सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर सदर से विधायक राज प्रसाद उपाध्याय उर्फ राज बाबू इन दिनों जबर्दस्त चर्चा में हैं। उनके खिलाफ सड़क निर्माण ठेकेदार से 25 लाख रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप लगा है। मामला सामने आने के बाद सुल्तानपुर में राजनीति गरमा गई है। विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी विधायक के खिलाफ हमला बोल दिया है। वहीं, भाजपा विधायक पूरे मामले से इनकार करते हुए राजनीतिक साजिश का आरोप लगा रहे हैं।
कौन हैं राज प्रसाद उपाध्याय?राज प्रसाद उपाध्याय सुल्तानपुर के रहने वाले हैं। उनका जन्म ईश नारायण उपाध्याय के परिवार में 20 जनवरी 1959 को हुआ था। वे भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे हैं। सुल्तानपुर सदर विधानसभा सीट से उन्हें पार्टी ने यूपी चुनाव 2022 में उतारा। इस चुनाव में वे जीत दर्ज कर विधानसभा तक का सफर तय करने में कामयाब रहे। उनके दो बच्चे हैं।
क्या है पूरा मामला?सुल्तानपुर सदर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक राज प्रसाद उपाध्याय उर्फ राजबाबू पर सड़क निर्माण कार्य में लाखों रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप लगा है। ठेकेदार फर्म ने आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। इस घटना से जिले का सियासी माहौल गरमा गया है। मामला बिरसिंहपुर, पापरघाट, शाहपुर और हरवंशपुर मार्ग से जुड़े आठ किलोमीटर सड़क चौड़ीकरण और पुनर्निर्माण का है।
योजना का टेंडर सिद्धार्थ इंफ्रा हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड को मिला। 16 अगस्त से काम शुरू हुआ। फर्म की डायरेक्टर का आरोप है कि इसी दौरान विधायक ने कंपनी मैनेजर से 25 लाख रुपये की मांग की। इनकार करने पर विधायक मौके पर पहुंचे। मजदूरों एवं मैनेजर से अभद्रता करते हुए काम बंद करवा दिया।
सीएम पोर्टल, एसपी को शिकायतविधायक के काम रोकवाने के बाद फर्म ने मुख्यमंत्री पोर्टल और पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र सौंपा है। सिद्धार्थ इंफ्रा हाइट्स की डायरेक्टर ने कहा कि हमने काम 33 फीसदी बिलो रेट पर लिया है। एक महीने पहले बांड भरा गया है। कार्य पूरा करने के लिए एक साल का समय है। विधायक और उनके साथियों ने रंगदारी मांगते हुए काम रुकवाया।
क्या कहते हैं विधायक?विधायक राज प्रसाद उपाध्याय ने सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि मैं जनता का चौकीदार हूं, गुणवत्ता की जांच करना मेरी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा। मैं केवल काम की गुणवत्ता देखने गया था, रंगदारी से मेरा कोई संबंध नहीं है। इस प्रकार के आरोप राजनीतिक साजिश के तहत लगाए जा रहे हैं।
पीडब्लूडी का आया बयानमामले में पीडब्लूडी के प्रांतीय अधिशाषी अभियंता अरुण कुमार ने कहा कि कंपनी ने लगभग 34 फीसदी बिलो रेट पर टेंडर हासिल किया है। इस स्थिति में गुणवत्ता की जांच का सवाल नहीं उठता है। विभाग के पास रंगदारी की कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है। दूसरी तरफ विधायक के खिलाफ लगे आरोप का मामला अब प्रशासन और राजनीति दोनों में चर्चा का विषय बन गया है।
कौन हैं राज प्रसाद उपाध्याय?राज प्रसाद उपाध्याय सुल्तानपुर के रहने वाले हैं। उनका जन्म ईश नारायण उपाध्याय के परिवार में 20 जनवरी 1959 को हुआ था। वे भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे हैं। सुल्तानपुर सदर विधानसभा सीट से उन्हें पार्टी ने यूपी चुनाव 2022 में उतारा। इस चुनाव में वे जीत दर्ज कर विधानसभा तक का सफर तय करने में कामयाब रहे। उनके दो बच्चे हैं।
क्या है पूरा मामला?सुल्तानपुर सदर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक राज प्रसाद उपाध्याय उर्फ राजबाबू पर सड़क निर्माण कार्य में लाखों रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप लगा है। ठेकेदार फर्म ने आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। इस घटना से जिले का सियासी माहौल गरमा गया है। मामला बिरसिंहपुर, पापरघाट, शाहपुर और हरवंशपुर मार्ग से जुड़े आठ किलोमीटर सड़क चौड़ीकरण और पुनर्निर्माण का है।
योजना का टेंडर सिद्धार्थ इंफ्रा हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड को मिला। 16 अगस्त से काम शुरू हुआ। फर्म की डायरेक्टर का आरोप है कि इसी दौरान विधायक ने कंपनी मैनेजर से 25 लाख रुपये की मांग की। इनकार करने पर विधायक मौके पर पहुंचे। मजदूरों एवं मैनेजर से अभद्रता करते हुए काम बंद करवा दिया।
सीएम पोर्टल, एसपी को शिकायतविधायक के काम रोकवाने के बाद फर्म ने मुख्यमंत्री पोर्टल और पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र सौंपा है। सिद्धार्थ इंफ्रा हाइट्स की डायरेक्टर ने कहा कि हमने काम 33 फीसदी बिलो रेट पर लिया है। एक महीने पहले बांड भरा गया है। कार्य पूरा करने के लिए एक साल का समय है। विधायक और उनके साथियों ने रंगदारी मांगते हुए काम रुकवाया।
क्या कहते हैं विधायक?विधायक राज प्रसाद उपाध्याय ने सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि मैं जनता का चौकीदार हूं, गुणवत्ता की जांच करना मेरी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा। मैं केवल काम की गुणवत्ता देखने गया था, रंगदारी से मेरा कोई संबंध नहीं है। इस प्रकार के आरोप राजनीतिक साजिश के तहत लगाए जा रहे हैं।
पीडब्लूडी का आया बयानमामले में पीडब्लूडी के प्रांतीय अधिशाषी अभियंता अरुण कुमार ने कहा कि कंपनी ने लगभग 34 फीसदी बिलो रेट पर टेंडर हासिल किया है। इस स्थिति में गुणवत्ता की जांच का सवाल नहीं उठता है। विभाग के पास रंगदारी की कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है। दूसरी तरफ विधायक के खिलाफ लगे आरोप का मामला अब प्रशासन और राजनीति दोनों में चर्चा का विषय बन गया है।
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