भारतीय सेना के जवानों की देशभक्ति सिर्फ युद्ध के मैदान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके हर फैसले में झलकती है। महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पचोरा निवासी मनोज पाटिल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है। शादी के दो दिन बाद, जब दूल्हा आमतौर पर धार्मिक अनुष्ठानों में व्यस्त रहता है और घर पर मेहमान होते हैं, मनोज हाथों में मेहंदी और शरीर पर हल्दी लगाकर सीमा के लिए निकल पड़ा।
सगळ काही भारत मातेसाठी...
— Ganesh Pokale... (@P_Ganesh_07) May 9, 2025
लग्नाच्या तीन दिवसांनंतर महाराष्ट्राचे सुपूत्र मनोज पाटील देश सेवेसाठी रवाना... #oprationsindoor #IndianNavyAction #IndiaPakistanTensions #jalgaonnews #India #army #manojpatil #देशसेवा pic.twitter.com/1gmbhYcoTD
मनोज पाटिल की शादी 5 मई को बड़ी धूमधाम से हुई। इस खुशी के अवसर पर परिवार, रिश्तेदार और गांव के सभी लोग शामिल हुए। लेकिन शादी के दो दिन बाद, 7 मई को, उन्हें सेना से तुरंत सीमा पर ड्यूटी पर लौटने का आदेश मिला। 8 मई की सुबह वह अपनी वर्दी पहनकर, हाथों में मेहंदी और शरीर पर हल्दी लगाकर सीमा की ओर निकल पड़े।
संसार, कुटुंब यांहूनही अधिक देशसेवेला प्राधान्य देणारे जवान ही खरी आपल्या देशाची संपत्ती!
— Chhagan Bhujbal (@ChhaganCBhujbal) May 9, 2025
भारत-पाकिस्तान तणावाच्या पार्श्वभूमीवर सैन्याकडून देश आल्यावर लग्नाच्या अवघ्या चौथ्या दिवशीच तात्काळ कर्तव्यावर हजर होण्यासाठी सज्ज झालेला पाचोरा (जळगाव) येथील मनोज पाटील हा जवान आणि त्याला… pic.twitter.com/gSzevXJZBi
देश में चल रहे 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत सरकार ने सभी सैनिकों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। ऐसे में छुट्टी पर गए सभी जवानों को तुरंत ड्यूटी पर लौटने को कहा गया है। मनोज भी इसी क्रम में 8 मई की सुबह सीमा के लिए रवाना हो गए। यामिनी पाटिल ने अपने पति के फैसले का पूरा समर्थन किया। उन्होंने कहा, "देश की सेवा करना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। यह गर्व की बात है कि मेरे पति को यह अवसर मिला। मैं पूरी तरह से उनके साथ हूं।"
पाचोरा तालुक्यातील खेडगाव नंदीचे गावातील जवान मनोज पाटील यांचा ५ मे रोजी विवाह झाला होता. परंतु, लगेचच त्यांना देशाच्या सीमेवर सेवा पुन्हा सुरू करण्याचे आदेश मिळाले. विवाहानंतर तात्काळ पत्नीला विश्वास देऊन ते देशाची सेवा करण्यासाठी सीमेवर रवाना झाले. 1/3 pic.twitter.com/aeKb69ypk1
— Lok Shevay (@LokShevay) May 9, 2025
सीमा की ओर जाते हुए मनोज पाटिल ने कहा, "देश पहले आता है। शादी और पारिवारिक खुशियाँ बाद में आती हैं। जब देश को हमारी ज़रूरत होगी, तो हम सब कुछ छोड़ सकते हैं।" मनोज की यह कहानी न केवल जलगांव के युवाओं को बल्कि पूरे देश के युवाओं को संदेश देती है कि सच्ची बहादुरी केवल हथियार उठाने में नहीं है, बल्कि अपना कर्तव्य निभाने में है, भले ही आप अपने निजी जीवन में कितने भी खुश क्यों न हों।
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