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Teenagers की डाइट में हो रही है ये खतरनाक चूक,जानिए कैसे बचाएं अपने बच्चों को

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किशोरावस्था एक ऐसा दौर है, जहां शरीर और दिमाग तेजी से विकास करता है। पढ़ाई का दबाव, करियर की चिंता और भागदौड़ भरी जिंदगी में किशोरों को सही पोषण देना बेहद जरूरी है। एक संतुलित और पौष्टिक आहार न केवल उनकी शारीरिक ताकत बढ़ाता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी मजबूत करता है। आइए, जानते हैं कि किशोरों की डाइट में किन खास पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए, जो उन्हें ऊर्जावान और स्वस्थ रखें।

दिमाग के लिए जरूरी फैट्स: नट्स और बीजों का कमाल

पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि किशोरों की डाइट में हेल्दी फैट्स का होना बेहद जरूरी है। हमारा मस्तिष्क एक फैटी अंग है, जिसे कार्य करने के लिए अच्छे वसा की जरूरत होती है। घी, मेवे (जैसे बादाम, अखरोट), बीज (अलसी, सूरजमुखी, कद्दू के बीज) और सेहतमंद तेल (जैसे जैतून का तेल, नारियल तेल) को संतुलित मात्रा में शामिल करें। ये ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर होते हैं, जो दिमाग को तेज और स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, सुबह के नाश्ते में एक मुट्ठी मेवे या स्मूदी में अलसी के बीज मिलाना एक बेहतरीन शुरुआत हो सकती है।

आयरन: ऊर्जा और एकाग्रता का आधार

किशोरों में आयरन की कमी थकान, चिड़चिड़ापन और पढ़ाई में ध्यान न लगने जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। आयरन मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और डोपामाइन जैसे हार्मोन को बढ़ाता है, जो मन को खुश रखता है। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, साथ ही हल्दी, गेहूं के ज्वारे और मोरिंगा आयरन के शानदार स्रोत हैं। किशोरों को अपने आहार में इन्हें शामिल करने की सलाह दी जाती है। मसलन, पालक की स्मूदी या सब्जी के साथ रोटी एक स्वादिष्ट और पौष्टिक विकल्प हो सकता है।

कॉम्प्लेक्स कार्ब्स: दिमाग का ईंधन

दिमाग को ऊर्जा देने के लिए कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स बेहद जरूरी हैं। अनाज, फल, शकरकंद और बीन्स जैसे खाद्य पदार्थ ग्लूकोज का प्राकृतिक स्रोत हैं, जो मस्तिष्क को सक्रिय रखते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि नाश्ता छोड़ने वाले किशोरों को स्कूल में एकाग्रता की कमी और दिमागी सुस्ती (ब्रेन फॉग) की समस्या हो सकती है। सुबह का नाश्ता जैसे ओट्स, फल या शकरकंद की चाट न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि दिनभर की ऊर्जा भी देता है।

जिंक: बुद्धि और समस्या-समाधान का साथी

जिंक मस्तिष्क की कोशिकाओं और नसों के बीच संचार को बेहतर बनाता है। इसकी कमी से बौद्धिक क्षमता और समस्याओं को हल करने की कला प्रभावित हो सकती है। बादाम, लहसुन, तिल, कद्दू के बीज और ऑर्गेनिक अंडे जिंक के बेहतरीन स्रोत हैं। इन्हें रोजाना अपने आहार में शामिल करना आसान है, जैसे सलाद में तिल छिड़कना या नाश्ते में उबला अंडा खाना।

आयोडीन: दिमागी विकास का रक्षक

आयोडीन की कमी बच्चों और किशोरों में मस्तिष्क के विकास को नुकसान पहुंचा सकती है। खासकर गर्भावस्था में मांओं को आयोडीन की पर्याप्त मात्रा लेनी चाहिए, क्योंकि इसकी कमी बच्चों की बौद्धिक क्षमता को प्रभावित कर सकती है। टमाटर, पालक, आलू और अंडे आयोडीन के अच्छे स्रोत हैं। इन्हें सलाद, सूप या सब्जी के रूप में आसानी से खाया जा सकता है।

कोलीन और विटामिन बी: मस्तिष्क की सेहत के लिए जरूरी

कोलीन मस्तिष्क के विकास और कार्यक्षमता के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह अंडे, मछली, एवोकाडो और पालक में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। साथ ही, विटामिन बी-9 और बी12 नर्व सेल्स को स्वस्थ रखते हैं। शाकाहारी लोग इनकी कमी को सप्लीमेंट्स के जरिए पूरा कर सकते हैं, जबकि मांसाहारी भोजन में ये प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं। एवोकाडो टोस्ट या पालक का सूप किशोरों के लिए स्वादिष्ट और पौष्टिक विकल्प हैं।

निष्कर्ष: संतुलित आहार, स्वस्थ भविष्य

किशोरावस्था में सही पोषण न केवल शारीरिक विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, एकाग्रता और आत्मविश्वास को भी मजबूत करता है। माता-पिता और किशोरों को मिलकर एक ऐसी डाइट प्लान करने की जरूरत है, जिसमें हेल्दी फैट्स, आयरन, जिंक, आयोडीन, कोलीन और विटामिन बी जैसे पोषक तत्व शामिल हों। छोटे-छोटे बदलाव, जैसे नाश्ते में मेवे और फल शामिल करना या रात के खाने में हरी सब्जियां जोड़ना, लंबे समय में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। आइए, अपने किशोरों को स्वस्थ और खुशहाल भविष्य की ओर ले जाएं।

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