लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में पान की तमाम दुकानों पर गुटखा कारखानों के कबाड़ से निकला सड़े कत्थे का बुरादा और गली सुपारी की सप्लाई हो रही है। यह पूरा गोरखधंधा कबाड़ कारोबार के नाम पर हो रहा है। एनबीटी स्टिंग में पारा इलाके में खुशहालगंज से मौदा जाने वाली रोड पर एक कारखाने में सड़ा-गला कत्था पाउडर और सुपारी छांटकर इसकी सप्लाई का खेल सामने आया।
एनबीटी टीम 14 सितंबर की दोपहर कारखाने में पहुंची। भीतर से तंबाकू की तीखी गंध आ रही थी। गेट पर कबाड़ का कुछ सामान रखा था। एनबीटी टीम भीतर गई तो सामने बोरों की लॉट नजर आई। बरामदे में तीन महिलाएं और कारखाने के अलग-अलग हिस्सों में पुरुष काम कर रहे थे। महिलाएं बोरों में भरी गर्द को छानकर उसमें से निकले कत्थे को बोरियों में भर रही थीं। उसमें से निकलने वाली सुपाड़ी को भी चलनी से छानकर अलग कर बोरियों में भरा जा रहा था।
एनबीटी की टीम ने महिलाओं से बोरों में भरे बुरादे के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, लेकिन उनकी भाषा समझ नहीं आ रही थी। तभी हिंदी बोलने वाला एक कर्मचारी आगे आया और उसने बातचीत की। फिर फोन पर कारखाना मालिक ने बात की। इसमें पता चला कि गुटखा कंपनियों से निकलने वाले कबाड़ से यहां सड़े-गले कत्थे का बुरादा और खराब हो चुकी सुपारी अलग की जाती है, फिर शहर के अलग-अलग हिस्सों में इसका सप्लाई होती है।
आधे से भी कम दामएनबीटी टीम ने खुशहालगंज के लोगों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि कारखाने में खरीदार आते है और माल लेकर चले जाते है। दुबग्गा के दुकानदार रईस ने बताया कि वह भी पान के लिए वहां से सुपारी खरीदकर ला चुका है। बाजार में सुपारी 600 रुपये प्रति किलो से कम नहीं है। वहां से 300 में मिल जाती है। नेपाली कत्था बाजार में 800 रुपये प्रति किलो है, यहा डेढ़-दो सौ में मिल जाता है, लेकिन घोल सही नहीं बनता।
कत्था पाउडर और डली, नकली पान-मसाला और गुल मजन बनाने वाले ज्यादा ले जाते है। डली आसपास के छोटे दुकानदार भी खरीदते है। वहीं, पीजीआई पुलिस ने हाल ही में एक गैंग के तीन सदस्यों को नामचीन कंपनियों के नाम से नकली गुटखा बनाते पकड़ा था। ये लोग भी नकली गुटखा बनाने में सड़ी-गली सुपाड़ी और खराब क्वालिटी के कत्थे का इस्तेमाल करते थे।
किडनी स्टोन का भी खतरालोकबंधु अस्पताल के डॉ. रूपेद्र श्रीवास्तव ने बताया कि सड़े-गले, फंगस वाले कत्थे, सुपारी के सेवन से फूड पॉइजनिंग, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इफेक्शन और पेट दर्द सरीखी दिक्कते हो सकती है। इसके अधिक सेवन से मुंह में छाले, मसूड़ों का खराब होना, किडनी स्टोन और नपुंसकता जैसी समस्याएं भी हो सकती है।
कर्मचारी ने माना, होती है छंटाई रिपोर्टर: यहां काम कर रहे लोगों की बात समझ नहीं आ रही?
कर्मचारीः ये लोग बाहर के है। इसलिए आपकी भाषा नहीं समझ पा रहे है।
रिपोर्टरः भेद छुपाने के लिए ऐसे कर्मचारी रखे है क्या, जिनकी बात समझ नहीं आती?
कर्मचारीः मुस्कराते हुए, ये मालिक ही जाने।
रिपोर्टरः यह कारखाना कबाड़ का है, लेकिन कत्था और सुपाड़ी निकाली जा रही है ?
कर्मचारीः यह गुटखा कंपनियों से लिया गया कबाड़ है। इसमें से कत्थे का पाउडर छानकर बोरियों में रखते है। छोटी-बड़ी डली भी अलग करते हैं।
रिपोर्टरः यह किस काम आता है?
कर्मचारीः बेचा जाता है और क्या करेंगे।
रिपोर्टर: किसे बेचते है?
कर्मचारीः यह मालिक ही बता पाएंगे।
रिपोर्टर: किस रेट में बेचते है?
कर्मचारीः सही रेट मालिक ही बता पाएंगे, लेकिन सुपारी शायद 300-400 रुपये किलो में बिकती है।
रिपोर्टर: फुटकर बेचते है या थोक में?
कर्मचारीः फुटकर और थोक दोनों में बिकता है। बुरादा गाड़ियों से भेजा जाता है।
रिपोर्टरः थोड़ी सुपारी और कत्था चाहिए?
कर्मचारीः हम सिर्फ छानने का काम करते है। गोदाम में क्या आना-जाना है, यह मालिक तय करते है।
रिपोर्टर: गोदाम के बाहर काफी सामान जलाया गया है। गुटखे के रैपर भी पड़े है?
कर्मचारीः जो काम का नहीं होता, उसे जला देते है।
रिपोर्टर: मालिक कौन है?
कर्मचारी: लीजिए मालिक वसीम भाई का फोन आ गया। शायद उन्होंने सीसीटीवी कैमरे में आप लोगों को देखा होगा।
रिपोर्टर: जी वसीम भाई, नमस्कार।
मालिकः 'क्या परेशानी है? कहां से आए है? कर्मचारियों को काम क्यों नहीं करने दे रहे?
रिपोर्टर: एक विभाग से आए है, कत्थे और सुपारी वाले बोरों के बारे में जानना था।
मालिकः हमारा कारखाना रजिस्टर्ड है। जीएसटी भी जमा करते है। कबाड़ कारोबारी है। कानपुर व अन्य जिलों के गुटखा कारखानों से निकलने वाला रॉ मटीरियल खरीदकर भट्ठा मालिकों को आग जलाने के लिए बेचते है। बरसात में भट्ठे नहीं चल रहे, इसलिए माल रखा है।
रिपोर्टर: कत्था पाउडर व सुपारी अलग क्यों की जा रही है?
मालिकः आप दुबग्गा में आकर मिलिए। नौकरों को काम करने दीजिए।
रिपोर्टर (बाद में): दुबग्गा आ गया हूं, कहा हैं आप?
मालिकः एक दो दिन में कारखाने आऊंगा, ज्यादा छानबीन न करिए।
पारा में खुशहालगंज से मौदा जाने वाली रोड पर कारखाने में सड़ा-गला कत्था पाउडर व सुपारी छाटकर सप्लाई की जा रही है।
एनबीटी टीम 14 सितंबर की दोपहर कारखाने में पहुंची। भीतर से तंबाकू की तीखी गंध आ रही थी। गेट पर कबाड़ का कुछ सामान रखा था। एनबीटी टीम भीतर गई तो सामने बोरों की लॉट नजर आई। बरामदे में तीन महिलाएं और कारखाने के अलग-अलग हिस्सों में पुरुष काम कर रहे थे। महिलाएं बोरों में भरी गर्द को छानकर उसमें से निकले कत्थे को बोरियों में भर रही थीं। उसमें से निकलने वाली सुपाड़ी को भी चलनी से छानकर अलग कर बोरियों में भरा जा रहा था।
एनबीटी की टीम ने महिलाओं से बोरों में भरे बुरादे के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, लेकिन उनकी भाषा समझ नहीं आ रही थी। तभी हिंदी बोलने वाला एक कर्मचारी आगे आया और उसने बातचीत की। फिर फोन पर कारखाना मालिक ने बात की। इसमें पता चला कि गुटखा कंपनियों से निकलने वाले कबाड़ से यहां सड़े-गले कत्थे का बुरादा और खराब हो चुकी सुपारी अलग की जाती है, फिर शहर के अलग-अलग हिस्सों में इसका सप्लाई होती है।
आधे से भी कम दामएनबीटी टीम ने खुशहालगंज के लोगों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि कारखाने में खरीदार आते है और माल लेकर चले जाते है। दुबग्गा के दुकानदार रईस ने बताया कि वह भी पान के लिए वहां से सुपारी खरीदकर ला चुका है। बाजार में सुपारी 600 रुपये प्रति किलो से कम नहीं है। वहां से 300 में मिल जाती है। नेपाली कत्था बाजार में 800 रुपये प्रति किलो है, यहा डेढ़-दो सौ में मिल जाता है, लेकिन घोल सही नहीं बनता।
कत्था पाउडर और डली, नकली पान-मसाला और गुल मजन बनाने वाले ज्यादा ले जाते है। डली आसपास के छोटे दुकानदार भी खरीदते है। वहीं, पीजीआई पुलिस ने हाल ही में एक गैंग के तीन सदस्यों को नामचीन कंपनियों के नाम से नकली गुटखा बनाते पकड़ा था। ये लोग भी नकली गुटखा बनाने में सड़ी-गली सुपाड़ी और खराब क्वालिटी के कत्थे का इस्तेमाल करते थे।
किडनी स्टोन का भी खतरालोकबंधु अस्पताल के डॉ. रूपेद्र श्रीवास्तव ने बताया कि सड़े-गले, फंगस वाले कत्थे, सुपारी के सेवन से फूड पॉइजनिंग, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इफेक्शन और पेट दर्द सरीखी दिक्कते हो सकती है। इसके अधिक सेवन से मुंह में छाले, मसूड़ों का खराब होना, किडनी स्टोन और नपुंसकता जैसी समस्याएं भी हो सकती है।
कर्मचारी ने माना, होती है छंटाई रिपोर्टर: यहां काम कर रहे लोगों की बात समझ नहीं आ रही?
कर्मचारीः ये लोग बाहर के है। इसलिए आपकी भाषा नहीं समझ पा रहे है।
रिपोर्टरः भेद छुपाने के लिए ऐसे कर्मचारी रखे है क्या, जिनकी बात समझ नहीं आती?
कर्मचारीः मुस्कराते हुए, ये मालिक ही जाने।
रिपोर्टरः यह कारखाना कबाड़ का है, लेकिन कत्था और सुपाड़ी निकाली जा रही है ?
कर्मचारीः यह गुटखा कंपनियों से लिया गया कबाड़ है। इसमें से कत्थे का पाउडर छानकर बोरियों में रखते है। छोटी-बड़ी डली भी अलग करते हैं।
रिपोर्टरः यह किस काम आता है?
कर्मचारीः बेचा जाता है और क्या करेंगे।
रिपोर्टर: किसे बेचते है?
कर्मचारीः यह मालिक ही बता पाएंगे।
रिपोर्टर: किस रेट में बेचते है?
कर्मचारीः सही रेट मालिक ही बता पाएंगे, लेकिन सुपारी शायद 300-400 रुपये किलो में बिकती है।
रिपोर्टर: फुटकर बेचते है या थोक में?
कर्मचारीः फुटकर और थोक दोनों में बिकता है। बुरादा गाड़ियों से भेजा जाता है।
रिपोर्टरः थोड़ी सुपारी और कत्था चाहिए?
कर्मचारीः हम सिर्फ छानने का काम करते है। गोदाम में क्या आना-जाना है, यह मालिक तय करते है।
रिपोर्टर: गोदाम के बाहर काफी सामान जलाया गया है। गुटखे के रैपर भी पड़े है?
कर्मचारीः जो काम का नहीं होता, उसे जला देते है।
रिपोर्टर: मालिक कौन है?
कर्मचारी: लीजिए मालिक वसीम भाई का फोन आ गया। शायद उन्होंने सीसीटीवी कैमरे में आप लोगों को देखा होगा।
रिपोर्टर: जी वसीम भाई, नमस्कार।
मालिकः 'क्या परेशानी है? कहां से आए है? कर्मचारियों को काम क्यों नहीं करने दे रहे?
रिपोर्टर: एक विभाग से आए है, कत्थे और सुपारी वाले बोरों के बारे में जानना था।
मालिकः हमारा कारखाना रजिस्टर्ड है। जीएसटी भी जमा करते है। कबाड़ कारोबारी है। कानपुर व अन्य जिलों के गुटखा कारखानों से निकलने वाला रॉ मटीरियल खरीदकर भट्ठा मालिकों को आग जलाने के लिए बेचते है। बरसात में भट्ठे नहीं चल रहे, इसलिए माल रखा है।
रिपोर्टर: कत्था पाउडर व सुपारी अलग क्यों की जा रही है?
मालिकः आप दुबग्गा में आकर मिलिए। नौकरों को काम करने दीजिए।
रिपोर्टर (बाद में): दुबग्गा आ गया हूं, कहा हैं आप?
मालिकः एक दो दिन में कारखाने आऊंगा, ज्यादा छानबीन न करिए।
पारा में खुशहालगंज से मौदा जाने वाली रोड पर कारखाने में सड़ा-गला कत्था पाउडर व सुपारी छाटकर सप्लाई की जा रही है।
You may also like
नीरज बवाना समेत इन गैंगस्टरों पर एक्शन... दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा में पुलिस की ताबड़तोड़ छापेमारी, कैश-हथियार बरामद
कानपुर में खुले नाले में गिरा बुजुर्ग, कूड़ा फेंकने निकला था, 1 Km दूर मिला शव, स्लैब न होने से हुआ हादसा
18 बार चुनाव आयोग को चिट्ठी... राहुल गांधी ने पूछा- वोटर डिलीट लेटर का जवाब क्यों नहीं दे रहे CEC ज्ञानेश कुमार
राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को घेरा, कहा- ज्ञानेश कुमार वोट चोरों की रक्षा कर रहे हैं
Guruwar Ke Upay: गुरूवार को दिन करें आप भी ये विशेष उपाय, मिलेगा आपको लाभ