जोधपुर, 10 नवम्बर (Udaipur Kiran) . Rajasthan हाईकोट के जस्टिस मुन्नूरी लक्ष्मण और जस्टिस बिपिन गुप्ता की डिवीजन बेंच ने टेंडर प्रक्रिया से जुड़े नियम 75ए को वैध करार दिया है, जिसके तहत जो ठेकेदार, सरकार द्वारा तय की गई कीमत से 15 प्रतिशत या उससे भी काफी कम रेट पर टेंडर हासिल करते हैं, उन्हें अतिरिक्त जमानत राशि (सिक्योरिटी) देनी होगी.
दरअसल राज्य के 11 ठेकेदारों ने अलग-अलग याचिकाओं में इस नियम को कोर्ट में चुनौती दी थी. इनमें जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, जयपुर, सिरोही और प्रतापगढ़ के ठेकेदार शामिल थे. सभी ने जल संसाधन विभाग के विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए बोली लगाई थी और सफल भी हुए थे लेकिन जब विभाग ने उनसे अतिरिक्त सिक्योरिटी जमा करने को कहा तो उन्होंने 22 अक्टूबर 2021 की उस सरकारी अधिसूचना को ही चुनौती दे दी, जिसमें यह नया नियम 75-ए जोड़ा गया था. ठेकेदारों की तरफ से वकीलों ने कहा कि यह नियम मनमाना है. उनका तर्क था कि पहले से ही कानून में कई सुरक्षा उपाय मौजूद हैं, जो सरकारी विभागों के हितों की रक्षा करते हैं. फिर इस अतिरिक्त सिक्योरिटी की क्या जरूरत है. ठेकेदारों ने आर्थिक कठिनाई का भी तर्क दिया कि एक ही काम के लिए दो तरह की सिक्योरिटी जमा करना उनके लिए बहुत मुश्किल होगा. ठेकेदारों ने यह भी कहा कि आजकल प्रतिस्पर्धा के दौर में हर व्यक्ति कम रेट में बोली लगाने की कोशिश करता है, ताकि उसे काम मिल सके और वह अपनी आजीविका कमा सके. कम रेट लगाने का मतलब यह नहीं कि ठेकेदार काम छोडक़र भाग जाएगा. उनका कहना था कि सरकार के पास कोई डेटा नहीं है कि कितने ठेकेदार कम रेट में काम लेने के बाद काम अधूरा छोड़ गए.
सरकार को नियम बनाने का अधिकार
कोर्ट ने कहा कि Rajasthan ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट एक्ट 2012 की धारा 55 राज्य सरकार को नियम बनाने का अधिकार देती है. इस धारा के तहत सरकार बोली सुरक्षा, प्रदर्शन सुरक्षा और एग्रीमेंट प्रबंधन से संबंधित नियम बना सकती है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब कोई ठेकेदार तय रेट से 15 प्रतिशत कम रेट में काम करने की बोली लगाता है, तो स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि वह इतने कम पैसे में काम कैसे पूरा करेगा. ऐसे में दो खतरे हैं या तो वह काम की गुणवत्ता से समझौता करेगा या फिर काम बीच में छोड़ देगा. इसी स्थिति से बचने के लिए और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सिक्योरिटी की जरूरत है. यह सिक्योरिटी केवल उन्हीं ठेकेदारों से ली जाएगी जो 15 प्रतिशत से ज्यादा कम रेट लगाएंगे. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह एक्स्ट्रा सिक्योरिटी हमेशा के लिए नहीं ली जा रही है. जैसे ही ठेकेदार संतोषजनक तरीके से काम पूरा कर देगा, यह राशि उसे वापस कर दी जाएगी. यह केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि न तो काम की गुणवत्ता से समझौता हो और न ही ठेकेदार काम अधूरा छोड़े. कोर्ट ने नियम 75-ए को पूरी तरह वैध और संवैधानिक माना. सभी 11 ठेकेदारों की याचिकाएं खारिज कर दी गई.
(Udaipur Kiran) / सतीश
You may also like

Maharashtra Nikay Chunav 2025: नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू, पहले ही दिन 664 ने भरा पर्चा

Bigg Boss 19 LIVE: कुनिका-गौरव में किचन ड्यूटी पर कलेश, तान्या को ताने मारते रहे अमल, मालती-फरहाना भी भिड़े

जीएसटी के नाम पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने वाले गिरोह का खुलासा, दो आरोपी गिरफ्तार

यूपी एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई, एक लाख के इनामी आसिफ उर्फ टिड्डा और 50 हजार के इनामी दीनू मुठभेड़ में घायल

दिल्ली ब्लास्ट के बाद लखनऊ में भी हाई अलर्ट, पुलिस ने शुरू किया चेकिंग अभियान, बढ़ाई गई सतर्कता




