ओटावा: कनाडाई मीडिया ने दावा किया है कि खालिस्तान समर्थक संगठनों ने कनाडा की नई सरकार से इस साल आयोजित होने वाले G7 शिखर सम्मेलन से भारत को दूर रखने का आह्वान किया है। भारत और कनाडा के बीच के संबंध पिछले दो सालों में काफी खराब रहे हैं और दोनों देश एक दूसरे के टॉप डिप्लोमेट्स को देश से बाहर निकाल दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक खालिस्तान संगठन ओटावा से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित न करके पांच साल की परंपरा तोड़ने का आह्वान कर रहे हैं। आपको बता दें कि कनाडा अगले महीने अल्ता के कनानास्किस में G7 नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जिसमें फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, इटली, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष के साथ-साथ इन देशों के नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक अलगाववादी खालिस्तान संगठन ने कनाडा की नई सरकार पर काफी प्रेशर बना रखा है। लेकिन कनाडा की मार्क कर्नी की सरकार ने फिलहाल इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। फिलहाल ये पता नहीं चल पाया है कि मार्क कर्नी की सरकार ने किन किन ग्लोबल लीडर्स को जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए न्योता भेजा है।
भारत को न्योता नहीं भेजेगा कनाडा?
कनाडा की सीबीसी न्यूज ने बताया है कि दक्षिण अफ्रीकी उच्चायोग ने कनाडाई प्रेस को बताया है कि कनाडा ने राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। रामफोसा, जो इस नवंबर में जोहान्सबर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं, फिलहाल उन्होंने इसकी पुष्टि नहीं की है कि वो जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे या नहीं। उनके अलावा ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने 4 मई को कहा कि कनाडा ने उन्हें शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया है और वे इसमें भाग लेंगे। कनाडा ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की को भी इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है और उन्होंने इस हफ्ते फिर से पुष्टि की है कि वे इसमें भाग लेंगे। ये सभी देश जी-7 का हिस्सा नहीं हैं। भारत को पिछले कई सालों से लगातार जी-7 का न्योता भेजा जाता रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साल 2019 से हर साल इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेते रहे हैं। लिहाजा कनाडा के रूख पर गहरी नजर बनी हुई है।
मार्क कर्नी की सरकार बनने के बाद कनाडा ने भारत के साथ संबंधों में सुधार के संकेत दिए हैं। पिछले दिनों कनाडा की नई विदेश मंत्री अनीता आनंद ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से टेलीफोन पर बात की थी। लेकिन टोरंटो स्थित खालिस्तान फेडरेशन ने इस हफ्ते कहा कि कनाडा को "तब तक कोई भी निमंत्रण नहीं देना चाहिए जब तक कि भारत कनाडा में आपराधिक जांच में पर्याप्त सहयोग नहीं करता।" आपको बता दें कि कनाडा की पूर्ववर्ती जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था, जिससे भारत ने इनकार कर दिया। निज्जर हत्याकांड ने भारत और कनाडा के संबंध को काफी खराब कर दिया था और दोनों देशों ने एक दूसरे के डिप्लोमेट्स को देश से बाहर कर दिया था।
लेकिन अनीता आनंद ने भारतीय विदेश मंत्री से 25 मई को बात करने के बाद कहा था कि "हमने आर्थिक सहयोग को गहरा करने और साझा प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने" पर "उत्पादक चर्चा" की। वहीं प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने चुनाव अभियान के दौरान कहा था कि वह भारत के साथ व्यापार करना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि भारत व्यापार युद्धों को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है यदि वह "उस रिश्ते पर तनाव" के मद्देनजर "पारस्परिक सम्मान" दिखाता है जो हमने नहीं बनाया है। वहीं ग्लोबल अफेयर्स कनाडा ने अगले महीने होने वाले जी7 शिखर सम्मेलन में ओटावा की तरफ से आमंत्रित किए गए प्रत्येक नेता के नाम जारी नहीं किए हैं। विभाग के प्रवक्ता कैमी लैमार्चे ने कहा कि नाम "उचित समय में उपलब्ध करा दिए जाएंगे।"
रिपोर्ट के मुताबिक अलगाववादी खालिस्तान संगठन ने कनाडा की नई सरकार पर काफी प्रेशर बना रखा है। लेकिन कनाडा की मार्क कर्नी की सरकार ने फिलहाल इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। फिलहाल ये पता नहीं चल पाया है कि मार्क कर्नी की सरकार ने किन किन ग्लोबल लीडर्स को जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए न्योता भेजा है।
भारत को न्योता नहीं भेजेगा कनाडा?
कनाडा की सीबीसी न्यूज ने बताया है कि दक्षिण अफ्रीकी उच्चायोग ने कनाडाई प्रेस को बताया है कि कनाडा ने राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। रामफोसा, जो इस नवंबर में जोहान्सबर्ग में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं, फिलहाल उन्होंने इसकी पुष्टि नहीं की है कि वो जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे या नहीं। उनके अलावा ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने 4 मई को कहा कि कनाडा ने उन्हें शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया है और वे इसमें भाग लेंगे। कनाडा ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की को भी इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है और उन्होंने इस हफ्ते फिर से पुष्टि की है कि वे इसमें भाग लेंगे। ये सभी देश जी-7 का हिस्सा नहीं हैं। भारत को पिछले कई सालों से लगातार जी-7 का न्योता भेजा जाता रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साल 2019 से हर साल इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेते रहे हैं। लिहाजा कनाडा के रूख पर गहरी नजर बनी हुई है।
मार्क कर्नी की सरकार बनने के बाद कनाडा ने भारत के साथ संबंधों में सुधार के संकेत दिए हैं। पिछले दिनों कनाडा की नई विदेश मंत्री अनीता आनंद ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से टेलीफोन पर बात की थी। लेकिन टोरंटो स्थित खालिस्तान फेडरेशन ने इस हफ्ते कहा कि कनाडा को "तब तक कोई भी निमंत्रण नहीं देना चाहिए जब तक कि भारत कनाडा में आपराधिक जांच में पर्याप्त सहयोग नहीं करता।" आपको बता दें कि कनाडा की पूर्ववर्ती जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था, जिससे भारत ने इनकार कर दिया। निज्जर हत्याकांड ने भारत और कनाडा के संबंध को काफी खराब कर दिया था और दोनों देशों ने एक दूसरे के डिप्लोमेट्स को देश से बाहर कर दिया था।
लेकिन अनीता आनंद ने भारतीय विदेश मंत्री से 25 मई को बात करने के बाद कहा था कि "हमने आर्थिक सहयोग को गहरा करने और साझा प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने" पर "उत्पादक चर्चा" की। वहीं प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने चुनाव अभियान के दौरान कहा था कि वह भारत के साथ व्यापार करना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि भारत व्यापार युद्धों को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है यदि वह "उस रिश्ते पर तनाव" के मद्देनजर "पारस्परिक सम्मान" दिखाता है जो हमने नहीं बनाया है। वहीं ग्लोबल अफेयर्स कनाडा ने अगले महीने होने वाले जी7 शिखर सम्मेलन में ओटावा की तरफ से आमंत्रित किए गए प्रत्येक नेता के नाम जारी नहीं किए हैं। विभाग के प्रवक्ता कैमी लैमार्चे ने कहा कि नाम "उचित समय में उपलब्ध करा दिए जाएंगे।"
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