पाकिस्तान ऊर्जा योजना: भारत के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर पाकिस्तान ने अपनी ऊर्जा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए ‘ऊर्जा योजना’ पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने बुधवार को संशोधित 10 वर्षीय राष्ट्रीय विद्युत खरीद नीति को मंजूरी दे दी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा संबंधी लागत को कम करना और महंगे दीर्घकालिक अनुबंधों पर निर्भरता को कम करना है। इस निर्णय के साथ, पाकिस्तानी सरकार अब पहले से नियोजित 14,000 मेगावाट बिजली की खरीद के स्थान पर केवल 7,000 मेगावाट बिजली ही खरीदेगी। इस परिवर्तन से सरकार को 4.743 ट्रिलियन रुपए (लगभग 17 बिलियन डॉलर) की बचत होने की उम्मीद है।
कश्मीर तनाव के बाद पाकिस्तान की लागत प्रभावी ऊर्जा नीतिकश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है, जिससे पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में शाहबाज सरकार ने अब घरेलू खर्च कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
इस फैसले के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सरकार का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा क्षेत्र में सतत सुधार और बिजली दरों में कमी लाना है। प्रधानमंत्री ने एकीकृत उत्पादन क्षमता विस्तार योजना (आईजीसीईपी) 2024-2034 की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।
‘मुक्त बिजली बाज़ार’ स्थापित करने की चेतावनीबैठक के दौरान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा कि “बिजली परियोजनाओं में किसी भी तरह की देरी अस्वीकार्य है” और उन्होंने डायमर भाषा बांध परियोजना को समय पर पूरा करने का भी आदेश दिया। साथ ही उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “पाकिस्तान जल्द ही एक मुक्त बिजली बाजार स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है”, जिससे बिजली आपूर्ति में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और कीमतों में और कमी आएगी।
महंगी परियोजनाएं खत्म, बिजली दरों में राहतसरकार ने 7,967 मेगावाट की महंगी बिजली परियोजनाएं रद्द कर दी हैं, जिससे भविष्य में वित्तीय बोझ कम करने में मदद मिलेगी। ऊर्जा मंत्री ने यह भी बताया कि “इस नीति परिवर्तन से उपभोक्ताओं को बढ़ती बिजली की कीमतों की मार से राहत मिलेगी” तथा घरेलू और वाणिज्यिक लागत में कमी आएगी। प्रधानमंत्री ने ऊर्जा मंत्री सरदार अवैस लेघारी और उनकी टीम के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए इस नीति को “पाकिस्तान के लिए ऐतिहासिक सफलता” बताया। बैठक में ऊर्जा, सूचना, वित्त और पेट्रोलियम मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
आर्थिक संकट में निर्णय लेने में मार्गदर्शनऐसे समय में जब पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, ऊर्जा क्षेत्र में यह निर्णय सरकार के वित्तीय प्रबंधन में मदद करेगा। भारत के साथ तनाव की पृष्ठभूमि में लिए गए इस निर्णय को पाकिस्तान के सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण में बदलाव के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ऊर्जा योजना सिर्फ लागत में कमी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, स्थिरता और बाजार आधारित नीति की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
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