ढाका: बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार अब देश की सेना से सीधे टकराने की राह पर बढ़ रही है। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) की अभियोजन टीम ने मंगलवार को सेना को चेतावनी दी कि अगर बुधवार को उसके 15 सेवारत अधिकारियों को अदालत में पेश नहीं किया गया, तो उन्हें ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया जाएगा। आईसीटी-बीडी के अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर वे कल अदालत में पेश नहीं होते हैं, तो न्यायाधिकरण एक नयी तारीख तय करेगा और उनके खिलाफ समन के साथ नोटिस दो अखबारों में प्रकाशित किए जाएंगे। उस तारीख को पेश न होने पर उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि न्यायाधिकरण ने पहले कई पूर्व और वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे और पुलिस महानिरीक्षक को उस आदेश को तामील करने का आदेश दिया गया था जबकि ‘‘वारंट की प्रतियां संबंधित (सशस्त्र) बलों के प्रमुखों को भी भेजी गई थीं।’’ बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने 8 अक्टूबर को 16 सेवारत सैन्य अधिकारियों और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना समेत 14 अन्य के खिलाफ पिछले अवामी लीग शासन के दौरान राजनीतिक विरोधियों के जबरन गायब होने या अपहरण और यातना में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए।
सेना ने अधिकारियों को हिरासत में लिया
सेना ने 11 अक्टूबर को मीडिया के साथ बातचीत में कहा था कि आईसीटी-बीडी द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने के तुरंत बाद उन्होंने 16 में से 15 अधिकारियों को ‘सैन्य हिरासत’ में ले लिया। हालांकि, सेना अधिनियम के तहत कोर्ट मार्शल के बजाय आईसीटी-बीडी अधिनियम के तहत दीवानी अदालत में उनके खिलाफ मुकदमे से जुड़ी चिंताजनक अटकलों के बीच सेना ने किसी भी वारंट की प्रति प्राप्त होने से इनकार किया है।
सेना से टकरा रहे मोहम्मद यूनुस
बांग्लादेश आईसीटी के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने सेना की घोषणा के बाद लगातार दो दिनों तक उनकी अदालत में पेशी की मांग की, लेकिन सेना अनसुना कर दिया। बांग्लादेशी सेना के एडजुटेंट जनरल मेजर जनरल मोहम्मद हकीमुज्जमान ने 11 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस को कहा था कि 16 अधिकारियों को सेना मुख्यालय में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। उनमें से 15 ने जवाब दिया और उन्हें सैन्य हिरासत में रखा गया।
हकीमुज्जमान ने कहा, हमने वारंट मिलने से पहले ही कार्रवाई की थी। उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्हें आईसीटी के सामने पेश किया जाएगा या नहीं, लेकिन यह जरूर कहा कि सेना अधिनियम 9 रिटायर्ट अधिकारियों पर लागू नहीं होता है और पुलिस वारंट पर कार्रवाई कर सकती है।
सैन्य अधिकारियों पर मुकदमे से बढ़ा तनाव
बांग्लादेश में सैन्य अधिकारियों के मुकदमे को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने पिछले सप्ताह अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को सेना से न टकराने की चेतावनी दी थी। बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य सलाहुद्दीन अहमद ने राजनीतिक दलों के साथ बैठक के दौरान यूनुस से कहा, हम चाहते हैं कि आप सशस्त्र बलों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखें। हम कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते, क्योंकि हम इसे सह नहीं पाएंगे।
उन्होंने कहा कि न्यायाधिकरण ने पहले कई पूर्व और वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे और पुलिस महानिरीक्षक को उस आदेश को तामील करने का आदेश दिया गया था जबकि ‘‘वारंट की प्रतियां संबंधित (सशस्त्र) बलों के प्रमुखों को भी भेजी गई थीं।’’ बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने 8 अक्टूबर को 16 सेवारत सैन्य अधिकारियों और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना समेत 14 अन्य के खिलाफ पिछले अवामी लीग शासन के दौरान राजनीतिक विरोधियों के जबरन गायब होने या अपहरण और यातना में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए।
सेना ने अधिकारियों को हिरासत में लिया
सेना ने 11 अक्टूबर को मीडिया के साथ बातचीत में कहा था कि आईसीटी-बीडी द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने के तुरंत बाद उन्होंने 16 में से 15 अधिकारियों को ‘सैन्य हिरासत’ में ले लिया। हालांकि, सेना अधिनियम के तहत कोर्ट मार्शल के बजाय आईसीटी-बीडी अधिनियम के तहत दीवानी अदालत में उनके खिलाफ मुकदमे से जुड़ी चिंताजनक अटकलों के बीच सेना ने किसी भी वारंट की प्रति प्राप्त होने से इनकार किया है।
सेना से टकरा रहे मोहम्मद यूनुस
बांग्लादेश आईसीटी के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने सेना की घोषणा के बाद लगातार दो दिनों तक उनकी अदालत में पेशी की मांग की, लेकिन सेना अनसुना कर दिया। बांग्लादेशी सेना के एडजुटेंट जनरल मेजर जनरल मोहम्मद हकीमुज्जमान ने 11 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस को कहा था कि 16 अधिकारियों को सेना मुख्यालय में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। उनमें से 15 ने जवाब दिया और उन्हें सैन्य हिरासत में रखा गया।
हकीमुज्जमान ने कहा, हमने वारंट मिलने से पहले ही कार्रवाई की थी। उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्हें आईसीटी के सामने पेश किया जाएगा या नहीं, लेकिन यह जरूर कहा कि सेना अधिनियम 9 रिटायर्ट अधिकारियों पर लागू नहीं होता है और पुलिस वारंट पर कार्रवाई कर सकती है।
सैन्य अधिकारियों पर मुकदमे से बढ़ा तनाव
बांग्लादेश में सैन्य अधिकारियों के मुकदमे को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने पिछले सप्ताह अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को सेना से न टकराने की चेतावनी दी थी। बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य सलाहुद्दीन अहमद ने राजनीतिक दलों के साथ बैठक के दौरान यूनुस से कहा, हम चाहते हैं कि आप सशस्त्र बलों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखें। हम कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते, क्योंकि हम इसे सह नहीं पाएंगे।
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