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हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र, आपदा पर केंद्रित रही बहस, विपक्ष के हर तीर का सीएम सुक्खू ने दिया जवाब

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हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र इस बार पूरी तरह आपदा पर केंद्रित रहा। प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे राज्य में राहत और पुनर्वास के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने नजर आए। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने न केवल विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया, बल्कि केंद्र सरकार की अनदेखी का मुद्दा भी जोरशोर से उठाया।

पहले ही दिन से आपदा पर चर्चा

18 अगस्त को सत्र के पहले दिन की शुरुआत ही आपदा पर चर्चा से हुई। विपक्ष भाजपा ने कार्य स्थगन प्रस्ताव लाकर कहा कि सारा काम रोककर केवल आपदा पर चर्चा होनी चाहिए। भाजपा का आरोप था कि सरकार आपदा प्रबंधन में असफल रही है और प्रभावित लोगों को पर्याप्त मदद नहीं मिल रही।

सीएम का आक्रामक रुख

विपक्ष की घेराबंदी के बीच मुख्यमंत्री सुक्खू शुरू से ही आक्रामक दिखाई दिए। उन्होंने न केवल चर्चा के लिए विपक्ष की बात मान ली, बल्कि केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि हिमाचल को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग अभी तक अनसुनी की जा रही है। सुक्खू ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि “हमारी सरकार हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है। राहत और पुनर्वास के लिए संसाधन जुटाए जा रहे हैं, लेकिन केंद्र ने अब तक पर्याप्त मदद नहीं दी है।”

“नहले पर दहला”

मुख्यमंत्री ने विपक्ष की मांग मानकर जैसे “नहले पर दहला” फेंक दिया। इससे भाजपा बैकफुट पर आ गई। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद राहत कार्यों को तेज़ी से अंजाम दिया है और प्रभावित परिवारों को तुरंत मदद पहुंचाई जा रही है।

भाजपा का पलटवार

हालांकि, विपक्ष चुप नहीं बैठा। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए केंद्र पर ठीकरा फोड़ रही है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार ने हमेशा आपदा के समय प्रदेश की हरसंभव मदद की थी और मौजूदा सरकार केवल बयानबाजी कर रही है।

केंद्र की अनदेखी का मुद्दा

मुख्यमंत्री ने सदन में साफ शब्दों में कहा कि हिमाचल जैसी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य को विशेष सहयोग मिलना चाहिए। उन्होंने केंद्र से अपील की कि आपदा प्रभावित इलाकों के पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज दिया जाए।

सियासी टकराव तेज

आपदा जैसे गंभीर मुद्दे पर सदन में चली इस गरमागरम बहस ने हिमाचल की राजनीति को और गरमा दिया है। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों अपनी-अपनी दलीलों के साथ जनता के सामने मजबूती से खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं।

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