतृत्व प्रदान किया है। उनके प्रयासों से देवभूमि की मूल आत्मा और सनातन विरासत सुरक्षित और सुदृढ़ हुई है।
संत समाज ने राज्य सरकार की उन नीतियों की भी सराहना की जिनसे सामाजिक-सांस्कृतिक अनुशासन, धार्मिक स्थलों का संरक्षण, आध्यात्मिक पर्यटन विकास तथा परंपरा-संरक्षण को नया आयाम मिला है। कुंभ-2027 को भव्य, दिव्य और विश्वस्तरीय आयोजन के रूप में स्थापित करने के लिए संत समाज और सरकार मिलकर कार्य करेंगे।
हरिद्वार कुंभ पर विमर्शसंत समाज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि हरिद्वार कुंभ-2027 को भव्य, दिव्य और विश्व-स्तरीय आयोजन के रूप में स्थापित करने के लिए वे सरकार के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर कार्य करेंगे। संतों ने कहा कि कुंभ केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सनातन परंपरा, भारतीय संस्कृति और वैश्विक आध्यात्मिक चेतना का महासंगम है। इसे ऐतिहासिक स्वरूप देना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
संतों ने यह भी कहा कि कुंभ की तैयारी के लिए राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। यातायात, इंफ्रास्ट्रक्चर, घाटों का सौंदर्यीकरण, सुरक्षा व्यवस्थाएं, स्वच्छता और तीर्थ विकास जैसे क्षेत्रों में जो योजनाएं बन रही हैं, वे आने वाले वर्षों में हरिद्वार को विश्व आध्यात्मिक धरोहर केंद्र के रूप में और अधिक प्रतिष्ठित करेंगी।
सीएम धामी की तारीफसंतों ने मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि देवभूमि उत्तराखंड को कुंभ-2027 में एक नए आयाम तक पहुंचाने की जो दूरदृष्टि मुख्यमंत्री ने प्रस्तुत की है, वह प्रेरणादायक है। सरकार की ओर से किए जा रहे त्वरित निर्णय, पारदर्शिता और धार्मिक परंपराओं के प्रति सम्मान से हमें पूर्ण विश्वास है कि यह कुम्भ इतिहास में अपना स्वर्णिम अध्याय लिखेगा।
संत समाज ने आश्वस्त किया कि हम सभी संत-महात्मा, अखाड़े और धर्म संस्थान एक परिवार की तरह एकजुट होकर कुंभ की सफलता के लिए निरंतर योगदान देंगे। कुंभ के आयोजन में चाहे आध्यात्मिक मार्गदर्शन हो या जन आस्था का प्रबंधन, हर मोर्चे पर हमारा सहयोग निरंतर रहेगा।
सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विकास का केंद्रसंत समाज ने यह भी कहा कि उत्तराखंड आज तेजी से वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र और शांति-स्थल के रूप में उभर रहा है, जिसका श्रेय राज्य सरकार की सांस्कृतिक दृष्टि और दूरदर्शी नेतृत्व को है। कार्यक्रम में उपस्थित सभी संतों और आध्यात्मिक गुरुओं ने प्रदेशवासियों के लिए मंगलकामनाएं व्यक्त कीं। उत्तराखंड की रजत जयंती को आध्यात्मिक रूप से ऐतिहासिक बनाने के लिए मुख्यमंत्री को आशीर्वाद दिया।
मुख्यमंत्री आवास में आध्यात्मिक संगम में आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज, जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी रविंद्रपुरी महाराज, बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण, प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता जया किशोरी, चिंतक एवं लेखक डॉ. कुमार विश्वास सहित अनेकों प्रतिष्ठित संत-महात्मा एवं धर्माचार्य भेंट करने वाले प्रमुख संत-महात्माओं में शामिल रहे |
सीएम को दी शुभकामनाएंसभी संतों ने मुख्यमंत्री को रजत जयंती वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए राज्य के सांस्कृतिक सम्मान और अध्यात्मिक धरोहर संरक्षण को लेकर उनके समर्पण की सराहना की। संतों ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान, आध्यात्मिक परंपरा और सामाजिक समरसता को मजबूत करने वाला नेतृत्व प्रदान किया है। उनके प्रयासों से देवभूमि की मूल आत्मा और सनातन विरासत सुरक्षित और सुदृढ़ हुई है।
संत समाज ने राज्य सरकार की उन नीतियों की भी सराहना की जिनसे सामाजिक-सांस्कृतिक अनुशासन, धार्मिक स्थलों का संरक्षण, आध्यात्मिक पर्यटन विकास तथा परंपरा-संरक्षण को नया आयाम मिला है। कुंभ-2027 को भव्य, दिव्य और विश्वस्तरीय आयोजन के रूप में स्थापित करने के लिए संत समाज और सरकार मिलकर कार्य करेंगे।
हरिद्वार कुंभ पर विमर्शसंत समाज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि हरिद्वार कुंभ-2027 को भव्य, दिव्य और विश्व-स्तरीय आयोजन के रूप में स्थापित करने के लिए वे सरकार के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर कार्य करेंगे। संतों ने कहा कि कुंभ केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सनातन परंपरा, भारतीय संस्कृति और वैश्विक आध्यात्मिक चेतना का महासंगम है। इसे ऐतिहासिक स्वरूप देना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
संतों ने यह भी कहा कि कुंभ की तैयारी के लिए राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। यातायात, इंफ्रास्ट्रक्चर, घाटों का सौंदर्यीकरण, सुरक्षा व्यवस्थाएं, स्वच्छता और तीर्थ विकास जैसे क्षेत्रों में जो योजनाएं बन रही हैं, वे आने वाले वर्षों में हरिद्वार को विश्व आध्यात्मिक धरोहर केंद्र के रूप में और अधिक प्रतिष्ठित करेंगी।
सीएम धामी की तारीफसंतों ने मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि देवभूमि उत्तराखंड को कुंभ-2027 में एक नए आयाम तक पहुंचाने की जो दूरदृष्टि मुख्यमंत्री ने प्रस्तुत की है, वह प्रेरणादायक है। सरकार की ओर से किए जा रहे त्वरित निर्णय, पारदर्शिता और धार्मिक परंपराओं के प्रति सम्मान से हमें पूर्ण विश्वास है कि यह कुम्भ इतिहास में अपना स्वर्णिम अध्याय लिखेगा।
संत समाज ने आश्वस्त किया कि हम सभी संत-महात्मा, अखाड़े और धर्म संस्थान एक परिवार की तरह एकजुट होकर कुंभ की सफलता के लिए निरंतर योगदान देंगे। कुंभ के आयोजन में चाहे आध्यात्मिक मार्गदर्शन हो या जन आस्था का प्रबंधन, हर मोर्चे पर हमारा सहयोग निरंतर रहेगा।
सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विकास का केंद्रसंत समाज ने यह भी कहा कि उत्तराखंड आज तेजी से वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र और शांति-स्थल के रूप में उभर रहा है, जिसका श्रेय राज्य सरकार की सांस्कृतिक दृष्टि और दूरदर्शी नेतृत्व को है। कार्यक्रम में उपस्थित सभी संतों और आध्यात्मिक गुरुओं ने प्रदेशवासियों के लिए मंगलकामनाएं व्यक्त कीं। उत्तराखंड की रजत जयंती को आध्यात्मिक रूप से ऐतिहासिक बनाने के लिए मुख्यमंत्री को आशीर्वाद दिया।
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