भारतीय सनातन परंपरा में मंत्र, स्तोत्र और श्लोकों का विशेष स्थान रहा है। इन्हीं दिव्य स्तोत्रों में से एक है "श्री भगवती स्तोत्रम्", जिसे शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा का स्तुति ग्रंथ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्तोत्र का नित्य श्रद्धा और विश्वास से पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी दुख-दरिद्रता, संकट और बाधाएं दूर हो जाती हैं, और घर-परिवार में धन, ऐश्वर्य और सुख-शांति का वास बना रहता है।
क्या है श्री भगवती स्तोत्रम्?
"श्री भगवती स्तोत्रम्" एक शक्तिशाली स्तुति है, जिसमें मां भगवती के विविध रूपों का वर्णन करते हुए उनकी महिमा, शक्ति और कृपा का गुणगान किया गया है। यह स्तोत्र देवी के नवदुर्गा रूपों, उनके सौंदर्य, तेज और मातृत्व गुणों को समर्पित है। इसकी रचना संस्कृत में की गई है और यह देवी उपासकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय स्तोत्रों में गिना जाता है।
क्यों करें श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ?
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि जहां मां भगवती का स्तवन और पूजन नियमित रूप से होता है, वहां न तो दरिद्रता ठहरती है, न ही भय और रोग।
शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से नवरात्र या शुक्रवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसे अद्भुत लाभ मिलते हैं। खासकर यदि जीवन में बार-बार धन की कमी, पारिवारिक कलह, रोग या कर्ज जैसी समस्याएं बनी रहती हैं, तो यह स्तोत्र उन सभी को जड़ से समाप्त करने की क्षमता रखता है।
स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करें?
शुभ मुहूर्त और विधिपूर्वक पाठ इस स्तोत्र के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देते हैं।
प्रातःकाल स्नान के बाद, स्वच्छ वस्त्र धारण कर देवी दुर्गा के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाकर स्तोत्र का पाठ करना उत्तम माना गया है।
पाठ से पूर्व मां को लाल फूल, दुर्गा सप्तशती का पाठ, नैवेद्य और कुमकुम अर्पण करें।
शुक्रवार, अष्टमी या नवमी तिथि को यह स्तोत्र पढ़ना अत्यंत फलदायी होता है।
जो लोग नित्य स्तोत्र का पाठ नहीं कर सकते, वे हर शुक्रवार अथवा नवरात्रि के दिनों में इसका पाठ कर सकते हैं।
श्री भगवती स्तोत्रम् से होने वाले चमत्कारी लाभ
आर्थिक तंगी से मुक्ति: यह स्तोत्र घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रवाह करता है, जिससे धन की कमी दूर होती है।
नकारात्मक शक्तियों का नाश: मां दुर्गा की स्तुति से घर में मौजूद नकारात्मक शक्तियाँ, बुरी नजर और टोना-टोटका दूर होता है।
मानसिक और शारीरिक शांति: इसका नियमित पाठ मानसिक तनाव को दूर करता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है।
व्यापार और नौकरी में तरक्की: जो व्यापारी या नौकरीपेशा लोग इसे श्रद्धा से पढ़ते हैं, उनके कामों में स्थिरता और लाभ मिलता है।
घर में सुख-शांति का वास: यह स्तोत्र परिवार में प्रेम, सौहार्द और सहयोग का वातावरण बनाता है।
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