– खच्चर वाले बाेलेः मोबाइल मत निकालो, पहले जान बचाओ
जौनपुर, 26 अप्रैल . जम्मू एवं कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले का मंजर देखने वालों के आंखों से वह घटना अभी भी नहीं निकल रही है. गोलियां की तड़तड़हाट और जान बचाकर भाग रहे पर्यटकों की वह चीख आज भी उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी अधिवक्ता दम्पति भूले नहीं भुला पा रहे हैं. पहलगाम से लौटकर दम्पति ने आप बीती बयां की तो सुनने वाले लोगों के रौंगेटे खड़े हो गये. अधिवक्ता ने बताया कि घोड़े वालों के कहने पर उन्हाेंने अपने हाथ का कलावा काटा तो पत्नी ने माथे की बिंदी निकाली थी. सिंदूर को टोपी के नीचे छिपा लिया था.
मुस्तफाबाद भूपतपट्टी के रहने वाले सूर्यमणि पांडेय पेशे से अधिवक्ता हैं. उन्होंने शनिवार को पत्रकारों से पहलगाम में घटित आतंकी हमले का आंखो देखा हाल सुनाया. उन्होंने बताया कि पत्नी विजया लक्ष्मी के साथ 18 अप्रैल को श्रीनगर पहुंचे थे. 21 अप्रैल को श्रीनगर ठहरे और 22 को पहलगाम के लिए निकले. वहां पहुंचकर बैसरन घाटी जिसे मिनी स्विट्ज़रलैंड कहा जाता हैं, वहां जाने के लिए दो घोड़े बुक किए. सड़क से पांच किलोमीटर तक का सफर तय कर बैसरन घाटी पहुंचे. नाश्ते के लिए घोड़े से उतरते समय पत्नी विजयलक्ष्मी के हाथ में चोट लग गई. असहनीय दर्द होने के कारण उन्होंने कहा कि अब वो यात्रा नहीं कर पायेंगी और यही से वापस लौट चलें. सहमति होने पर दोनों पास की कैंटीन में नाश्ता करने लगे.
इसी दौरान कैंटीन से करीब 800 मीटर दूर घाटी से ताबड़तोड़ फायरिंग की आवाज सुनाई देने लगी. इससे वह जब डर गये तो मौजूद घोड़े वालों ने कहा, घबराइए मत, गुब्बारा फूटा होगा. तभी कुछ लोग अपनी जान बचाकर दौड़ते भागते हुए हम लोगों के पास पहुंचे और कहा कि टेररिस्ट अटैक हुआ है. भागों यहां से. यहां सुनकर हम लोगों के रूहं कांप गई और पैदल ही भागने लगे. इस दौरान उनके पीछे—पीछे आए घोड़े वालों ने उनसे कहा कि फायरिंग हुई है. आप लोग घोड़े पर बैठें और तुरंत नीचे चलिए. उन्होंने जब मोबाइल निकाला तो घोड़े वालों ने मना किया, कोई रिकॉर्डिंग या फोटोग्राफी न करो, पहले जान बचाओ.
युवकों ने उनसे कहा कि अगर जान बचाना चाहते हैं तो हाथ से कलावा और शिखा काट दो. पत्नी से बोला कि सिंदूर, बिंदी हटा दें. घोड़े वालों की बातों को सुनकर अधिवक्ता ने कलावा काटा और पत्नी ने माथे से बिंदी निकाल दी. सिंदूर को टोपी के नीचे छिपा लिया. रास्ते में दौड़ते हुए जो लोग आ रहे थे, वह कह रहे थे कि आतंकी हिन्दू पूछकर गोली मार रहे हैं. इतनी देर में तीन से चार बार फिर से फायरिंग की आवाजें और सुनाई पड़ी. करीब 25 मिनट में हम लोग घोड़े से पहलगाम पहुंचे, तब तक सीआरपीएफ के लोग आ गए थे. जवानों ने सुरक्षा देते हुए अपने वाहनों से होटल पहुंचाया और हिदायत दी कि बाहर न निकलें. दोपहर 3:30 बजे हम लोग होटल में पहुंच चुके थे.
अधिवक्ता ने बताया कि हम लोग दहशत के मारे रात भर जागते रहे. हेलीकॉप्टर, पुलिस सायरन की आवाजें रात भर गुजती रहीं. 23 तारीख को सीआरपीएफ की सुरक्षा में डल झील के हाउसबोट में रात गुजारी. 24 अप्रैल की सुबह श्रीनगर से फ्लाइट से दिल्ली आए. वहां से अपने घर लौट आए हैं. उन्होंने बताया कि पहलगाम की घटना को देखते हुए पत्नी आज भी डरी और सहमी हुई हैं. अगर पत्नी को चोट न लगी होती तो आज हम भी जीवित न होते. पहलगाम में सुरक्षा व्यवस्था के कोई भी इंतजाम नहीं है.
/ विश्व प्रकाश श्रीवास्तव
You may also like
पनीर की मिलावट से बचने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके
करेले का जूस: सेहत के लिए हानिकारक या फायदेमंद
How To Buy Gold On Akshay Tritiya In Hindi: अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने वाले हैं?, ज्वेलर के यहां जाने से पहले ये जरूरी जानकारी ले लीजिए
क्या खून का थक्का आपको खतरे में डाल सकता है? जानिए इसके बारे में
हैरान हो जाओगे रोजाना सुबह खाली पेट 2 बादाम खाने के फायदे जानकर