कोरबा, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । जहां एक ओर चिकित्सा जगत में कुछ नकारात्मक घटनाएँ चिकित्सकों को असहज महसूस करा रही हैं, वहीं दूसरी ओर लोगों की जान बचाने का जज़्बा उन्हें कमज़ोर नहीं पड़ने देता। न्यू कोरबा हॉस्पिटल (एनकेएच) में एक बेहद गंभीर मामले में यही जज़्बा काम आया और टीम वर्क ने उस मरीज़ को नया जीवन दिया, जिसकी जान पूर्ण रूप से संकट में थी।
कोलकाता निवासी एक चिकित्सक की 28 वर्षीय पत्नी रानी (बदला हुआ नाम) जमनीपाली स्थित अपने मायके आई हुई थीं। 2 जुलाई की रात करीब 2 बजे रानी को अचानक पेट में तेज दर्द हुआ और वह बेहोश हो गईं। उन्हें तत्काल जमनीपाली के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद न्यू कोरबा हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया।
एनकेएच पंहुचने पर रानी की स्थिति अत्यंत गंभीर थी। उनका ब्लड प्रेशर (बीपी) नहीं था, शरीर में कोई हलचल नहीं थी, केवल पल्स चल रही थी। जांच के बाद पता चला कि थैली फटने के कारण पेट में काफी खून जमा हो गया था, जिसे रप्चर्ड एक्टोपिक कहा जाता है। मरीज़ पूरी तरह से शॉक में थी। रानी के पति उस समय शहर से बाहर थे।
डॉ. एकता चवरे के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने परिजनों को पूरी स्थिति समझाने के बाद तुरंत इलाज शुरू किया। सुबह तक सर्जरी कर पेट में जमे हुए खून को बाहर निकाला गया। अत्यधिक रक्तस्राव के कारण रानी को सात यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। शरीर में कमजोरी के चलते उन्हें ब्रेन में झटका भी आ चुका था।
0 डॉक्टर की इस टीम ने किया सफल ऑपरेशन और कुशल देखभाल
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. एकता चवरे, एनेस्थीसिया, क्रिटिकल केयर की पूरी टीम और ब्लड बैंक स्टॉप के सहयोग से रानी का सफल ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के बाद डॉ. एकता, डॉ. अविनाश तिवारी (एमडी मेडिसिन) और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मनीष गोयल की देखरेख में उन्हें 5 दिनों तक आईसीयू में रखा गया। स्थिति में सुधार होने पर जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया, और अंततः पूर्ण स्वस्थ हालत में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया।
-यह सिर्फ एक केस नहीं, एक ज़िंदगी थी – डॉ. चंदानी
एनकेएच के डायरेक्टर डॉ. एस. चंदानी ने बताया कि यह केस काफी क्रिटिकल और रिस्की था। इस स्थिति में मरीज़ को रेफर करने का मतलब था, उसकी जान को और गंभीर खतरे में डालना, क्योंकि वह पहले से ही शॉक में थी और समय बहुत ही महत्वपूर्ण था। डॉ. चंदानी ने बताया कि यह एक बेहद मुश्किल निर्णय था, अगर समय गंवाया जाता तो जान नहीं बचती। इसलिए परिवार को पूरी स्थिति समझाकर तत्काल ऑपरेशन का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि विश्वास और टीम वर्क के साथ जोखिम लिया गया, जिसके परिणामस्वरूप रानी को नया जीवन मिल सका।
(Udaipur Kiran) / हरीश तिवारी
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