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सस्पेंशन और एफआईआर से नहीं डरेंगे, तेज़ होगा आंदोलन : प्राथमिक शिक्षक संघ

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शिमला, 04 मई . हिमाचल प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों और राज्य सरकार के बीच टकराव अब आर-पार की लड़ाई में बदलता नजर आ रहा है. 26 अप्रैल से शिक्षा निदेशालय के बाहर अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन पर बैठे प्राथमिक शिक्षकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं और मुख्यमंत्री ने उन्हें वार्ता के लिए नहीं बुलाया तो आंदोलन और अधिक व्यापक व उग्र रूप लेगा.

सरकार द्वारा आंदोलनरत 10 शिक्षकों को निलंबित करने और 900 से अधिक शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज करवाने से नाराज शिक्षक संघ ने कहा कि सरकार का यह रवैया लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है. संघ ने स्पष्ट किया कि कुछ शिक्षकों के निलंबन से वे डरने वाले नहीं हैं बल्कि हर कार्रवाई के बाद उनका आंदोलन और मजबूत होगा.

“शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पहली बार एफआईआर”

प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने रविवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि 26 अप्रैल को शिमला के चौड़ा मैदान में शिक्षकों ने अपने 26 सूत्रीय मांगपत्र को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया था. लेकिन 900 से अधिक शिक्षकों पर जिस प्रकार से सरकार ने एफआईआर दर्ज करवाई और एक दिन की वेतन कटौती की, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों की जायज मांगों को दबाने का प्रयास कर रही है जो लोकतांत्रिक प्रणाली के खिलाफ है.

“25 हज़ार शिक्षक सस्पेंड हुए तो शिमला पड़ जाएगा छोटा”

संघ अध्यक्ष ने बताया कि जिन शिक्षकों को निलंबित किया गया है वे आज भी शिमला में आंदोलन में डटे हुए हैं. उनका कहना है कि अगर यही स्थिति बनी रही और आंदोलनकारी शिक्षकों को इसी तरह सस्पेंड किया जाता रहा तो एक दिन शिमला में 25 हजार शिक्षकों की भीड़ जमा हो जाएगी और राजधानी में जगह कम पड़ जाएगी.

एसएमसी शिक्षक भी हो रहे आंदोलन में शामिल

संघ अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने बताया कि स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमसी) के शिक्षक भी रोजाना धरने में भाग ले रहे हैं और वे भी सरकार के फैसलों से नाराज हैं. इससे स्पष्ट है कि आंदोलन सिर्फ कुछ शिक्षकों का नहीं, बल्कि पूरे प्राथमिक शिक्षा तंत्र का है.

ऑनलाइन काम रोकने की चेतावनी

संघ ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने अगले 15 दिनों में शिक्षकों को सिम कार्ड और डाटा सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई तो वे ऑनलाइन शैक्षणिक कार्य करना बंद कर देंगे. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर स्कूलों को बंद करने की साजिश रच रही है.

शिक्षक संघ का कहना है कि उन्होंने कई बार शिक्षा मंत्री और सचिव से वार्ता की कोशिश की लेकिन सरकार ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया. यदि वार्ता की पहल नहीं हुई तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा और प्रदेशव्यापी शिक्षण कार्य ठप हो सकता है.

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/ उज्जवल शर्मा

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