Next Story
Newszop

जमात-ए-इस्लामी ने अमरीकी टैरिफ को अन्यायपूर्ण और संरक्षणवादी बताया

Send Push

नई दिल्ली, 06 सितंबर (Udaipur Kiran) । जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव और देश भर में बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से हुई व्यापक तबाही पर गहरी चिंता व्यक्त की है। जमात-ए-इस्लामी के मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जमात अध्यक्ष ने भारत के सामने मौजूद गंभीर आर्थिक और मानवीय चुनौतियों पर प्रकाश डाला और सरकार से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया।

अमेरिकी टैरिफ पर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा, कि भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत तक शुल्कों में वृद्धि से श्रम-प्रधान क्षेत्र कमजोर हो रहे हैं। सूरत की हीरा-कटिंग इकाइयों, उत्तर प्रदेश के कालीन केन्द्रों और तिरुप्पुर के परिधान क्लस्टरों में काम करने वाले श्रमिकों को आजीविका के गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है। 2,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के कालीन गोदामों में फंसे हुए हैं और हजारों छोटे व्यवसाय ध्वस्त हो रहे हैं। अकेले वित्त वर्ष 2025 में 35,000 से अधिक एमएसएमई बंद हो गए। इससे संकट की गंभीरता का पता चलता है।

उन्होंने टैरिफ को अन्यायपूर्ण और संरक्षणवादी बताया तथा सरकार से दृढ़ कूटनीतिक और आर्थिक प्रतिक्रिया अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने 25,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज, ऋण और सब्सिडी के माध्यम से सहायता तथा एमएसएमई नौकरियों की सुरक्षा और निर्यात बाजारों में विविधता लाने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

हाल ही में आई बाढ़ का जिक्र करते हुए जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष ने कहा कि पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में पूरे के पूरी गांव बह गए हैं। किसानों की सैकड़ों करोड़ रुपये की फसल बर्बाद हो गई, परिवार विस्थापित हो गए और आवश्यक सेवाएं ध्वस्त हो गईं। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भ्रष्टाचार ने इस आपदा को और बदतर बना दिया है। तटबंध पहले ही परीक्षण में विफल हो गए। जल निकासी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं। घटिया काम के कारण सड़कें और पुल टूट गए। भ्रष्टाचार ने प्राकृतिक आपदा को मानवीय त्रासदी में बदल दिया है।

उन्होंने किसानों के लिए कम से कम 50,000 रुपये प्रति एकड़ का उचित मुआवजा देने, देश भर में जल निकासी और बाढ़ नियंत्रण प्रणालियों का उन्नयन तथा सभी बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता की सख्त जांच की मांग की। उन्होंने पुनर्वास और दीर्घकालिक पुनर्निर्माण के लिए अप्रयुक्त धनराशि को मुक्त करने के लिए एक बाध्यकारी आपदा राहत कानून बनाने का भी आह्वान किया।

मासिक प्रेस मीट को जमाअत के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने भी संबोधित किया।

(Udaipur Kiran) / मोहम्मद ओवैस/ मोहम्मद शहजाद

——————–

(Udaipur Kiran) / मोहम्मद शहजाद

Loving Newspoint? Download the app now