काठमांडू, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन को आज उस समय बड़ा झटका लगा जब विपक्षी दली की सांसद तथा संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की डिप्टी स्पीकर इन्दिरा राना मगर के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव पर सरकार के सहभागी सबसे बड़े दल नेपाली कांग्रेस के सांसदों द्वारा हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया गया।
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेरबहादुर देउवा के महाभियोग लगाने की सहमति मानने से इनकार करते हुए पार्टी के ही विरोधी गुट के नेता डॉ. शेखर कोइराला और उनके समर्थक सांसदों ने मंगलवार को डिप्टी स्पीकर के खिलाफ लाए जा रहे महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं करने के बाद सरकार की बड़ी किरकिरी हुई है। डिप्टी स्पीकर को हटाने का यह दूसरा प्रयास असफल होता दिख रहा है।
सत्तारूढ़ दलों, नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल ने डिप्टी स्पीकर इंदिरा राना मगर को उनके पद से हटाने के लिए अपने सांसदों से हस्ताक्षर करने के लिए आपात बैठक बुलाते हुए सभी सांसदों को इस पर हस्ताक्षर करने का निर्देश दिया था। सुबह 10 बजे से 2 बजे तक सभी सांसदों को प्रस्तावपर हस्ताक्षर करने का निर्देश दिया था। इसी बीच सत्तारूढ़ गठबंधन में सहभागी अन्य दलों से भी आग्रह किया गया था।
सत्तारूढ़ घटक दल कांग्रेस और यूएमएल के अलावा जनता समाजवादी पार्टी और जनमत पार्टी के सांसदों ने भी डिप्टी स्पीकर के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिया था। इतना ही नहीं सरकार से हाल ही में समर्थन वापस लेने वाले नागरिक उन्मुक्ति पार्टी और जेएसपी नेपाल ने भी इसमें अपना समर्थन जताया था। लेकिन सबसे बड़ी पार्टी के दो दर्जन से अधिक सांसदों द्वारा इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं करने के बाद इस प्रस्ताव को रोक लिया गया है।
देर शाम में दोनों बड़ी पार्टियां नेपाली कांग्रेस और यूएमएल संसदीय दल के प्रमुख सचेतकों ने मीडिया को बताया कि महाभियोग प्रस्ताव डिप्टी स्पीकर के खिलाफ नहीं है। कांग्रेस के प्रमुख सचेतक श्याम घिमिरे ने कहा कि सांसदों को खाली पन्ने पर हस्ताक्षर करवाया गया है जिसका अर्थ यह कतई नहीं होता है कि यह डिप्टी स्पीकर के खिलाफ महाभियोग लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अन्य प्रयोजन के लिए इस हस्ताक्षर का उपयोग किया जा सकता है।
उधर, सरकार का नेतृत्व कर रहे यूएमएल के प्रमुख सचेतक महेश बरतौला ने कांग्रेस पार्टी के भीतर महाभियोग को लेकर देखे गए विभाजन से चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि शीर्ष नेताओं की सहमति के बाद हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया था लेकिन किसी कारण से उसे तत्काल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
हालांकि महाभियोग प्रस्ताव का विरोध करने वाले नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शेखर कोइराला का मानना है कि इस समय डिप्टी स्पीकर को हटाने से सरकार अधिक अलोकप्रिय हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस समय सरकार के पास कई महत्वपूर्ण कार्य हैं जिस पर सरकार को प्राथमिकता से ध्यान देना चाहिए बजाए इसके ऐसे कदम क्यों उठाए जा रहे हैं जिससे सरकार और भी अलोकप्रिय हो जाएगी? जनता की निराशा पहले से ही अधिक है और यह कदम आगे असंतोष भड़काने के लिए काफी है।
शेखर ने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को अलोकप्रियता बढ़ाने वाले कार्यों के बजाय आवश्यक कार्य पर ध्यान केंद्रित करके युवा पीढ़ी के लिए एक अच्छा उदाहरण स्थापित करना चाहिए। हमारे पास अनगिनत कार्य हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार को उन कार्यों पर ऊर्जा बर्बाद नहीं करनी चाहिए जो उसे नहीं करनी चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास
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