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Why Did Pakistan Got Afraid Of Operation Sindoor: भारत के ऑपरेशन सिंदूर से इसलिए घबराया पाकिस्तान, जानिए पीएम शहबाज शरीफ और जनरल आसिम मुनीर क्यों डरे?

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वॉशिंगटन। भारत और पाकिस्तान के बीच ताजा संघर्ष में अमेरिका आखिर क्यों कूदा? इस बारे में अमेरिकी मीडिया कुछ दावे कर रहा है। अमेरिका की मीडिया का दावा है कि डोनाल्ड ट्रंप की सरकार को ये अंदेशा हो गया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध भी छिड़ सकता है। दरअसल, भारत ने जब 9 और 10 मई की दरम्यानी रात पाकिस्तान के तमाम एयरबेस पर बड़े हमले किए, तो पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना हिल उठी। अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक पूर्व अमेरिकी अफसर के हवाले से बताया है कि पाकिस्तान को ये डर सताने लगा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत उसके न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी को नष्ट कर देगा।

पाकिस्तान को अपने न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के नष्ट होने की आशंका उस वक्त हुई, जब भारत ने रावलपिंडी में अथॉरिटी के मुख्यालय से कुछ ही दूर नूर खान एयरबेस पर हमला कर उसे जबरदस्त क्षति पहुंचाई। इस हमले का पाकिस्तान ने अर्थ निकाला कि भारत के पास उसके न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी को पूरी तरह नष्ट करने की क्षमता है। वहीं, शनिवार 10 मई की सुबह पाकिस्तान की मीडिया ने ये खबर देनी शुरू की कि पीएम शहबाज शरीफ ने नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक बुलाई है। ये अथॉरिटी साल 2000 में बनी थी और इसके अध्यक्ष पाकिस्तान के पएम होते हैं। नेशनल कमांड अथॉरिटी ही परमाणु हमले के बारे में फैसला करता है कि इसे कब और किन हालात में किया जाएगा। हालांकि, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इससे इनकार किया था कि नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक हुई। उन्होंने ये कहा था कि इसे बहुत दूर की संभावना के तौर पर देखना चाहे और इस पर चर्चा भी नहीं करनी चाहिए।

image भारत ने इस्लामाबाद के पास स्थित नूर खान एयरबेस पर बहुत बड़ा हमला किया था।

नेशनल कमांड अथॉरिटी में पाकिस्तान के पीएम के अलावा सेना प्रमुख और सरकार के वरिष्ठ मंत्री होते हैं। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक भारत ने जब पाकिस्तान के बड़े एयरबेस और रडार स्टेशनों पर मिसाइलों से ताबड़तोड़ हमले किए, तो अमेरिका में रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन में भी अफसरों के कान खड़े हुए। हालांकि, पहले अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ये बयान दे चुके थे कि भारत और पाकिस्तान का संघर्ष अमेरिका की समस्या नहीं है। फिर भी जब ट्रंप प्रशासन ने देखा कि भारत और पाकिस्तान को संघर्ष बंद करने के लिए सऊदी अरब, यूएई और ईरान तक नहीं मना पा रहे हैं, तो हालात पर चर्चा कर इस मामले में दोनों पक्षों से बात करने का फैसला अमेरिका की सरकार ने किया। बता दें कि 25 पहले साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को अंदेशा था कि भारत और पाकिस्तान में परमाणु युद्ध छिड़ सकता है। तब उन्होंने पीएम रहे नवाज शरीफ पर दबाव डालकर करगिल और द्रास की पहाड़ियों पर अवैध घुसपैठ करने वाले पाकिस्तान के सैनिकों को हटवाया था।

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