नई दिल्ली: बिहार एग्जिट पोल ने एनडीए की बंपर जीत के संकेत दिए हैं। इनमें नीतीश कुमार की वापसी लगभग तय बताई गई है। वहीं, महागठबंधन को मायूसी हाथ लगने की भविष्यवाणी हुई है। अगर एग्जिट पोल सच साबित होते हैं तो यह बाजार के लिए बड़ा सकारात्मक संकेत होगा। इस जीत से राजनीतिक स्थिरता बढ़ने और नीतियों में निरंतरता की उम्मीद है, जो बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को रफ्तार दे सकती है। विदेशी निवेशक भी भारत की अर्थव्यवस्था के प्रति अधिक सकारात्मक हो सकते हैं। इससे पूंजी का प्रवाह बढ़ सकता है। इसके चलते शेयर बाजारों में तेजी दिख सकती है। जबकि सोने जैसी सुरक्षित निवेश वाली चीजों पर हल्का दबाव बन सकता है।
हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि इससे बाजार पर कोई बड़ा या चौंकाने वाला असर होने की संभावना नहीं है। ज्यादातर निवेशकों ने पहले से ही यह मान लिया है कि एनडीए की जीत होगी। इसका मतलब है कि बाजार के लिए यह परिणाम कोई नया संकेत नहीं है, बल्कि स्थिरता और नीतिगत निरंतरता की केवल एक पुष्टि है। विश्लेषकों का मानना है कि इस समय बाजार के उतार-चढ़ाव पर राज्य-स्तरीय परिणामों के बजाय राष्ट्रीय आर्थिक नीतियां और वैश्विक आर्थिक रुझान (जैसे कि अमेरिका में ब्याज दरें) अधिक हावी हैं। इसलिए जब तक परिणाम अनुमान के उलट (उदाहरण के लिए एनडीए की अप्रत्याशित हार या बहुत करीबी जीत) नहीं आता, तब तक बाजार की भावना स्थिर रहेगी और यह अपनी सामान्य रफ्तार से चलता रहेगा।
एग्जिट पोल की परीक्षा 14 नवंबर को होगी जब असल नतीजे जारी होंगे। हालांकि, एग्जिट पोल में एनडीए की जीत से शेयर बाजार का मूड पॉजिटिव रहने के आसार हैं। शेयर बाजार हमेशा राजनीतिक स्थिरता और नीतियों में एकरूपता को पसंद करते हैं। जब एनडीए की स्पष्ट जीत का अनुमान लगाया जा रहा है तो इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ता है। यह एक अच्छा संकेत है कि राज्य और केंद्र सरकार की नीतियां एक जैसी रहेंगी। इससे बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास से जुड़े प्रोजेक्ट्स को तेजी से पूरा किया जा सकेगा।
इन कंपनियों के शेयरों में आ सकती है तेजी
इस स्थिति में बाजार में उन कंपनियों के शेयरों में उछाल आ सकता है जिन्हें सरकारी नीतियों से सीधा फायदा होता है। उदाहरण के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन से जुड़ी कंपनियों के शेयर बढ़ सकते हैं। कारण है कि राज्य में निर्माण गतिविधियों के बढ़ने की उम्मीद है। बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर को भी बढ़ावा मिल सकता है। आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से लोन और बैंकिंग सेवाओं की मांग बढ़ेगी। इसी तरह, सीमेंट और स्टील उद्योगों को भी फायदा होगा, क्योंकि निर्माण क्षेत्र की मांग बढ़ेगी। एक स्पष्ट जनादेश मिलने से अनिश्चितता कम होती है। इससे निवेशक ज्यादा आत्मविश्वास के साथ पैसा लगा पाते हैं।
दूसरी ओर, बुलियन बाजार यानी सोना और चांदी पर इसका असर थोड़ा अलग रहने की संभावना है। सोना और चांदी को सुरक्षित निवेश माना जाता है। जब आर्थिक और राजनीतिक माहौल स्थिर होता है तो लोग जोखिम भरे निवेशों, जैसे कि शेयर बाजार की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। इससे सोने की कीमतों पर थोड़ा दबाव पड़ सकता है या वे एक सीमित दायरे में ही घूमती रह सकती हैं। चांदी की कीमतों पर औद्योगिक मांग का भी असर होता है। अगर सरकार विकास पर ध्यान केंद्रित करती है तो औद्योगिक उपयोग के कारण चांदी की मांग बनी रह सकती है। लेकिन, राजनीतिक स्थिरता का सबसे बड़ा और सीधा फायदा शेयर बाजार को ही मिलता है।
एफआईआई का रुख भी होगा पॉजिटिव
व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण से देखें तो विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत में निवेश करते समय 'इंडिया स्टोरी' को देखते हैं। बिहार जैसे बड़े राज्य में एक मजबूत सरकार की वापसी की उम्मीद भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति उनके सकारात्मक नजरिए को और मजबूत करेगी। इससे विदेशी पूंजी का प्रवाह बढ़ सकता है। मुद्रा बाजार पर भी इसका असर दिख सकता है। निवेशकों का भरोसा बढ़ने से रुपये को थोड़ी मजबूती मिल सकती है। हालांकि, यह असर सीमित और थोड़े समय के लिए ही होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि रुपये की चाल मुख्य रूप से अमेरिका की ब्याज दरों और वैश्विक तेल की कीमतों पर निर्भर करती है।
एग्जिट पोल आने से पहले स्थानीय शेयर बाजार मंगलवार को शुरुआती गिरावट से उबरते हुए अच्छी बढ़त के साथ बंद हुआ। बीएसई सेंसेक्स 336 अंक लाभ में रहा। जबकि एनएसई निफ्टी 25,700 अंक के करीब पहुंच गया। भारत, अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद के बीच सेवाओं और दूरसंचार कंपनियों के शेयरों में लिवाली से बाजार बढ़त में रहा।
हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि इससे बाजार पर कोई बड़ा या चौंकाने वाला असर होने की संभावना नहीं है। ज्यादातर निवेशकों ने पहले से ही यह मान लिया है कि एनडीए की जीत होगी। इसका मतलब है कि बाजार के लिए यह परिणाम कोई नया संकेत नहीं है, बल्कि स्थिरता और नीतिगत निरंतरता की केवल एक पुष्टि है। विश्लेषकों का मानना है कि इस समय बाजार के उतार-चढ़ाव पर राज्य-स्तरीय परिणामों के बजाय राष्ट्रीय आर्थिक नीतियां और वैश्विक आर्थिक रुझान (जैसे कि अमेरिका में ब्याज दरें) अधिक हावी हैं। इसलिए जब तक परिणाम अनुमान के उलट (उदाहरण के लिए एनडीए की अप्रत्याशित हार या बहुत करीबी जीत) नहीं आता, तब तक बाजार की भावना स्थिर रहेगी और यह अपनी सामान्य रफ्तार से चलता रहेगा।
एग्जिट पोल की परीक्षा 14 नवंबर को होगी जब असल नतीजे जारी होंगे। हालांकि, एग्जिट पोल में एनडीए की जीत से शेयर बाजार का मूड पॉजिटिव रहने के आसार हैं। शेयर बाजार हमेशा राजनीतिक स्थिरता और नीतियों में एकरूपता को पसंद करते हैं। जब एनडीए की स्पष्ट जीत का अनुमान लगाया जा रहा है तो इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ता है। यह एक अच्छा संकेत है कि राज्य और केंद्र सरकार की नीतियां एक जैसी रहेंगी। इससे बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास से जुड़े प्रोजेक्ट्स को तेजी से पूरा किया जा सकेगा।
इन कंपनियों के शेयरों में आ सकती है तेजी
इस स्थिति में बाजार में उन कंपनियों के शेयरों में उछाल आ सकता है जिन्हें सरकारी नीतियों से सीधा फायदा होता है। उदाहरण के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन से जुड़ी कंपनियों के शेयर बढ़ सकते हैं। कारण है कि राज्य में निर्माण गतिविधियों के बढ़ने की उम्मीद है। बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर को भी बढ़ावा मिल सकता है। आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से लोन और बैंकिंग सेवाओं की मांग बढ़ेगी। इसी तरह, सीमेंट और स्टील उद्योगों को भी फायदा होगा, क्योंकि निर्माण क्षेत्र की मांग बढ़ेगी। एक स्पष्ट जनादेश मिलने से अनिश्चितता कम होती है। इससे निवेशक ज्यादा आत्मविश्वास के साथ पैसा लगा पाते हैं।
दूसरी ओर, बुलियन बाजार यानी सोना और चांदी पर इसका असर थोड़ा अलग रहने की संभावना है। सोना और चांदी को सुरक्षित निवेश माना जाता है। जब आर्थिक और राजनीतिक माहौल स्थिर होता है तो लोग जोखिम भरे निवेशों, जैसे कि शेयर बाजार की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। इससे सोने की कीमतों पर थोड़ा दबाव पड़ सकता है या वे एक सीमित दायरे में ही घूमती रह सकती हैं। चांदी की कीमतों पर औद्योगिक मांग का भी असर होता है। अगर सरकार विकास पर ध्यान केंद्रित करती है तो औद्योगिक उपयोग के कारण चांदी की मांग बनी रह सकती है। लेकिन, राजनीतिक स्थिरता का सबसे बड़ा और सीधा फायदा शेयर बाजार को ही मिलता है।
एफआईआई का रुख भी होगा पॉजिटिव
व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण से देखें तो विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत में निवेश करते समय 'इंडिया स्टोरी' को देखते हैं। बिहार जैसे बड़े राज्य में एक मजबूत सरकार की वापसी की उम्मीद भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति उनके सकारात्मक नजरिए को और मजबूत करेगी। इससे विदेशी पूंजी का प्रवाह बढ़ सकता है। मुद्रा बाजार पर भी इसका असर दिख सकता है। निवेशकों का भरोसा बढ़ने से रुपये को थोड़ी मजबूती मिल सकती है। हालांकि, यह असर सीमित और थोड़े समय के लिए ही होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि रुपये की चाल मुख्य रूप से अमेरिका की ब्याज दरों और वैश्विक तेल की कीमतों पर निर्भर करती है।
एग्जिट पोल आने से पहले स्थानीय शेयर बाजार मंगलवार को शुरुआती गिरावट से उबरते हुए अच्छी बढ़त के साथ बंद हुआ। बीएसई सेंसेक्स 336 अंक लाभ में रहा। जबकि एनएसई निफ्टी 25,700 अंक के करीब पहुंच गया। भारत, अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद के बीच सेवाओं और दूरसंचार कंपनियों के शेयरों में लिवाली से बाजार बढ़त में रहा।
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