वहीं, इस विषय में डॉक्टर प्रिया ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि एमनियोटिक फ्लूइड को गर्भावस्था के किस महीने से मापा जाता है, इसका सामान्य स्तर क्या होता है और जब यह स्तर असामान्य हो, तो इससे शिशु को कौन-कौन से खतरे हो सकते हैं।आइए, जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
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इस रेंज में देते हैं डॉक्टर से मिलने की तुरंत सलाह

डॉक्टर आगे कहती हैं कि वहीं अगर एमनियोटिक फ्लूइड की मात्रा दस से कम है तो फिर ऐसी स्थिति में हम अलर्ट हो जाते हैं। साथ ही इन महिलाओं को 3 से चार लीटर पानी पीने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर की एडवाइज की दवाईयां लेनी हैं।
फ्लूइड का स्तर 20 से अधिक होने पर होती है यह जांच
डॉ. प्रिया बताती हैं कि अगर एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर 20 से अधिक हो, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर मां के शुगर लेवल की जांच करते हैं। इसका कारण यह हो सकता है कि महिला को डायबिटीज (Diabetes) तो नहीं, जिसकी वजह से गर्भ में पानी की मात्रा सामान्य से अधिक गई है।
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क्या होती है नॉर्मल रेंज
स्त्री रोग विशेषज्ञ बताती हैं कि इस फ्लूइड की नॉर्मल रेंज 5 से 25 होती है। वहीं, अगर यह पांच से कम हो, तो फिर उसे Oligohydramnios कहते हैं। डॉक्टर कहती हैं कि इतना कम पानी होने की वजह से बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
साथ ही बी को मूवमेंट रुक सकती है या फिर बच्चे की धड़कन तक रूक सकती है। इस परिस्थिति में किसी भी पेशेंट को डॉक्टर की सलाह का सख्ती से पालन करना चाहिए।
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पांचवें महीने में किया जाता है चेक

डॉक्टर प्रिया बताती हैं कि बच्चे के बाहर जो पानी होता है उसे एमनियोटिक फ्लूइड कहा जाता है। इसे हम लोग मुख्य तौर पर सोनोग्राफी में पांचवें महीने से मापना शुरू करते हैं।
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