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Jagadguru Rambhadracharya On POK: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से ली दीक्षा, संत ने दक्षिणा में मांग लिया पीओके!

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चित्रकूट। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से दक्षिणा में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके मांगा है। खुद जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मीडिया को ये जानकारी दी। दरअसल, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी बुधवार को यूपी के चित्रकूट गए थे। वहां सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से दीक्षा ली। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बताया कि उन्होंने सेना प्रमुख को वही दीक्षा दी, जो हनुमान जी को माता सीता ने दी थी। जिसके बाद हनुमान जी ने लंका विजय में अहम भूमिका निभाई। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि मैंने सेना प्रमुख से दक्षिणा में पीओके की वापसी मांगी।

सेना प्रमुख का जगद्गुरु रामभद्राचार्य से दीक्षा लेने का कार्यक्रम सार्वजनिक तौर पर नहीं हुआ है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अकेले में उनसे मिलकर दीक्षा ली है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य पहले भी कई बार ये कह चुके हैं कि एक न एक दिन पीओके फिर वापस आएगा। रामभद्राचार्य ने पाकिस्तान परस्त आतंकवाद के खिलाफ भी कई बार बयान देते हुए पड़ोसी देश को सबक सिखाने की मांग सरकार से की है। अब जबकि, खुद सेना प्रमुख ने उनसे राम नाम की दीक्षा ली, तो जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने उनसे बदले में पीओके की वापसी की मांग कर दी। हालांकि, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने ये नहीं बताया कि पीओके वाली गुरु दक्षिणा पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उनसे क्या कहा।

भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान में जैश, लश्कर और हिजबुल के मुख्यालयों समेत 9 आतंकी ठिकानों को मिट्टी में मिला दिया। जब पाकिस्तान की सेना ने भारत से बदला लेने की कोशिश की, तो भारत की सेनाओं ने उसे भी अच्छा सबक सिखाया। भारत ने ताबड़तोड़ मिसाइल और ड्रोन से हमले कर पाकिस्तान के 11 एयरबेस और 2 रडार स्टेशनों पर बड़ी तबाही मचाई। भारतीय सेना के तांडव से पाकिस्तान में घबराहट का माहौल है। पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत सैन्य कार्रवाई चलाने में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की भी बड़ी भूमिका रही है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चीन के साथ तनाव के दौरान अहम उत्तरी कमान को भी संभाला था। उनके नेतृत्व के कारण चीन का एक भी सैनिक एलएसी पार कर भारत में कदम नहीं रख सका था।

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