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मरने के बाद भी 22 साल की लड़की कैसे रही ज़िंदा? इस कहानी से काँप उठेगा दिल

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क्या आपने कभी ऐसी कहानी सुनी है, जो आपकी रूह को कंपा दे? एक ऐसी सच्ची घटना, जो इतनी भयावह और रहस्यमयी हो कि उसे भूलना असंभव हो जाए? आज हम बात करेंगे एक 22 साल की लड़की की कहानी, जिसकी जिंदगी एक सामान्य दिन में जॉगिंग के दौरान अचानक बदल गई। यह कहानी न केवल दुखद है, बल्कि यह भी दिखाती है कि इंसानी लालच और क्रूरता कितनी भयानक हो सकती है। नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री "900 डेज विदाउट एनाबेल" इस सच्ची घटना को इतने प्रभावशाली ढंग से पेश करती है कि यह आपके दिल और दिमाग पर गहरी छाप छोड़ देगी। आइए, इस दिल दहलाने वाली कहानी को और करीब से जानें।

एक सामान्य दिन, जो बन गया आखिरी

एनाबेल एक 22 साल की जीवंत और खुशमिजाज लड़की थी, जो एक पॉश इलाके में रहती थी। उसकी जिंदगी में सब कुछ सामान्य था—वह रोज सुबह जॉगिंग के लिए निकलती थी, अपने सपनों को जीने की कोशिश करती थी। लेकिन एक दिन, वह जॉगिंग के लिए निकली और फिर कभी लौटकर नहीं आई। यह 1995 की बात है, जब उसका अपहरण हुआ। लेकिन यह अपहरण कोई साधारण घटना नहीं थी। अपहरणकर्ताओं ने न केवल एनाबेल की जिंदगी छीनी, बल्कि उसके परिवार को सालों तक झूठ और धोखे के जाल में उलझाए रखा।

धोखे का जाल: 900 दिनों तक चली साजिश

नेटफ्लिक्स की यह डॉक्यूमेंट्री, जिसे मोनिका पाल मेरो ने डायरेक्ट किया है, इस घटना को तीन हिस्सों में बयान करती है। कहानी की शुरुआत होती है दो अपहरणकर्ताओं, कैंडिडो ऑर्टिज और एमिलियो मुनोज, से, जिन्होंने एनाबेल का अपहरण करने के बाद उसकी हत्या कर दी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि उन्होंने इसके बाद भी उसके परिवार से 9 लाख डॉलर की फिरौती मांगने का सिलसिला जारी रखा। उन्होंने 14 बार परिवार को फोन किए, नकली ऑडियो टेप भेजे, जिसमें मुनोज की पत्नी ने एनाबेल की आवाज में चीखने और रोने की एक्टिंग की। इस धोखे ने परिवार को यह विश्वास दिलाया कि उनकी बेटी अभी जिंदा है, जबकि हकीकत में वह पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह चुकी थी।

सच्चाई का खुलासा: एक वीरान फैक्ट्री में मिली सच्चाई

डॉक्यूमेंट्री का दूसरा हिस्सा पुलिस की जांच और उन नकली ऑडियो टेप्स की पड़ताल को दिखाता है, जिन्होंने इस केस को और उलझा दिया। आखिरकार, तीसरे हिस्से में सच्चाई सामने आती है—पुलिस ने अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया और एनाबेल की लाश एक वीरान फैक्ट्री में मिली, जहां वह 900 दिनों तक पड़ी रही। अपहरणकर्ताओं ने पहले ही उसका कत्ल कर दिया था, लेकिन फिरौती के लालच में उन्होंने परिवार को धोखे में रखा। यह कहानी न केवल एक अपराध की कहानी है, बल्कि यह भी दिखाती है कि इंसान कितना क्रूर हो सकता है।

क्यों देखें यह डॉक्यूमेंट्री?

"900 डेज विदाउट एनाबेल" न केवल एक क्राइम स्टोरी है, बल्कि यह मानवीय भावनाओं, धोखे और सच्चाई की तलाश का एक गहरा चित्रण है। मोनिका पाल मेरो की निर्देशन कला इस कहानी को इतना जीवंत बनाती है कि दर्शक खुद को उस परिवार के दर्द से जोड़ पाते हैं। IMDb पर इस डॉक्यूमेंट्री को 10 में से 6 की रेटिंग मिली है, और दर्शकों ने इसके सस्पेंस और क्लाइमेक्स की खूब तारीफ की है। अगर आप सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानियां पसंद करते हैं, तो यह डॉक्यूमेंट्री आपके लिए जरूर देखने लायक है। इसे आप नेटफ्लिक्स पर आसानी से देख सकते हैं।

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