कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच हाल ही में तनाव के नए संकेत उभरकर सामने आए हैं। तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की सेना के उपयोग पर कड़ी आलोचना की, जिसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया दी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने थरूर के बयान का जवाब उनकी पुस्तक 'द पैराडॉक्सिकल प्राइम मिनिस्टर: नरेंद्र मोदी एंड हिज इंडिया' के एक अंश के माध्यम से दिया, जिसमें थरूर ने मोदी सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक के चुनावी लाभ उठाने की नीति पर सवाल उठाए थे.
थरूर का आरोप
थरूर ने यह आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने सेना को राजनीतिक प्रचार का एक उपकरण बना दिया है, विशेषकर पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक और म्यांमार में विद्रोहियों पर छापेमारी के संदर्भ में। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी इस तरह का राजनीतिक लाभ नहीं उठाया, जबकि वर्तमान सरकार ऐसा कर रही है। पवन खेड़ा ने इस आलोचना को सही ठहराया, जबकि कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने थरूर को कवितात्मक अंदाज में चुनौती दी।
थरूर की टिप्पणियों का प्रभाव
पनामा और अमेरिका के दौरे के दौरान थरूर ने कहा कि आतंकवादियों को अब यह समझ में आ गया है कि उन्हें सजा भुगतनी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि भारत ने 2015 में पहली बार नियंत्रण रेखा पार कर सर्जिकल स्ट्राइक की थी, जबकि कारगिल युद्ध के दौरान ऐसा नहीं हुआ था। 2019 में पुलवामा हमले के जवाब में भारत ने न केवल नियंत्रण रेखा बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा भी पार कर बालाकोट में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था.
कांग्रेस नेता उदित राज का कटाक्ष
हालांकि, थरूर के इस बयान पर कांग्रेस नेता उदित राज ने तीखा कटाक्ष किया कि वे भाजपा के प्रवक्ता बन गए हैं और मोदी सरकार की प्रशंसा कर रहे हैं। इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा और जयराम रमेश भी थरूर के खिलाफ मुखर हो गए, जिससे पार्टी के अंदर चल रही असहमति का संकेत मिलता है।
थरूर की स्थिति और कांग्रेस में असहमति
शशि थरूर का कांग्रेस के साथ रिश्ता कभी भी सहज नहीं रहा। 2014 में पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया था क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की थी। 2022 में वे पार्टी के अंदर बदलाव की मांग करने वाले नेताओं में से एक थे। हाल ही में थरूर ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारतीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया। उनकी टिप्पणियां सुर्खियों में रहीं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व इससे संतुष्ट नहीं है।
थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच बढ़ती दूरियां
इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि शशि थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच बढ़ती दूरियां पार्टी के भीतर राजनीतिक असहमति को उजागर करती हैं। थरूर की लोकप्रियता और उनके विचार पार्टी की नीति से भिन्न होने के कारण उनकी स्थिति जटिल होती जा रही है।
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