हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और ट्रंप प्रशासन के बीच हालिया विवाद ने अमेरिकी उच्च शिक्षा प्रणाली में एक नई बहस को जन्म दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड पर यहूदी विरोधी गतिविधियों को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया और इसके परिणामस्वरूप $2.2 बिलियन की फंडिंग को रोकने की धमकी दी ।
ट्रंप प्रशासन की मांगेंप्रशासन ने हार्वर्ड से कई मांगें कीं, जिनमें विश्वविद्यालय की नेतृत्व संरचना में बदलाव, प्रवेश नीतियों में संशोधन, विविधता कार्यक्रमों की समीक्षा, और कुछ छात्र क्लबों की मान्यता समाप्त करना शामिल था ।
ट्रंप प्रशासन की मांगें और हार्वर्ड की प्रतिक्रिया प्रशासन की मांगों का विवरणट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड से निम्नलिखित मांगें कीं:
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विश्वविद्यालय की नेतृत्व संरचना में बदलाव।
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प्रवेश नीतियों में संशोधन।
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विविधता कार्यक्रमों की समीक्षा और कुछ छात्र क्लबों की मान्यता समाप्त करना।
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अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की स्क्रीनिंग।
इन मांगों के पीछे प्रशासन का तर्क था कि हार्वर्ड परिसर में यहूदी विरोधी गतिविधियों को रोकने में विफल रहा है ।
हार्वर्ड की प्रतिक्रियाहार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इन मांगों को अस्वीकार करते हुए कहा कि प्रशासन की मांगें विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और शैक्षणिक स्वतंत्रता पर आक्रमण हैं। विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एलन गार्बर ने कहा, “हम अपनी स्वतंत्रता या संवैधानिक अधिकारों को नहीं छोड़ेंगे”
कानूनी कार्रवाई: हार्वर्ड की याचिका याचिका की मुख्य बातेंहार्वर्ड ने मैसाचुसेट्स की संघीय अदालत में एक 51-पृष्ठ की याचिका दायर की, जिसमें प्रशासन की फंडिंग रोकने की कार्रवाई को “मनमानी और असंवैधानिक” बताया गया ।
कानूनी आधारयाचिका में कहा गया कि प्रशासन की कार्रवाई प्रथम संशोधन और नागरिक अधिकार अधिनियम के तहत हार्वर्ड के अधिकारों का उल्लंघन है। विश्वविद्यालय ने अदालत से फंडिंग रोकने की कार्रवाई को अवैध घोषित करने और इसे रोकने का अनुरोध किया ।
संभावित प्रभाव और व्यापक प्रतिक्रिया अनुसंधान और शिक्षा पर प्रभावफंडिंग रोकने से हार्वर्ड के अनुसंधान कार्यक्रमों, विशेष रूप से चिकित्सा और वैज्ञानिक अनुसंधान, पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इससे न केवल विश्वविद्यालय बल्कि राष्ट्रीय नवाचार और प्रगति भी प्रभावित हो सकती है ।
अन्य विश्वविद्यालयों की प्रतिक्रियाअन्य विश्वविद्यालयों, जैसे कोलंबिया और प्रिंसटन, ने भी प्रशासन की मांगों का सामना किया है। कुछ ने प्रशासन की मांगों को स्वीकार किया, जबकि अन्य ने हार्वर्ड की तरह कानूनी कार्रवाई का रास्ता अपनाया है ।
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