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मोदी ने क्यों ठुकराया ट्रंप का न्योता? ओडिशा में जनसभा के दौरान खुद बताई वजह

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रवार को ओडिशा दौरा न सिर्फ विकास परियोजनाओं के उद्घाटन के लिए खास रहा, बल्कि उनकी एक भावनात्मक घोषणा ने लोगों का ध्यान खास तौर पर खींचा। एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आग्रह के बावजूद अमेरिका क्यों नहीं जाने का निर्णय लिया। इस दौरान उन्होंने ओडिशा और जगन्नाथ पुरी की अपनी आस्था का उल्लेख करते हुए इसे अपने दिल के करीब बताया।

ट्रंप का फोन कॉल और मोदी का जवाब

प्रधानमंत्री मोदी ने सभा में खुलासा किया कि हाल ही में जब वह G7 समिट के लिए कनाडा में थे, उस दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से फोन कर अमेरिका आने का आग्रह किया। ट्रंप के निमंत्रण पर पीएम मोदी ने विनम्रतापूर्वक जवाब दिया,

“आपके निमंत्रण के लिए धन्यवाद, लेकिन मुझे तो महाप्रभु की धरती पर आना है।”

पीएम ने कहा कि यह ओडिशा की पावन धरती और यहां के लोगों का स्नेह है, जिसने उन्हें अमेरिका के बजाय पुरी आने के लिए प्रेरित किया। यह कथन सुनते ही जनसभा में तालियों की गूंज सुनाई दी, जो उनके भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है।

पुरी श्रीमंदिर और करोड़ों भक्तों की आस्था

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा सरकार की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि जैसे ही राज्य में नई सरकार बनी, श्रीमंदिर के चारों द्वार भक्तों के लिए खोल दिए गए। इसके साथ ही मंदिर के रत्न भंडार के द्वार भी अब श्रद्धालुओं के लिए खुले हैं। पीएम मोदी ने कहा:

“यह कोई चुनावी विजय नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों की आस्था का सम्मान है।”

उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन माजी और उनकी सरकार को धन्यवाद दिया कि उन्होंने करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान किया और लंबे समय से लंबित मुद्दों का समाधान किया।

ओडिशा: केवल राज्य नहीं, भारत की सांस्कृतिक धरोहर

प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा को भारत की संस्कृति और सभ्यता का “दिव्य सितारा” बताया। उन्होंने कहा कि यह राज्य सदियों से भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और विरासत को समृद्ध करता आया है। मोदी ने कहा:

“ओडिशा केवल एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का हिस्सा है। जब भारत विकास और विरासत दोनों को संतुलित कर आगे बढ़ रहा है, तब ओडिशा की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।”

18,600 करोड़ की परियोजनाओं का तोहफा

अपने ओडिशा दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य को 18,600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाएं समर्पित कीं। इन परियोजनाओं में बुनियादी ढांचा, परिवहन, ऊर्जा और जनकल्याण से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं, जो राज्य के समग्र विकास को रफ्तार देंगी।

प्रधानमंत्री ने भुवनेश्वर में रोड शो भी किया, जिसमें हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े। यह जनसमूह प्रधानमंत्री मोदी के प्रति लोगों के समर्थन और उत्साह को दर्शाता है।

राजनीतिक संकेत या आस्था की जीत?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पीएम मोदी द्वारा अमेरिका न जाकर पुरी आने का निर्णय एक स्पष्ट संदेश देता है—आस्था, परंपरा और जनभावना उनके लिए सर्वोपरि है। उन्होंने एक वैश्विक निमंत्रण को दरकिनार कर भारत की सांस्कृतिक भूमि को तरजीह दी, जो न केवल उनके व्यक्तित्व को दर्शाता है बल्कि राजनीतिक रूप से भी उन्हें जनसमर्थन दिलाने में मददगार हो सकता है।

आस्था, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक

प्रधानमंत्री मोदी का ओडिशा दौरा एक राजनेता से अधिक एक श्रद्धालु के रूप में दिखाई दिया। ट्रंप के निमंत्रण को ठुकराकर उन्होंने जो संदेश दिया, वह केवल राजनीतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक भी था। यह स्पष्ट करता है कि उनके लिए भारत की परंपरा और आस्था हर अंतरराष्ट्रीय मंच से बड़ी है।

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