अहिल्याबाई का शासनकाल न केवल मालवा, बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए एक स्वर्णिम युग माना जाता है। उन्होंने 30 वर्षों तक न केवल न्यायपूर्ण शासन किया बल्कि अन्न, जल, धर्म और संस्कृति की धारा को बहाल किया। आमतौर पर भारतीय इतिहास में महिलाओं को युद्धभूमि या दरबार में कम दिखाया जाता है, लेकिन अहिल्याबाई ने यह मिथक तोड़ा और यह सिद्ध किया कि एक महिला भी सशक्त शासन कर सकती है।
अहिल्याबाई पर समर्पित कविता (Joanna Baillie की कविता का हिंदी रूपांतरण):
"तीस वर्षों तक शांति का राज्य,
धरती पर बरसाए सुख का सजग संचार।
हर मुख से निकली उसके लिए वंदना,
चाहे कठोर हो या कोमल, वृद्ध या किशोर।
यहाँ तक कि माँ की गोद में बैठे बच्चे भी,
उसकी गाथा को सरल राइम में दोहराते हैं।
ब्रह्मा के वरदान सी वह देवी,
जिसने अपने धर्म से भूमि को पावन किया।
कोमल उसका हृदय, उज्जवल थी कीर्ति,
‘अहिल्या’ था वह सम्मानित नाम, जो अमर हुआ।”
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