नई दिल्लीः दिल्ली में मंगलवार को क्लाउड सीडिंग हुई, उसके बाद भी 30 अक्टूबर को राजधानी में काफी स्मॉग दिखा। ऐसे में अब एक्सपर्ट फिर सवाल उठा रहे हैं कि क्लाउड सीडिंग जैसी महंगी प्रक्रिया से कितनी राहत हुई। एक्सपर्ट क्लाउड सीडिंग और कृत्रिम बारिश को शुरुआत से प्रदूषण का एक कॉस्मेटिक समाधान बता रहे हैं।हालांकि, गुरुवार को भी घने बादल रहे। सुबह करीब 10 बजे आईएमडी ने नाउकास्ट जारी किया कि अगले दो घंटे में दिल्ली के कई इलाकों में बूंदाबांदी होगी। स्मॉग की मोटी परत बुधवार शाम से ही बढ़ती दिखाई दे रही थी। दोपहर दो बजे तक एक्यूआई 378 के स्तर पर पहुंच गया था। इसके बाद इसमें कमी दर्ज की गई।   
   
आईफॉरेस्ट के फाउंडर चंद्रभूषण ने बताया कि प्रदूषण के लिहाज से कृत्रिम बारिश समाधान नहीं है। यह एक कॉस्मेटिक समाधान है। जबकि प्रदूषण के स्थाई समाधान के लिए प्रदूषण के सोर्स को कम करने की जरूरत है। तीन ट्रायल में एक बार भी बारिश नहीं हुई और उसके बाद स्मॉग के जमने की स्थिति सबसे सामने है।
     
एक्सपर्ट बोले- स्मॉग के बिल्टअप की भी स्टडी होवहीं सीएसई की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रायचौधरी ने कहा कि बीजिंग समेत कई देशों में कृत्रिम बारिश के नतीजे इसी तरह के रहे हैं। प्रदूषण लौटकर काफी तेज से वापस आता है। इसकी वजह से लोगों को राहत नहीं मिलती। कृत्रिम बारिश आप कितनी और कब तक करवाएंगे। इसलिए सोर्स को खत्म करने की जरूरत है। स्मॉग के बिल्टअप की भी स्टडी होनी चाहिए। प्रदूषण एक्टिविस्ट भवरीन कंधारी ने कहा कि कृत्रिम बारिश नहीं बल्कि स्मॉग से राहत के लिए सड़कों पर काम जरूरी है। GRAP-2 लागू है लेकिन कई जगहों पर धूल उड़ते साफ दिख रही है। नियमों के पालन में लापरवाहियां हो रही है। डेटा छुपाया जा रहा है। ऐसा कर प्रदूषण को खत्म नहीं किया जा सकता।
     
'पूर्वानुमान पर भी गौर करना जरूरी'अगर कृत्रिम बारिश प्रदूषण के लिए हो रही है तो सिर्फ बादलों की नमी और बादलों की मौजूदगी की बजाय अगले दो तीन दिनों पूर्वानुमान पर भी गौर करना जरूरी है। क्लाउड सीडिंग से प्रदूषण के कुछ जगहों पर 41 प्रतिशत तक कम होने का दावा किया गया, लेकिन अगले ही दिन स्मॉग दोगुनी तेजी से वापस आता दिखा। इसकी वजह यह रही कि 29 अक्टूबर की शाम से ही हवाएं काफी कम हो गई। जबकि इस फैक्ट ने क्लाउड सीडिंग से मिले लाभ को और सीमित कर दिया।
  
आईफॉरेस्ट के फाउंडर चंद्रभूषण ने बताया कि प्रदूषण के लिहाज से कृत्रिम बारिश समाधान नहीं है। यह एक कॉस्मेटिक समाधान है। जबकि प्रदूषण के स्थाई समाधान के लिए प्रदूषण के सोर्स को कम करने की जरूरत है। तीन ट्रायल में एक बार भी बारिश नहीं हुई और उसके बाद स्मॉग के जमने की स्थिति सबसे सामने है।
एक्सपर्ट बोले- स्मॉग के बिल्टअप की भी स्टडी होवहीं सीएसई की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रायचौधरी ने कहा कि बीजिंग समेत कई देशों में कृत्रिम बारिश के नतीजे इसी तरह के रहे हैं। प्रदूषण लौटकर काफी तेज से वापस आता है। इसकी वजह से लोगों को राहत नहीं मिलती। कृत्रिम बारिश आप कितनी और कब तक करवाएंगे। इसलिए सोर्स को खत्म करने की जरूरत है। स्मॉग के बिल्टअप की भी स्टडी होनी चाहिए। प्रदूषण एक्टिविस्ट भवरीन कंधारी ने कहा कि कृत्रिम बारिश नहीं बल्कि स्मॉग से राहत के लिए सड़कों पर काम जरूरी है। GRAP-2 लागू है लेकिन कई जगहों पर धूल उड़ते साफ दिख रही है। नियमों के पालन में लापरवाहियां हो रही है। डेटा छुपाया जा रहा है। ऐसा कर प्रदूषण को खत्म नहीं किया जा सकता।
'पूर्वानुमान पर भी गौर करना जरूरी'अगर कृत्रिम बारिश प्रदूषण के लिए हो रही है तो सिर्फ बादलों की नमी और बादलों की मौजूदगी की बजाय अगले दो तीन दिनों पूर्वानुमान पर भी गौर करना जरूरी है। क्लाउड सीडिंग से प्रदूषण के कुछ जगहों पर 41 प्रतिशत तक कम होने का दावा किया गया, लेकिन अगले ही दिन स्मॉग दोगुनी तेजी से वापस आता दिखा। इसकी वजह यह रही कि 29 अक्टूबर की शाम से ही हवाएं काफी कम हो गई। जबकि इस फैक्ट ने क्लाउड सीडिंग से मिले लाभ को और सीमित कर दिया।
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