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उदयपुर में 21 तोपों की सलामी के साथ नगर भ्रमण को निकले भगवान श्रीजगन्नाथ

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उदयपुर, 27 जून (Udaipur Kiran) ।

उदयपुर के ऐतिहासिक जगदीश मंदिर से शुक्रवार को भगवान श्रीजगन्नाथ की भव्य रथयात्रा का आयोजन उत्सवमय वातावरण में किया गया। यह रथयात्रा न केवल उदयपुर, बल्कि सम्पूर्ण मेवाड़ क्षेत्र की सबसे विशाल और श्रद्धा से परिपूर्ण धार्मिक परंपराओं में से एक मानी जाती है।

भगवान श्रीजगन्नाथ, माता महालक्ष्मी और दानीरायजी 80 किलो शुद्ध चांदी से बने 16 फीट लम्बे, 8 फीट चौड़े और 21 फीट ऊंचे भव्य रथ में विराजे। रथयात्रा का शुभारंभ 21 तोपों की गगनभेदी सलामी से हुआ, जिसके साथ ही समूचा जगदीश चौक “जय जगदीश हरे” के नारों से गूंज उठा।

रथ को मेवाड़ राजपरिवार के पूर्व सदस्य एवं नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने खींचा। उनके साथ सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ भी थीं। रथ यात्रा से पूर्व परंपरागत रूप से भगवान को छोटे रथ में मंदिर परिसर में परिक्रमा करवाई गई।

रथयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में श्रद्धालु शहर और आस-पास के क्षेत्रों से पैदल भजन-कीर्तन करते हुए पहुंचे। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भीतरी शहर में वाहनों की आवाजाही बंद रखी। रथ मार्ग को भगवा ध्वज, पुष्पों और पारंपरिक सजावट से भव्य स्वरूप दिया गया। जगह-जगह पुष्पवर्षा, आरती, शंखनाद और भजनों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो उठा।

श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में नंगे पांव रथ खींचते दिखे। रथयात्रा में शामिल घुड़सवार द्वारा ढोल की थाप पर दिखाए गए घोड़े के करतब विशेष आकर्षण रहे। इस बार रथयात्रा में भगवान विष्णु के दशावतार, श्रीराम दरबार, संत मीरा, योगेश्वर शिव सहित 21 भव्य झांकियां निकाली गईं।

मंदिर परिसर में दिनभर भजन संध्या, आरती और संकीर्तन के कार्यक्रम हुए। रथ के वापस मंदिर पहुंचने पर भक्तों ने दीपमालिकाओं से स्वागत किया और परिसर दीपोत्सव जैसा जगमगा उठा। मार्ग में जगह-जगह अल्पाहार, जल और फलाहार की नि:शुल्क व्यवस्थाएं की गईं।

रथयात्रा की भव्यता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब यात्रा का पहला सिरा लखारा चौक तक पहुंचा, तब रथ घंटाघर पर था, जो सवा किलोमीटर दूर है।

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(Udaipur Kiran) / सुनीता

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