जम्मू, 25 जुलाई (Udaipur Kiran) । जम्मू और कश्मीर जिसे अक्सर भारत का मुकुट कहा जाता है अपार सांस्कृतिक, धार्मिक और भौगोलिक विविधताओं वाला देश है। यह क्षेत्र न केवल अपने मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों और बर्फ से ढके पहाड़ों के लिए जाना जाता है बल्कि अपनी जीवंत परंपराओं, समृद्ध विरासत और गहरी आध्यात्मिक जड़ों के लिए भी जाना जाता है। विभिन्न जातियों, समुदायों और धर्मों के लोग यहाँ शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रहते हैं जो विविधता में एकता के एक सुंदर संगम का निर्माण करते हैं।
जम्मू और कश्मीर दोनों संभाग पर्यटन स्थलों से भरे हुए हैं जो देश-विदेश से लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। जहाँ कश्मीर अपनी घाटियों, उद्यानों और झीलों के लिए जाना जाता है वहीं जम्मू भी आध्यात्मिक पर्यटन में उतना ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि इसे मंदिरों का शहर कहा जाता है। रघुनाथ मंदिर, रणवीरेश्वर मंदिर और माता वैष्णो देवी मंदिर जैसे मंदिर इस क्षेत्र की आध्यात्मिक पहचान के केंद्र में हैं।
वर्तमान में पवित्र अमरनाथ यात्रा चल रही है जो पूरे जम्मू और कश्मीर में आध्यात्मिक लहर ला रही है। इस वार्षिक तीर्थयात्रा में लाखों श्रद्धालु हिमालय में पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा करते हैं जो केंद्र शासित प्रदेश के आध्यात्मिक चरित्र और धार्मिक सद्भाव को सुदृढ़ करता है।
तवी नदी केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं है इसका गहरा पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व है। अक्सर सूर्यपुत्री या सूर्य की पुत्री के रूप में संदर्भित, तवी इस क्षेत्र के लोगों के लिए पवित्र है। इसके तट पर आरती करना भक्ति का प्रतीक और जम्मू के आध्यात्मिक सार का उत्सव दोनों है।
तवी आरती को नियमित रूप से आयोजित करने का निर्णय एक ऐतिहासिक और सराहनीय कदम है। यह पारंपरिक मूल्यों के पुनरुद्धार और जम्मू की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बढ़ावा देने का प्रतीक है। इसने शहर में एक नया आध्यात्मिक आयाम जोड़ा है जिससे यह श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए एक दर्शनीय स्थल बन गया है। विशेष रूप से अमरनाथ यात्रा के दौरान तवी आरती को तीर्थयात्रा के आध्यात्मिक विस्तार के रूप में देखा जाता है जिससे तीर्थयात्री गुफा मंदिर पहुँचने से पहले ही दिव्य अनुभूति का अनुभव कर सकते हैं।
तवी आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान से कहीं अधिक एक सांस्कृतिक आंदोलन है।
अंत में तवी आरती एक दैनिक अनुष्ठान से कहीं बढ़कर है—यह डोगरा पहचान की गौरवशाली अभिव्यक्ति है आध्यात्मिक पुनरुत्थान का प्रतीक है और आने वाली पीढ़ियों के लिए जम्मू की समृद्ध परंपराओं को संरक्षित और संवर्धित करने की दिशा में एक कदम है।
(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता
You may also like
इसराइली सेना ने बताया- ग़ज़ा में हवाई मार्ग से सहायता सामग्री को गिराया जाना शुरू
जयपुर का गलताजी मंदिर क्यों कहलाता है 'बंदरों का मंदिर'? वायरल वीडियो में जानिए इस धार्मिक स्थल की प्राचीन कथा
सऊदी अरब के शेख से शादी से इनकार पर युवती के साथ हुआ अत्याचार
Aaj Ka Love Rashifal: हरियाली तीज पर प्रेमियों के लिए बना विशेष योग, जानिए 27 जुलाई को किन राशियों के रिश्तों में आएगा नया जोश
कारगिल युद्ध में जब जनरल मुशर्रफ़ के फ़ोन से भारत को मिली अहम जानकारी