रियाद: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सऊदी अरब की यात्रा पर पहुंचे हैं। उन्होंने प्रिंस मोहम्मद के साथ बैठक की और 600 बिलियन डॉलर के निवेश प्रतिबद्धता सहित 142 बिलियन डॉलर के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह सौदा दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा है। ट्रम्प ने हल्के अंदाज में कहा कि यह सऊदी निवेश एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
अमेरिका और सऊदी अरब के बीच हस्ताक्षरित समझौतों में एक क्षेत्र-विशिष्ट निवेश कोष की स्थापना की भी घोषणा की गई। इस सौदे में 5 बिलियन डॉलर का ऊर्जा निवेश कोष, 5 बिलियन डॉलर का न्यू एरा एयरोस्पेस और रक्षा प्रौद्योगिकी कोष, और 4 बिलियन डॉलर का एनफील्ड स्पोर्ट्स ग्लोबल स्पोर्ट्स फंड शामिल है। इसके समानांतर, सऊदी अरब के साथ अमेरिकी एफ-35 जेट खरीदने के लिए बातचीत चल रही है।
ट्रम्प की यात्रा के दौरान अमेरिका-सऊदी निवेश फोरम की बैठक भी आयोजित की गई। इनमें निवेश के अवसरों की तलाश के लिए ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फिंक, ब्लैकस्टोन के सीईओ ए श्वार्टज़मैन, ओपन एआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन, एलन मस्क और अमेरिका से ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट शामिल थे। इस अवसर पर ट्रम्प ने 2017 की यात्रा को भी याद किया। कुल 600 बिलियन डॉलर मूल्य के सौदों में से 300 बिलियन डॉलर के सौदों पर फोरम की बैठक के दौरान ही हस्ताक्षर किये गये। ट्रम्प बुधवार को कतर और गुरुवार को संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर जाएंगे। ट्रम्प को इन देशों से भी भारी निवेश मिलने की उम्मीद है।
वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी थिंक टैंक की वरिष्ठ फेलो एलिजाबेथ डेंट ने कहा कि ट्रम्प की सऊदी यात्रा से दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु समझौता होने की संभावना है। सऊदी अरब भी अपने विज़न 2030 के तहत अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाना चाहता है। इसलिए वह वहां नए क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक है। इसके एक भाग के रूप में, वह नियोम जैसा एक भविष्योन्मुखी शहर बना रहे हैं, जो बेल्जियम जैसा शहर है। इसमें 3 मिलियन लोगों के रहने की व्यवस्था होगी। इस शहर को इस तरह विकसित किया जाएगा कि यहां रहने वाला हर व्यक्ति 15 से 20 मिनट के भीतर अपने कार्यस्थल तक पहुंच सकेगा। सऊदी अरब ने पिछले वर्ष तेल पर अपनी निर्भरता घटाकर 62 प्रतिशत कर ली।
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