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सदानीरा समागम में मुख्यमंत्री मोहन बोले- अपने यहां तो जल के बिना संकल्प पूरा नहीं होता

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भोपाल, 20 जून (Udaipur Kiran) । हमारी हर परंपरा में जल का महत्व है। मुझे प्रसन्नता है कि इस वर्ष हमने जल संरक्षण के लिए प्रदेशभर में तीन माह का अभियान चलाया है। जीवनदायिनी नदियों सहित सभी जल स्रोतों को सदानीरा बनाए रखने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। अपने यहां तो जल के बिना संकल्प पूरा नहीं होता है, उक्‍त बातें जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत भोपाल के भारत भरत में शुक्रवार को सदानीरा समागम के आयोजन अवसर पर मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहीं। इस अवसर पर मुख्‍यमंत्री यादव के साथ भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष एवं सांसद विष्‍णुदत्‍त शर्मा, प्रदेश महामंत्री भाजपा एवं विधायक भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा भगवानदास सबनानी ने सबसे पहले दीप प्रज्‍वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, दुनिया आज जल को लेकर भविष्‍य की चिंता करती हुई नजर आती है। ध्‍यान में आता है कि अगला युद्ध जल के लिए होगा। लेकिन हमारी संस्‍कृति जो हजारों लाखों साल पुरानी है, इसकी एक-एक परंपरा को गहराई से देखें। हमारे यहां तो संकल्‍प भी जल बिना पूरा नहीं होता । उन्‍होंने कहा, सभी देवी देवताओं को पूजा ही जल से आरंभ होती है। नवग्रहों की शांति हो अन्‍य कोई भी पूजा उसमें जल के महत्‍व को विस्‍तार से बताया गया है।

मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आदमी भोजन किए वगैर तीस दिन जीवित रह सकता है लेकिन जल के बिना वह कुछ ही दिन में अपने प्राण त्‍याग देता है। जल के महत्‍व को हमारे पूर्वजों ने जीवन के महत्‍व के साथ ही समझ लिया था, इसलिए संरक्षण के अनेक उपाए भारत में सदियों से किए जाते रहे, जिसके कि अनेक जीवंत प्रमाण आज हर जगह बिखरे हुए हैं। हमारी संस्‍कृति जल संस्‍कृति है। इसके साथ ही मुख्‍यमंत्री यादव समेत अन्‍य अतिथियों ने जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत भोपाल में आयोजित छह दिवसीय ‘सदानीरा समागम’ का शुभारंभ कर ‘जल सुरक्षित भविष्य’ बनाने के आयामों पर विस्तार से चर्चा की है।

उल्‍लेखनीय है कि इस समागम में जलसंरचनाओं के संरक्षण के लिए देश में पहली बार 200 से अधिक हस्तियां एकजुट हो रही हैं। ‘सदानीरा समागम’ देश में ऐसा अकेला समारोह है जो नदियों, जलस्रोतों, जल संरचनाओं को संवर्धित एवं संरक्षित करने के लिए विविध गतिविधियों से भरा है। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब साहित्य, कला व विज्ञान सहित अनेक माध्यमों के वैज्ञानिक, पुरातत्वविद, साहित्‍यकार, लेखक, पत्रकार, सिने अभिनेता व नाट्य कलाकार सहभागी इसमें बनने जा रहे हैं।

समागम का आरंभ ऋषिकेश पांडे द्वारा निर्देशित लघु फिल्म ‘सदानीरा’ के लोकार्पण से हुआ। मुख्य्मंत्री डॉ. यादव वीर भारत न्यास, मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् तथा मध्य प्रदेश जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तकों सदानीरा, पृथ्वी पानी का देश है…, अमृत जलधारा (चार खंड) व ‘जल धरा’ का विमोचन भी यहां देखने को मिला। वहीं, सदानीरा समागम केवल एक उत्सव नहीं, अपितु हमारी नदियों, जलसंस्कृति और जीवनदायिनी जलधाराओं के प्रति कृतज्ञता और जागरूकता का एक समवेत प्रयास है। आयोजन नदियों को मात्र भौतिक जलस्रोत नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर, आध्यात्मिक आधार और लोकचेतना के रूप में प्रस्तुत करने का सशक्त संदेश देने के लिए आयोजित है।

उक्‍त आयोजन में प्रदर्शनी, संगीत, नृत्य, संवाद और साहित्य के माध्यम से नदी और जल जीवन का भाव जागृत किया गया है। समागम में सात पुस्तकों के लोकार्पण के साथ ही मध्य प्रदेश माध्यम द्वारा निर्मित एवं राजेन्द्र जांगले द्वारा निर्देशित फिल्म ‘रागा ऑफ रिवर नर्मदा’ का प्रदर्शन भी होना है। समागम के पहले दिन की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में स्मिता नागदेव एवं राहुल शर्मा द्वारा संगीत और कविता पर केन्द्रित ‘साउंड ऑफ रिवर’ की सांगीतिक प्रस्तुति तथा विदुषी शर्मा भाटे, पुणे द्वारा निर्देशित नृत्य नाटिका ‘हम नवा’ का मंचन हुआ।

प्राचीन जलस्रोतों पर एकाग्र प्रदर्शनी

इसमें मध्य प्रदेश जनसंपर्क द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान पर प्रदर्शनी आयोजित की गई है। प्रदेश के प्राचीन जलस्रोतों पर एकाग्र पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय द्वारा समय-समय पर किये गये जलस्रोत संवर्धन कार्यों पर केन्द्रित छायाचित्रों की प्रदर्शनी और बावडि़याँ इस समागम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सदानीरा समागम में जलीय जीवन पर आधारित प्रदर्शनी जलचर भी आयोजित की गयी है। यह प्रदर्शनी मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय एवं क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, भोपाल के सहयोग से निर्मित की गई है। वरिष्ठ छायाकार राजेन्द्र जांगले की नर्मदा परिक्रमा पर आधारित छायाचित्रों की प्रदर्शनी अमृतस्य नर्मदा भी आयोजित है।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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