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सावन में देवी लक्ष्मी की अराधना करते समय न करें ये 7 गलतियां वरना हो सकता है उल्टा प्रभाव, लीक्ड फुटेज में जाने नियम व सावधानियां

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सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह समय भगवान शिव की भक्ति के लिए तो प्रसिद्ध है ही, लेकिन साथ ही इस पवित्र महीने में देवी लक्ष्मी की उपासना भी विशेष फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि जो भक्त सावन में नियमपूर्वक देवी लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे धन, सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। लेकिन इस आराधना के कुछ नियम और सावधानियां भी हैं, जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। आइए जानते हैं कि सावन में देवी लक्ष्मी की पूजा करते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।


1. साफ-सफाई से करें शुरुआत
देवी लक्ष्मी को स्वच्छता अत्यंत प्रिय है। इसलिए सावन के महीने में पूजा से पहले अपने घर और विशेषकर पूजा स्थल की सफाई अवश्य करें। प्रतिदिन घर के दरवाजे और मंदिर में जल छिड़कें, और हल्दी या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है।

2. पूजा का उचित समय और दिशा
सावन में देवी लक्ष्मी की पूजा ब्रह्ममुहूर्त या संध्या के समय करनी चाहिए। संध्या का समय विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है क्योंकि यह समय दिन और रात के मिलन का होता है और इसे शुभ मुहूर्त कहा गया है। पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।

3. कमल का फूल और शंख का करें प्रयोग
देवी लक्ष्मी को कमल का फूल अत्यंत प्रिय है। इसलिए उनकी पूजा में कमल का पुष्प अवश्य अर्पित करें। साथ ही शंख से जल भरकर छिड़कना और उसमें से जल अर्पित करना भी पुण्यकारी माना गया है। इससे वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

4. इन मंत्रों का करें जाप
सावन में लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए 'श्री सूक्त' और 'लक्ष्मी बीज मंत्र' का जप करें। जैसे:

“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।”

इस मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। जाप करते समय मन को एकाग्र रखना चाहिए और शुद्धता का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।

5. शुद्धता और संयम का रखें ध्यान
पूरे सावन महीने में सात्विक आहार ग्रहण करना, नशा या मांसाहार से दूर रहना देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है। साथ ही झूठ, क्रोध, आलस्य और अपवित्र विचारों से बचना चाहिए। घर में क्लेश या अनबन हो तो पहले आपसी मतभेद दूर करें।

6. दान-पुण्य और अतिथि सेवा
सावन के महीने में गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान देना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। यह न केवल धन-संपत्ति बढ़ाता है, बल्कि पापों का क्षय भी करता है। साथ ही जो व्यक्ति अतिथि को ईश्वर तुल्य मानकर उसका सत्कार करता है, उसे देवी लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

7. शुक्रवार को विशेष पूजा
सावन के प्रत्येक शुक्रवार को देवी लक्ष्मी के व्रत और पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन सफेद वस्त्र पहनकर, सफेद मिठाई और खीर का भोग लगाएं। व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिनभर उपवास कर संध्या को लक्ष्मी पूजन करना चाहिए।

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