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श्रीराम कथा में प्रसाद प्रेम, सेवा और श्रद्धा का प्रतीक: मुरारी बापू

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नालंदा, 30 मई . प्रसिद्ध संत और कथा वाचक पूज्य मोरारी बापू ने राजगीर में शुक्रवार को आयोजित श्रीराम कथा के दौरान भोजनशाला की व्यवस्था का निरीक्षण कर स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन किया. बापू ने अत्यंत सादगी और संवेदनशीलता के साथ भोजनशाला में प्रवेश किया और वहां की स्वच्छता, भोजन की गुणवत्ता तथा परोसने की पद्धति का गहन अवलोकन किया.

उन्होंने भोजन तैयार करने वाले रसोइयों और परोसने वाले सेवकों से आत्मीय संवाद किया और उनके समर्पण की सराहना की. बापू ने कहा, “भोजन केवल पेट भरने का माध्यम नहीं, बल्कि प्रेम, सेवा और श्रद्धा का प्रतीक होता है.” उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर प्रसन्नता जताई कि सभी के लिए समान रूप से सात्विक, शुद्ध और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है.

बापू ने कहा कि श्रीराम कथा केवल आध्यात्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सेवा, समर्पण और सह-अस्तित्व का जीवंत उदाहरण है. सेवा भाव से कार्यरत स्वयंसेवकों को उन्होंने आशीर्वाद देते हुए कहा कि सेवा धर्म का सर्वोच्च रूप है और यह मार्ग मानवता को जोड़ने वाला है.उन्होंने श्रोताओं से भी आग्रह किया कि वे केवल कथा श्रवण तक सीमित न रहें, बल्कि सेवा और सहानुभूति की भावना को जीवन में उतारें. बापू ने यह जानकारी भी दी कि कथा स्थल पर प्रति दिन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक नि:शुल्क भोजन व्यवस्था उपलब्ध है.बापू का यह विनम्र और प्रेरणादायक आचरण न केवल स्वयंसेवकों बल्कि श्रोताओं के लिए भी अनुकरणीय बन गया. उनकी उपस्थिति ने आयोजन को एक नई ऊंचाई प्रदान की.

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/ प्रमोद पांडे

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