नई दिल्ली: मणिपुर पूर्वोत्तर भारत के सबसे पूर्वी कोने में स्थित है। यह राज्य नगालैंड, मिजोरम और असम जैसे दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ पड़ोसी देश म्यांमार से भी सीमा साझा करता है। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के अनुसार, अपनी वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की समृद्धि के कारण मणिपुर को 'ऊंची ऊंचाइयों पर खिलता फूल', 'भारत का रत्न' और 'पूर्व का स्विट्जरलैंड' कहा जाता है। इसकी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता इसे पर्यटकों के लिए स्वर्ग बनाती है। वैसे तो बांस की पैदावार में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और पूर्वोत्तर के राज्य काफी आगे हैं। मध्य प्रदेश इस मामले में नंबर वन है, जबकि महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। वहीं, असम, मणिपुर जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में भी बांस की कई किस्में पाई जाती हैं। इन्हीं बांस के जंगली इलाकों में नगा आंदोलन की शुरुआत हुई, जिसके 91 वर्षीय नगा लीडर थुइंगलेंग मुइवा बरसों तक भूमिगत रहने के बाद पहली बार 22 अक्टूबर, 2025 को मणिपुर के उखरुल जिले में अपने पैतृक गांव सोमदल पहुंचे। हजारों की भीड़ ने उनकी घरवापसी पर जोरदार स्वागत किया। जानते हैं उसी मणिपुर की खूबसूरत कहानी।
तरह-तरह के बांस हैं मणिपुर की पहचान
इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के मुताबिक, मणिपुर को मोरेह कस्बे के माध्यम से भारत के 'पूर्व का प्रवेश द्वार' होने का लाभ प्राप्त है, जो भारत और म्यांमार के साथ-साथ अन्य दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के बीच व्यापार के लिए एकमात्र व्यवहार्य स्थलीय मार्ग है। लगभग 8,377 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले बांस के जंगलों के साथ मणिपुर भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक है। यहां 55 प्रजातियां उगाई जाती हैं।
पूर्वोत्तर में बांस की कुल पैदावार का 25 फीसदी
मणिपुर भारत के सबसे बड़े बांस उत्पादक राज्यों में से एक है और देश के बांस उद्योग में इसका प्रमुख योगदान है, क्योंकि यहां बांस की 55 प्रजातियां उगाई जाती हैं और पूर्वोत्तर क्षेत्र में बांस की कुल उपज का 25% और पूरे देश का 14% उत्पादन यहां होता है। हथकरघा मणिपुर का सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है और करघों की संख्या के मामले में यह राज्य देश के शीर्ष पांच राज्यों में शुमार है। लगभग 77.20% हिस्सा वन और वृक्ष आवरण से ढका हुआ है, जिसमें कई प्रकार के जंगल शामिल हैं।
चीन के बाद बांस पैदा करने में भारत है नंबर वन
चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। चीन में बांस का सालाना उत्पादन लगभग 30 मिलियन मीट्रिक टन है। देश में लगभग 14 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बांस उगाया जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। असम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में सबसे ज्यादा बांस प्लांटेशन किया जाता है। भारत में बांस की करीब 136 प्रजातियां है। फर्नीचर, हैंडीक्राफ्ट, पेपर, अगरबत्ती, कंस्ट्रक्शन में इसका इस्तेमाल होता है।
असम में इसे कहा जाता है मोगली की धरती
विकीपीडिया के अनुसार, प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मणिपुर का अपना एक प्राचीन एवं समृद्ध इतिहास है। इसका इतिहास पुरातात्विक अनुसंधानों, मिथकों तथा लिखित इतिहास से प्राप्त होता है। इसका प्राचीन नाम कंलैपाक है। इसे मणियों की भूमि कहा जाता है। प्राचीन काल में पड़ोसी राज्यों द्वारा मणिपुर को कई नामों से पुकारा जाता था, जैसे बर्मियों द्वारा 'कथे', असमियों द्वारा 'मोगली', 'मिक्ली' जैसे नामों से बुलाया जाता था। इतिहास से यह भी पता चलता है कि मणिपुर को मैत्रबाक, कंलैपुं या पोंथोक्लम जैसे नामों से भी जाना जाता था।
लोकतक झील और किबुल लमजाओ
मणिपुर की लोकतक झील पूर्वोत्तर भारत में एक मीठे पानी की झील है। यह झील भारत के मणिपुर राज्य के मोइरांग में स्थित है। झील के पास ही किबुल लामजाओ नाम का दुनिया का इकलौता तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है। यह उद्यान लुप्तप्राय संगाई ( राज्य पशु), रूसर्वस एल्डी एल्डी या मणिपुर भौंह-सींग वाले हिरण ( सर्वस एल्डी एल्डी ), जो एल्डी हिरण की तीन उप-प्रजातियों में से एक है, का अंतिम प्राकृतिक आश्रय स्थल है। इसे यूनेस्को की लिस्ट में शामिल किया गया है। जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए, झील को शुरू में 23 मार्च 1990 को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व के एक आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया था। इसे 16 जून 1993 को मॉन्ट्रो रिकॉर्ड के तहत भी सूचीबद्ध किया गया था।
नगा विद्रोह से शुरू हुआ था नगा आंदोलन
नगा विद्रोह 1950 के दशक में स्वतंत्रता संग्राम के रूप में शुरू हुआ था। 1997 में भारत और मुइवा के समूह NSCN (I-M) नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) के बीच युद्धविराम के बाद से हिंसा कम हुई है, लेकिन अलग झंडे और संविधान की मांग को लेकर बातचीत अभी भी रुकी हुई है। मुइवा वर्तमान में भारत सरकार के साथ शांति वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं। वह नगा लोगों के लिए अधिक राजनीतिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं, जो पूर्वोत्तर के मूल समूह हैं।
आजादी के दो साल बाद मणिपुर बना भारत का अंग
1947 में जब अंग्रेजों ने मणिपुर छोड़ा तब से मणिपुर का शासन महाराज बोधचंद के कंधों पर पड़ा। 21 सितंबर 1949 को हुई विलय संधि के बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर भारत का अंग बना। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्य आयुक्त के अधीन भारतीय संघ में भाग ‘सी’ के राज्य के रूप में शामिल हुआ। बाद में इसके स्थान पर एक प्रादेशिक परिषद गठित की गई जिसमें 30 चयनित तथा दो मनोनीत सदस्य थे। इसके बाद 1962 में केंद्रशासित प्रदेश अधिनियम के अंतर्गत 30 चयनित तथा तीन मनोनीत सदस्यों की एक विधानसभा स्थापित की गई। 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त से बढ़ाकर उपराज्यपाल कर दिया गया। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई। इसमें 19 अनुसूचित जनजाति और 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। राज्य में लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक प्रतिनिधि है। मैतई मणिपुर के मूलनिवासी हैं।
तरह-तरह के बांस हैं मणिपुर की पहचान
इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के मुताबिक, मणिपुर को मोरेह कस्बे के माध्यम से भारत के 'पूर्व का प्रवेश द्वार' होने का लाभ प्राप्त है, जो भारत और म्यांमार के साथ-साथ अन्य दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के बीच व्यापार के लिए एकमात्र व्यवहार्य स्थलीय मार्ग है। लगभग 8,377 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले बांस के जंगलों के साथ मणिपुर भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक है। यहां 55 प्रजातियां उगाई जाती हैं।
पूर्वोत्तर में बांस की कुल पैदावार का 25 फीसदी
मणिपुर भारत के सबसे बड़े बांस उत्पादक राज्यों में से एक है और देश के बांस उद्योग में इसका प्रमुख योगदान है, क्योंकि यहां बांस की 55 प्रजातियां उगाई जाती हैं और पूर्वोत्तर क्षेत्र में बांस की कुल उपज का 25% और पूरे देश का 14% उत्पादन यहां होता है। हथकरघा मणिपुर का सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है और करघों की संख्या के मामले में यह राज्य देश के शीर्ष पांच राज्यों में शुमार है। लगभग 77.20% हिस्सा वन और वृक्ष आवरण से ढका हुआ है, जिसमें कई प्रकार के जंगल शामिल हैं।
चीन के बाद बांस पैदा करने में भारत है नंबर वन
चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। चीन में बांस का सालाना उत्पादन लगभग 30 मिलियन मीट्रिक टन है। देश में लगभग 14 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बांस उगाया जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। असम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में सबसे ज्यादा बांस प्लांटेशन किया जाता है। भारत में बांस की करीब 136 प्रजातियां है। फर्नीचर, हैंडीक्राफ्ट, पेपर, अगरबत्ती, कंस्ट्रक्शन में इसका इस्तेमाल होता है।
असम में इसे कहा जाता है मोगली की धरती
विकीपीडिया के अनुसार, प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मणिपुर का अपना एक प्राचीन एवं समृद्ध इतिहास है। इसका इतिहास पुरातात्विक अनुसंधानों, मिथकों तथा लिखित इतिहास से प्राप्त होता है। इसका प्राचीन नाम कंलैपाक है। इसे मणियों की भूमि कहा जाता है। प्राचीन काल में पड़ोसी राज्यों द्वारा मणिपुर को कई नामों से पुकारा जाता था, जैसे बर्मियों द्वारा 'कथे', असमियों द्वारा 'मोगली', 'मिक्ली' जैसे नामों से बुलाया जाता था। इतिहास से यह भी पता चलता है कि मणिपुर को मैत्रबाक, कंलैपुं या पोंथोक्लम जैसे नामों से भी जाना जाता था।
लोकतक झील और किबुल लमजाओ
मणिपुर की लोकतक झील पूर्वोत्तर भारत में एक मीठे पानी की झील है। यह झील भारत के मणिपुर राज्य के मोइरांग में स्थित है। झील के पास ही किबुल लामजाओ नाम का दुनिया का इकलौता तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है। यह उद्यान लुप्तप्राय संगाई ( राज्य पशु), रूसर्वस एल्डी एल्डी या मणिपुर भौंह-सींग वाले हिरण ( सर्वस एल्डी एल्डी ), जो एल्डी हिरण की तीन उप-प्रजातियों में से एक है, का अंतिम प्राकृतिक आश्रय स्थल है। इसे यूनेस्को की लिस्ट में शामिल किया गया है। जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए, झील को शुरू में 23 मार्च 1990 को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व के एक आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया था। इसे 16 जून 1993 को मॉन्ट्रो रिकॉर्ड के तहत भी सूचीबद्ध किया गया था।
नगा विद्रोह से शुरू हुआ था नगा आंदोलन
नगा विद्रोह 1950 के दशक में स्वतंत्रता संग्राम के रूप में शुरू हुआ था। 1997 में भारत और मुइवा के समूह NSCN (I-M) नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) के बीच युद्धविराम के बाद से हिंसा कम हुई है, लेकिन अलग झंडे और संविधान की मांग को लेकर बातचीत अभी भी रुकी हुई है। मुइवा वर्तमान में भारत सरकार के साथ शांति वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं। वह नगा लोगों के लिए अधिक राजनीतिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं, जो पूर्वोत्तर के मूल समूह हैं।
आजादी के दो साल बाद मणिपुर बना भारत का अंग
1947 में जब अंग्रेजों ने मणिपुर छोड़ा तब से मणिपुर का शासन महाराज बोधचंद के कंधों पर पड़ा। 21 सितंबर 1949 को हुई विलय संधि के बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर भारत का अंग बना। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्य आयुक्त के अधीन भारतीय संघ में भाग ‘सी’ के राज्य के रूप में शामिल हुआ। बाद में इसके स्थान पर एक प्रादेशिक परिषद गठित की गई जिसमें 30 चयनित तथा दो मनोनीत सदस्य थे। इसके बाद 1962 में केंद्रशासित प्रदेश अधिनियम के अंतर्गत 30 चयनित तथा तीन मनोनीत सदस्यों की एक विधानसभा स्थापित की गई। 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त से बढ़ाकर उपराज्यपाल कर दिया गया। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई। इसमें 19 अनुसूचित जनजाति और 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। राज्य में लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक प्रतिनिधि है। मैतई मणिपुर के मूलनिवासी हैं।
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