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वक्फ का अंत तो होना ही था... ताबूत में ठोंक दी आखिरी कील, कैसे हाथ मलते रह गए याचिकाकर्ता

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नई दिल्ली : वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सोमवार को एक बड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम पर मुहर लगा दी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने वक्फ संशोधन कानून के कुछ प्रावधानों को मनमाना बताते हुए उस पर रोक भी लगाई है। CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कहा कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं बनता, लेकिन 'कुछ धाराओं को संरक्षण दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वक्फ एक्ट की वैधता पर यह फैसला नहीं है। एक्सपर्ट से समझते हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के क्या मायने हैं?





यह फैसला वक्फ के ताबूत में आखिरी कील जैसा

दिल्ली के साकेत कोर्ट में एडवोकेट शिवाजी शुक्ला के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी भी कानून की संवैधानिक वैधता का आकलन उसके पक्ष में ही होता है। केवल बेहद दुर्लभ मामलों में ही पूरे कानून पर रोक लगाई जा सकती है। दरअसल, याचिकाकर्ताओं ने इस पूरे कानून को ही रद्द करने की मांग की थी। मगर, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अब इस्लामी वक्फ बोर्ड के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा। शीर्ष अदालत ने एक तरह से इस कानून के जरिये पुराने वक्फ का अंत ही कर डाला है। अब याचिकाकर्ताओं के पास हाथ मलने के सिवा कोई विकल्प नहीं है।



सरकारी संपत्ति का अतिक्रमण हुआ या नहीं, सरकारी अफसर देखेगा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वक्फ संशोधन कानून में यह प्रावधान सुरक्षित रहेगा जो सरकार की ओर से नियुक्त अधिकारी को यह निर्धारित करने का अधिकार देता है कि क्या वक्फ संपत्ति ने सरकारी संपत्ति में अतिक्रमण किया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड में गैरमुस्लिम को सीईओ नियुक्त करने संबंधी संशोधन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। साथ ही यह निर्देश दिया कि जहां तक संभव हो वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुस्लिम होना चाहिए।



इस्लाम का 5 साल तक अनुयायी होने के प्रावधान पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के उस प्रावधान पर भी रोक लगाई, जिसमें वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना आवश्यक बताया गया था। यह प्रावधान तब तक स्थगित रहेगा, जब तक राज्य सरकारें यह तय करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं।



वक्फ प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान नया नहीं

सीजेआई बीआर गवई ने कहा-हमने यह माना है कि पंजीकरण 1995 से 2013 तक अस्तित्व में रहा और अब फिर से है। ऐसे में हमने माना कि पंजीकरण कोई नया प्रावधान नहीं है। हमने पंजीकरण की समय-सीमा पर भी विचार किया है।



वक्फ़ बोर्ड में 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे

सीजेआई गवई ने यह भी कहा है कि कलेक्टर को व्यक्तिगत नागरिकों के अधिकारों का निर्णय करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन होगा। जब तक ट्रिब्यूनल द्वारा निर्णय नहीं हो जाता, तब तक किसी भी पक्ष के विरुद्ध किसी तीसरे पक्ष का अधिकार निर्मित नहीं किया जा सकता। कलेक्टर को ऐसी शक्तियां देने वाले प्रावधान पर रोक रहेगी। हम यह भी मानते हैं कि वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते और कुल मिलाकर 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।



टाइटल तय होने के बाद ही हो सकती है कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक शीर्षक (title) तय नहीं होता, वक्फ से संपत्ति का कब्जा नहीं छीना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून की धारा 23 पर भी रोक लगा दी। इसमें कहा गया है कि पदेन (Ex-officio) अधिकारी मुस्लिम समुदाय से होना अनिवार्य है। बीते 22 मई को लगातार तीन दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कानून को मुसलमानों के अधिकारों के खिलाफ बताया और अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी। वहीं, केंद्र सरकार ने इस संशोधित कानून के पक्ष में दलीलें रखी थीं, जिस पर अब फैसला आया है।



वक्फ की 1.2 लाख करोड़ की प्रॉपर्टी है

भारत में वक्फ की कुल संपत्ति 8.72 लाख एकड़ है। यह संपत्ति इतनी ज्यादा है कि सेना और रेलवे के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी है। 2009 में यह प्रॉपर्टी करीब 4 लाख एकड़ ही थी, जो अब दोगुनी हो चुकी है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में लोकसभा में जानकारी दी थी जिसके अनुसार वक्फ बोर्ड के पास 8,65,644 एकड़ अचल संपत्तियां हैं। वक्फ की इन जमीनों की अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपए है।



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