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कमिश्नर के आदेश भी हुए फेल! आखिर क्यों नहीं हो पा रही मंदिर भूमि की पैमाईश?

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यामीन विकट, ठाकुरद्वारा। ठाकुरद्वारा के मढ़ी मंदिर की भूमि का विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। मंदिर की गाटा संख्या 595 और बंजर भूमि गाटा संख्या 595 ग की पैमाइश के लिए पहुंची राजस्व टीम खाली हाथ लौट आई। उनका कहना था कि भूमि में जलभराव होने के कारण पैमाइश संभव नहीं है। लेकिन स्थानीय लोगों का सवाल है कि जब साल भर जलभराव की स्थिति रहती है, तो क्या राजस्व विभाग इस महत्वपूर्ण कार्य को अनिश्चितकाल के लिए टालता रहेगा? यह सवाल न केवल मंदिर ट्रस्ट के लिए, बल्कि पूरे नगर के लिए चिंता का विषय बन गया है।

कमिश्नर के आदेश भी बेअसर

मढ़ी मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधियों ने हाल ही में मुरादाबाद में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की थी। उन्होंने मंदिर की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने की मांग उठाई थी। इसके बाद कमिश्नर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम को तत्काल पैमाइश के आदेश दिए। लेकिन राजस्व विभाग की उदासीनता ने इन आदेशों को भी हवा में उड़ा दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब राजस्व टीम ने बहाने बनाकर पैमाइश को टाला है। इससे पहले भी कई बार इस तरह की कोशिशें नाकाम रही हैं।

आयुर्वेदिक अस्पताल और भू-माफियाओं का खेल

मामले की जड़ में मढ़ी मंदिर की भूमि और नगर पालिका द्वारा प्रस्तावित आयुर्वेदिक अस्पताल की योजना है। नगर पालिका ने गाटा संख्या 595 ग (बंजर भूमि) को अस्पताल के लिए चिह्नित किया है, जबकि मंदिर समिति का दावा है कि अस्पताल का निर्माण मंदिर की मूल भूमि (गाटा संख्या 595) पर हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस बंजर भूमि को नगर पालिका ने अस्पताल के लिए चुना, वह वास्तव में मौके पर मौजूद ही नहीं है। नक्शों में इस भूमि का रकबा लगभग सवा बीघा बताया गया है, लेकिन यह रास्ते में चला गया है। नक्शों में रास्ते का कोई जिक्र नहीं है, जबकि मौके पर रास्ता साफ दिखाई देता है।

सच्चाई सामने लाने की जरूरत

इस पूरे विवाद ने स्थानीय लोगों में असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। कुछ लोग इसे भू-माफियाओं का खेल मानते हैं, जो मंदिर की कीमती जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। दूसरी ओर, नगर पालिका और राजस्व विभाग की लापरवाही इस समस्या को और जटिल बना रही है। लोगों का कहना है कि जब तक सटीक पैमाइश और जांच नहीं होगी, इस विवाद का समाधान संभव नहीं है। मंदिर समिति और स्थानीय लोग अब प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इस मामले में पारदर्शिता बरती जाए और जल्द से जल्द सही तथ्य सामने लाए जाएं।

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