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पीएम मोदी की तारीफ, रूस को लेकर भारत पर निशाना... ट्रंप की डबल गेम डिप्लोमेसी, एक्सपर्ट ने खोली सौदेबाजी की पोल

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वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा है कि 'भारत ने रूसी तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है।' डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इसी बयान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 'महान' बताया। नरेन्द्र मोदी, अपने दूसरे कार्यकाल में ऐसा कई बार कर चुके हैं। वो एक मुंह से मोदी की तारीफ करते हैं तो दूसरे मुंह से भारत को निशाना बनाते हैं। ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में अगर किसी देश को सबसे ज्यादा परेशान किया है तो वो भारत है और किसी नेता को सबसे ज्यादा असहज स्थिति में डाला है, तो वो मोदी हैं।

भारतीय एक्सपर्ट्स इसे डोनाल्ड ट्रंप का 'डबल गेम' कहते हैं। भारत के मशहूर स्ट्रैटजिस्ट ब्रह्मा चेलानी ने ट्रंप की किताब का हवाला देते हुए इसपर बात की है। ब्रह्मा चेलानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि "उन्होंने (मोदी) रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया... मोटे तौर पर उन्होंने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया" ट्रंप ने एक बार फिर मोदी की "महान व्यक्ति" कहकर प्रशंसा करने से पहले घोषणा की।"

भारत और मोदी पर ट्रंप का डबल गेम?
ब्रह्मा चेलानी ने आगे लिखा है कि "ट्रंप की भारत रणनीति अब स्पष्ट है: रियायतें पाने के लिए आर्थिक शिकंजा कसना और साथ ही मोदी के अहंकार को भरपूर चापलूसी से सहलाना। अपनी 1987 की किताब, "ट्रंप: द आर्ट ऑफ द डील" में उन्होंने अपनी बातचीत की रणनीति का वर्णन किया। ट्रंप ने अपने सौदेबाजी के बारे में लिखा, "थोड़ी अतिशयोक्ति कभी नुकसान नहीं पहुंचाती।" यानि जिसके बारे में उन्होंने कहा कि चापलूसी, खुशामद और कठोर रणनीति के जरिए, जिसमें दूसरे पक्ष को कुचलने की कोशिश भी शामिल है, आगे बढ़ाया जा सकता है। उनकी वर्तमान, भारत को लेकर रणनीति इसी विवरण पर खरी उतरती है।" ब्रह्मा चेलानी के मुताबिक ट्रंप की ये दोहरी रणनीति है, जिसमें एक तरफ दबाव डालना, दूसरी तरफ तारीफ करके विश्वास बनाना होता है।

यह तरीका उनकी प्रसिद्ध किताब "Trump: The Art of the Deal" (1987) को पलटने से साफ पता चलता है। उस किताब में डोनाल्ड ट्रंप लिखते हैं कि "सफल सौदे के लिए कभी-कभी थोड़ा हाइपरबोल यानि बड़ी बड़ी बातें बोलना" काम आती है। उनका मानना है कि "अगर आप अपनी बात में जोश और आत्मविश्वास दिखाते हैं, तो सामने वाला मानने को तैयार हो जाता है।" वे आगे कहते हैं कि चापलूसी , मनाना और कठोर रवैया — ये तीनों एक साथ इस्तेमाल करने से आप बेहतर सौदा निकाल सकते हैं। मौजूदा समय में भारत को लेकर ट्रंप का रुख बिल्कुल इसी किताब की रणनीति पर आधारित लगता है। वे एक तरफ भारत पर आर्थिक दबाव डाल रहे हैं, जैसे व्यापार संतुलन, रक्षा खरीद और ऊर्जा आयात के मुद्दे पर, वहीं दूसरी तरफ मोदी को "मित्र" और "महान नेता" बताकर रिश्तों की सतह को सकारात्मक बनाए रख रहे हैं।


भारत को लेकर भी चीन, मैक्सिको वाला फॉर्मूला?
भारत को अमेरिका स्ट्रैटजिक पार्टनर कहता है, लेकिन ट्रंप मैक्सिको जैसे देशों के फॉर्मूले पर ही भारत के साथ डील कर रहे हैं। ट्रंप ने हाल ही में कहा है कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता “बहुत अच्छी चल रही है”, जिससे यह संदेश देने की कोशिश की कि उनकी “आक्रामक कूटनीति” काम कर रही है। दरअसल, ट्रंप की विदेश नीति में “आर्थिक दबाव के साथ निजी संबंधों का उपयोग” एक सामान्य सूत्र रहा है, चाहे वह चीन, मेक्सिको या उत्तर कोरिया से निपटना हो। भारत के मामले में भी वे वही फॉर्मूला अपना रहे हैं... पहले भारत के साथ व्यापार असंतुलन और तेल आयात जैसे मुद्दों पर सख्त बयान देना, फिर मोदी की तारीफ करके यह दिखाना कि रिश्ते अच्छे हैं। यह संतुलन ही डोनाल्ड ट्रंप की “आर्ट ऑफ द डील” है, जिसमें दबाव और प्रशंसा दोनों हथियार हैं।
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