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डल झील की लहरों पर दहशत का साया: पहलगाम हमला कश्मीर के टूरिज्म के लिए कितना बड़ा झटका?

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'धरती का स्वर्ग'कहे जाने वाले कश्मीर की वादियां जब-जब अमन और खुशहाली की ओर कदम बढ़ाती हैं,तब-तब आतंकवाद का काला साया उसे फिर से अंधेरे में धकेलने की कोशिश करता है. पहलगाम में पर्यटकों पर हुआ हालिया आतंकी हमला इसी की एक दर्दनाक मिसाल है. यह हमला सिर्फ चंद गोलियों की आवाज नहीं,बल्कि कश्मीर की उस उम्मीद पर एक गहरा घाव है,जो पर्यटन उद्योग के सहारे फिर से मुस्कुराने की कोशिश कर रही थी.यह सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं,बल्कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी को तोड़ने की एक सोची-समझी साजिश है.उम्मीदों से भरे मौसम पर लगा ग्रहणपिछले कुछ समय से कश्मीर में रिकॉर्ड तोड़ संख्या में पर्यटक आ रहे थे. अनुच्छेद370हटने के बाद से सरकार और स्थानीय प्रशासन लगातार यह माहौल बनाने में जुटे थे कि कश्मीर अब सुरक्षित है और सैलानियों के स्वागत के लिए तैयार है. डल झील के शिकारे फिर से भर गए थे,पहलगाम और गुलमर्ग के होटल गुलजार थे,और स्थानीय लोगों के चेहरों पर एक नई उम्मीद की चमक थी.लेकिन पहलगाम हमले ने इस खुशनुमा माहौल में डर का जहर घोल दिया है. आतंकवादियों ने जानबूझकर पर्यटकों को निशाना बनाया. उनका मकसद साफ है - दुनिया भर में यह संदेश भेजना कि कश्मीर सुरक्षित नहीं है. वे उस भरोसे को तोड़ना चाहते हैं,जिसके बल पर कोई सैलानी हजारों किलोमीटर दूर से सुकून के कुछ पल बिताने यहां आता है.रोजी-रोटी पर सीधा हमलायह हमला उन लाखों कश्मीरियों की रोजी-रोटी पर सीधा प्रहार है,जिनका पूरा परिवार पर्यटन पर निर्भर है. शिकारा चलाने वाले से लेकर,होटल के कर्मचारी,टैक्सी ड्राइवर,गाइड और हैंडीक्राफ्ट बेचने वाले छोटे दुकानदार तक,हर कोई इस हमले की तपिश महसूस कर रहा है.एक हमले की खबर फैलते ही होटलों की बुकिंग कैंसिल होने लगती हैं,टूरिस्ट अपनी यात्राएं रद्द कर देते हैं और जो यहां होते हैं,वे भी खौफ के साए में जल्दी वापस लौटने की सोचने लगते हैं. आतंकवादियों को पता है कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाकर वे अशांति को जिंदा रख सकते हैं.विश्वास बहाली की सबसे बड़ी चुनौतीसुरक्षा बल भले ही अपनी जवाबी कार्रवाई में आतंकियों को ढेर कर दें,लेकिन जो नुकसान भरोसे को पहुंचता है,उसकी भरपाई करने में सालों लग जाते हैं. अब सरकार और प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती पर्यटकों का विश्वास फिर से जीतने की होगी. उन्हें यह यकीन दिलाना होगा कि यह एक अकेली घटना थी और कश्मीर उनके लिए आज भी उतना ही महफूज और खूबसूरत है.यह हमला कश्मीर के पर्यटन उद्योग के लिए एक विनाशकारी झटका है,जिसने उसे कई साल पीछे धकेल दिया है. अब देखना यह है कि कश्मीर की जन्नत इस गहरे जख्म से उबरकर कितनी जल्दी फिर से सैलानियों का स्वागत कर पाती है.
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