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खुद का ही नुकसान कर रहे ट्रंप? स्टूडेंट्स के लिए OPT खत्म किया, तो अमेरिका को हो सकते हैं 3 बड़े घाटे

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Study in US News: अमेरिका में इन दिनों 'ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग' (OPT) चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके विरोधियों का कहना है कि OPT अमेरिकी लोगों की जॉब खा रहा है। यही वजह है कि H.R. 2315 नाम का बिल भी लाया जा चुका है, जिसे 'फेयरनेस फॉर हाई-स्किल अमेरिकन एक्ट ऑफ 2023' के तौर पर भी जानते हैं। रिपब्लिकन पार्टी के सांसद पॉल गोसर 10 अप्रैल 2023 को ये बिल लेकर आए थे, ताकि OPT को खत्म किया जाए। ये बिल अभी तक कमिटी रिव्यू के तहत पड़ा हुआ है।

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हालांकि, OPT को लेकर चर्चा खत्म नहीं हो रही है। इसकी वजह ये है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद से ही कई नेताओं ने इसके खिलाफ बयान दिया है। इसमें सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज में पॉलिसी स्टडीज की डायरेक्टर जेसिका वॉन भी शामिल हैं, जिन्होंने इसे मेहमानों का प्रोग्राम बताया है। इसी तरह से इमिग्रेशन की देख-रेख करने वाली संस्था USCIS के नए नामित डायरेक्टर जोसेफ बी एडलो ने भी कहा है कि वह एजेंसी की कमान संभालने के बाद OPT को खत्म करने वाले हैं।



OPT क्या है?

अब यहां सवाल उठता है कि आखिर OPT क्या है, जिसे लेकर इतना ज्यादा विवाद हो रहा है। अमेरिका में डिग्री पूरी करने के बाद छात्रों को देश में रुककर जॉब करने और वर्क एक्सपीरियंस हासिल करने का मौका मिलता है। ये सुविधा उन्हें 'ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग' (OPT) के जरिए मिलती है। OPT की अवधि वैसे तो एक साल की होती है, लेकिन अगर किसी ने साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (STEM) जैसे सब्जेक्ट से जुड़े कोर्सेज की पढ़ाई की है, तो फिर इसकी अवधि तीन साल होती है।



कितने भारतीयों को मिली OPT?

SEVIS की By the Numbers की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल 1,94,554 स्टूडेंट्स को OPT दिया गया है, जो 2023 की तुलना में 21.1% ज्यादा है। 95,384 स्टूडेंट्स STEM OPT पर थे। STEM OPT हासिल करने वालों में 48% भारतीय छात्र थे, यानी करीब 45,800 इंजीनियर्स, कोडर्स, एनालिस्ट और साइंटिस्ट अमेरिकी कंपनियों में काम कर रहे थे। इसका मतलब है कि अमेरिका में हर दूसरा हाई स्किल STEM ग्रेजुएट भारतीय है। कुल मिलाकर OPT का 25–30% हिस्सा भारतीयों को मिला।



OPT के भरोसे चल रहीं अमेरिकी कंपनियां

कई लोगों को लगता है कि OPT की वजह से अमेरिकी ग्रेजुएट्स के लिए जॉब कम हो रही हैं। लेकिन लोग ये भूल जाते हैं कि अमेरिकी टेक अर्थव्यवस्था ग्लोबल स्किल के बूते चल रही है। भारतीय छात्र ही बड़े पैमाने पर अमेरिकी टेक कंपनियों को चला रहे हैं। OPT के जरिए ही बड़ी टेक कंपनियां ऑपरेट कर रही हैं। अमेजन ने 5,379 OPT और 6,632 STEM OPT स्टूडेंट्स को 2024 में नौकरी दी। गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट और टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियों ने भी हजारों स्टूडेंट्स को हायर किया है।



ठीक इसी तरह से सिटीग्रुप, ओरेकल, ब्लूमबर्ग, क्वालकॉम और NVIDIA भी उन कंपनियों में शामिल है, जो बड़े पैमाने पर STEM OPT पर मौजूद छात्रों को हायर करती हैं। स्टूडेंट्स इन कंपनियों में कोई छोटा-मोटा काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे AI, साइबर सिक्योरिटी, क्वांटम कंप्यूटिंग, सस्टेनेबल एनर्जी और एल्गोरिदमिक फाइनेंस जैसे सेक्टर में कमान संभाले हुए हैं। ये स्डूटेंट्स अमेरिका के चौथे इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन के इंजन हैं। OPT नहीं होने से कंपनियों का बुरा हाल हो जाएगा।



OPT नहीं होने पर क्या होगा?

  • यूनिवर्सिटी की आय: बिना OPT के कोई भी छात्र अमेरिका में पढ़ने से पहले दो बार सोचेगा। यहां पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद अगर जॉब ना मिले तो कोई भी छात्र पढ़ना नहीं चाहेगा। इसका सीधा असर यूनिवर्सिटी की आय पर पड़ेगा, जो विदेशी छात्रों पर सबसे ज्यादा निर्भर हैं।
  • टेक टैलेंट: बिजनेस राउंडटेबल, टेकनेट और यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स जैसे बड़े संगठन मिलकर H.R. 2315 का विरोध कर रहे हैं। उन्हें मालूम है कि बिना भारतीय डेटा साइंटिस्ट, मशीन लर्निंग इंजीनियर्स और क्लाउड आर्किटेक्ट के टेक इंडस्ट्री चल नहीं पाएगी। टेक टैलेंट की कमी हो सकती है।
  • स्टार्ट-अप इनोवेशन: सुंदर पिचाई हों या फिर अरविंद कृष्णा, हर किसी ने अमेरिका में अपने सफर की शुरुआत OPT के जरिए ही की है। कई सारे स्टार्टअप को शुरू करने वाले स्टूडेंट्स भारतीय ही हैं। अगर OPT नहीं रहेगा तो अमेरिका का स्टार्टअप कल्चर खत्म हो सकता है।
कुल मिलाकर अगर OPT को खत्म किया जाता है, तो इसकी वजह से अमेरिका में प्रतिस्पर्धा और वर्कर्स की कमी हो जाएगी। ट्रंप सरकार अगर किसी भी तरह से H.R. 2315 बिल को पास कर देती है तो ये अमेरिकी टेक सेक्टर की कब्र खोदने जैसा होगा। बिना विदेशी टैलेंट के कंपनियां काम ही नहीं कर पाएंगी। अमेरिका में वैसे भी स्टूडेंट्स की STEM एजुकेशन में भागीदारी काफी कम है।

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